Rajasthan News: एंबुलेंस का नाम सुनते ही जीवन रक्षक के रूप में मन में भाव है, लेकिन यहीं जीवन रक्षक राजस्थान में एक मरीज की मौत का कारण बनी है. दरअसल, उदयपुर संभाग के बांसवाड़ा जिले की एम्बुलेंस की बड़ी लापरवाही सामने आई है. जिसमें मरीज को ले जा रहे एंबुलेंस का डीजल ही खत्म हो गया. यहीं नहीं परिजनों को धक्का तक लगाना पड़ा. 35 किलोमीटर हॉस्पिटल जाने में 4 घंटे लग गए, इतने में मरीज ने दम तोड़ दिया. इस घटना के बाद सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें मरीज के परिजन एंबुलेंस को धक्का देते हुए दिख रहे हैं.
बांसवाड़ा के भानुपरा निवासी मुकेश मईडा ने बताया कि प्रतापगढ़ जिला निवासी ससुर तेजपाल मेरी पत्नी (अपनी बेटी) से मिलने के लिए घर आए थे. तीन दिन से यही थे. खेत में जाते समय अचानक गिर गए. पत्नी ने फोन लगाया तो तुरंत घर पहुंचा और एम्बुलेंस को फोन लगाया. ससुर की तबीयत 11 बजे खराब हुई थी और फोन लगाने के एक घंटे बाद 12 बजे एम्बुलेंस घर आई. उसी एम्बुलेंस से पास ही पीएचसी लेकर गए जहां ईसीजी की मशीन नहीं थी. फिर 35 किलोमीटर जिला अस्पताल ले जाने के लिए निकले. रास्ते में एम्बुलेंस ने अचानक झटके के साथ बंद हो गई, तब तक ससुर की सांस चल रही थी.
समय पर इलाज मलने पर नहीं होती मौत
परिजन ने बताया कि एम्बुलेंस चालक ने 500 रुपये दिए और हमारी बाइक से डीजल लेने के लिए भेजा. डीजल डालने के बाद भी एम्बुलेंस स्टार्ट नहीं हुई तो एक किलोमीटर तक धकेला. फिर चालक ने दूसरी एंबुलेंस बुलाई जो करीब आधे घंटे बाद आई. दूसरी वाली एम्बुलेंस से हॉस्पिटल लेकर गए तब तक 4 घंटे हो चुके थे. हॉस्पिटल में डॉक्टर ने देखा और मृत घोषित कर दिया. परिजनों का आरोप है कि अगर समय पर हॉस्पिटल पहुंच जाते तो मौत नहीं होती.
पहले भी हो चुके ऐसे मामले
उदयपुर संभाग में ऐसे कई मामले हो चुके है जिसमें एम्बुलेंस की लापरवाही सामने आई है. या तो एम्बुलेंस समय पर नहीं पहुंचती या पहुंच भी जाए तो मरीज को ले जाते समय रास्ते में किसी न किसी कारण से खराब हुई. कई बार तो गर्भवती महिला एम्बुलेंस का इंतजार करते-करते रास्ते में ही डिलीवरी हो गए.