Udaipur News: राजस्थान के उदयपुर में शीतलहर का प्रकोप जारी है. उदयपुर के तापमान की बात करे तो न्यूनतम 4.2 डिग्री सेल्लियस रहा और राजसमंद का 0.2 डिग्री सेल्सियस रहा. ठंड से इंसान पर ठिठुरन तो है ही इसका असर फसलों पर भी पड़ रहा है. खेतों में लगी फसलों को बचाने के लिए महाराणा प्रताप कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को सिंचाई और सल्फ्यूरिक एसिड का छिड़काव करने की हिदायत दी है.
लो टनल तकनीक का उपयोग
लो टनल तकनीक का उपयोग कर भी फसलों को बचाने के लिए कहा गया है. किसान ये सब कर भी रहे हैं. लो टनल तकनीक से फसलों को ना सिर्फ शीत लहर के प्रकोप से बचाया जा सकता है बल्कि उत्पादन में भी वृद्धि होती है. जिले के कुछ किसान तकनीक को अपना भी रहे हैं.
लो टनल तकनीक के फायदे
एमपीयूएटी के अनुसंधान निदेशक एसके शर्मा ने बताया, टनल तकनीक शीत लहर के दौरान पाला पड़ने की स्थिति में फसलों को खराब होने से बचाने के लिए है. लो टनल तकनीक से दो फायदे हैं. पहला तो शीत लहर से बचाव और दूसरा उत्पादन में वृद्धि. टनल बनाने के लिए धागे से बुनी हुई शीट का उपयोग करते हैं. 70-80 सेंटीमीटर ऊंचाई रखनी होती है. पहले फसल की बनी क्यारियों की दोनों तरफ लकड़ी या लोहे की डंडियों से टनलनुमा आकृति बनाते हैं, फिर उसके ऊपर धागे की शीट लगा देते हैं और टनल तैयार हो जाता है. एक हैक्टेयर की फसल में 30-45 हजार रुपए का खर्च आता है. जिले में कुछ किसान इसका उपयोग भी कर रहे हैं.
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