Udaipur News: राजस्थान में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. इसके लिए बीजेपी (BJP) पूरी तरह से सक्रिय हो चुकी है. लेकिन, कांग्रेस (Congress) अभी भी बिना जिलाध्यक्षों के ही चल रही है. कांग्रेस के कार्यकर्ता खुद कह रहे हैं कि विधानसभा चुनाव (Assembly Election) के लिए प्लानिंग किसके नेतृत्व में करें. क्योंकि जिलाध्यक्ष जो निवर्तमान हैं, उनका कार्यकाल पहले ही समाप्त हो चुका है. अब नए जिलाध्यक्ष नियुक्त नहीं किए जा रहे हैं. उदयपुर संभाग (Udaipur Division) के 6 जिले उदयपुर, राजसमन्द, डूंगरपुर, बांसवाड़ा, डूंगरपुर, चित्तौड़गढ़ और प्रतापगढ़ में से सिर्फ राजसमन्द में ही कुछ समय पहले जारी सूची में हरिसिंह राठौड़ को जिलाध्यक्ष बनाया गया. बाकी के पांच जिलों में तो निवर्तमान जिलाध्यक्ष ही काम कर रहे हैं. 


मेवाड़ में वैसे भी पीछे हैं कांग्रेस’
राजस्थान की राजनीति में महत्वपूर्ण स्थान रखने वाली मेवाड़ यानी उदयपुर संभाग की 28 विधानसभा सीटों में कांग्रेस पहले से ही पिछड़ी हुई है. अभी की स्थिति में 28 सीटों में से 14 पर बीजेपी, 11 पर कांग्रेस, 2 पर बीटीपी और एक अन्य है. यह भी कहा जाता है कि जो मेवाड़ जीता, सरकार उसकी बनेगी. अगर पिछले चुनाव को छोड़ दिया जाए, फिर भी जिलाध्यक्षों की लंबे समय से नियुक्तियां नहीं हुई हैं. हालांकि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत 11 माह में उदयपुर के 14 दौरे कर चुके हैं. पार्टी के कार्यकर्ता सीएम की घोषणाओं का प्रचार कर वोटरों को लुभा रहे हैं. लेकिन, कहीं न कहीं कार्यकर्ताओं को जिलाध्यक्षों को कमी महसूस हो रही है.


लगातार कह रहे हैं, फिर उठाएंगे मुद्दा
राजस्व मंत्री और उदयपुर प्रभारी मंत्री रामलाल जाट ने कहा कि काफी देरी हो गई. लेकिन, अब तक जिलाध्यक्ष नियुक्त नहीं किए गए हैं. पहले भी कई बार प्रदेश अध्यक्ष को कहा है और अजमेर में संभाग स्तरीय कार्यक्रम होने वाला है, वहां भी मुद्दा उठाएंगे. यह सही है कि जिनका कार्यकाल पूरा हो चुका है, वह जानते हैं कि अब कैसे काम करें. इससे कार्यकर्ता भी असमंजस में हैं. जिलाध्यक्ष से ही पार्टी को स्थानीय स्तर पर ताकत मिलती है. मंत्री ने कहा कि प्रदेश प्रभारी रंधावा भी यहीं हैं. उन्हें भी इस बारे में कहा जाएगा और कोशिश करेंगे कि जल्द ही नियुक्तियां हों.


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