Udaipur News: कहते हैं प्रतिभा किसी का मोहताज नहीं होती है. ऐसा ही एक आदर्श उदाहरण स्थापित किया ललित मीणा ने. ललित मीन का ताल्लुक उदयपुर के छोटे से गांव से है. पिछले दिनों ललित मीणा का चयन भारतीय ब्लाइंड क्रिकेट टीम में हुआ है. इस चयन के बाद आज शाम को वह बांग्लादेश के खिलाफ मैच भी खेलेंगे. पूरे प्रदेश से इस श्रेणी में सिर्फ ललित का ही भारतीय टीम में चयन हुआ है. उन्होंने अपनी मेहनत और प्रतिभा से भारतीय टीम में जगह बनाई, इसके लिए उन्होंने अपनी दृष्टिहीनता को आड़े नहीं आने दिया.


ऐसा रहा ललित मीणा का भारतीय ब्लाइंड क्रिकेट टीम तक का सफ़र
ललित मीणा ने एबीपी न्यूज़ के साथ अपने परिवार और टीम में चयन को लेकर बात की. ललित ने बताया कि "मेरे पापा किसान है. वहीं घर में दो भाई और दो बहने हैं. आठवीं तक उदयपुर के ही ब्लाइंड स्कूल में पढ़ाई की. स्कूल में सभी क्रिकेट खेलते थे, तो उनके साथ मैं ने भी खेलना शुरू किया. फिर जिला स्तरीय प्रतियोगिता हुई तो उसमें भी मेरा चयन हुआ. यहां अच्छा प्रदर्शन रहा तो राजस्थान टीम में चयन हुआ. उदयपुर में आठवीं के बाद ब्लाइंड की कक्षाएं नहीं थीं तो अजमेर पढ़ाई करने के लिए गया. वहां भी मेरी क्रिकेट जारी रहा."


ललित ने आगे बताया " साल 2006 में राजस्थान टीम में खेलते हुए अच्छा प्रदर्शन किया. इस बेहतर प्रदर्शन के आधार मेरा चयन इसी साल राष्ट्रीय में हो गया. जिस तरह से रणजी ट्रॉफी होती है, उसी प्रकार ब्लाइंड की नागेश ट्रॉफी होती है. मैंने 2010 से नागेश ट्रॉफी में खेलना शुरू किया था. इसके बाद 2020 में नागेश ट्रॉफी में खेलते हुए 92 रन बनाए और 6 विकेट लिए थे. इसके बाद भारतीय टीम में चयन हुआ. अब भोपाल में बांग्लादेश से तीन टी-20 और तीन वनडे की श्रृंखला है. इसमें से एक मैच हो चुका है, जिसमें बैटिंग करने का मौका नहीं मिला. हां दो ओवर बोलिंग जरूर की." उन्होंने आगे बताया कि उन्हें रात में कुछ नहीं दिखता है, लेकिन दिन में सिर्फ यह समझ आ जाता है कि रास्ता है और इसपर चलना है.


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