Udaipur में शुरू हुई वैज्ञानिकों की कार्यशाला, अब सूर्य से होने वाली घटनाओं का भारत करेगा 24 घंटे अध्ययन
Udaipur: एएस किरण ने बताया कि अब तक हम धरती के अलग-अलग स्थानों से 12 घंटे ही सूर्य पर होने वाली ग्रहीय गतिविधियों का अध्ययन कर पाते थे. मगर अब आदित्य एल-1 को लॉन्च किया जाएगा.
Udaipur News: उदयपुर (Udaipur) के फतह सागर झील (Fateh Sagar Lake) के मध्य स्थित सौर वेधशाला में तीन दिन की सौर भौतिकी कार्यशाला "बहु-स्तरीय सौर परिघटनाएं वर्तमान क्षमताएं और भावी चुनौतियां (यूएसपीडब्ल्यू -2023) की शुरुआत हुई है. इस कार्यशाला में देशभर के कई वैज्ञानिक भाग ले रहे हैं. इस कार्यशाला में मुख्य अतिथि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के पूर्व अध्यक्ष एएस किरण कुमार (A. S. Kiran Kumar) ने कार्यक्रम में सूर्य से जुड़ी कई जानकारियां दीं. उन्होंने बताया कि अब भारत सूर्य से होने वाली घटनाओं का 24 घंटे अध्ययन करेगा. इसके लिए तीन महीने में आदित्य एल-1 को लॉन्च किया जाएगा.
एएस किरण ने बताया कि अब तक हम धरती के अलग-अलग स्थानों से 12 घंटे ही सूर्य पर होने वाली ग्रहीय गतिविधियों का अध्ययन कर पाते थे. मगर अब आदित्य एल-1 को लॉन्च किया जाएगा. इसे अंतरिक्ष में ऐसी जगह स्थापित किया जाएगा, जहां से सूर्य पर होने वाली घटनाओं का 24 घंटे अध्ययन किया जा सकेगा. एल-1 की कक्षा पृथ्वी और सूर्य से दूरी की तुलना में पृथ्वी से यदि 1 प्रतिशत रहेगी तो सूर्य से 99 प्रतिशत. उदयपुर के फतहसागर झील के मध्य स्थित सौर वैधशाला की भूमिका भी इस मिशन में महत्वपूर्ण रहेगी. सूर्य से आने वाली रेडियो विकिरणों का ऑब्जर्वेशन इसी वेधशाला के माध्यम से किया जाएगा.
एक लुनार कार्यक्रम भी प्रस्तावित
उन्होंने बताया कि सूर्य से विकिरणों के साथ पार्टिकल्स भी आते हैं जिन्हें सोलर विंड कहा जाता है. अलग-अलग तरह की सोलर विंड पृथ्वी के वायुमंडल पर अलग-अलग प्रभाव डालती होंगी. इसका अध्ययन कर फायदे और नुकसान पर शोध किए जा सकेंगे. अगर नुकसान देने वाली सोलर वींड की जानकारी कुछ समय पहले हो जाएगी तो उसके समाधान के लिए हमारे पास कुछ वक्त होगा और बड़े नुकसान से बचने का प्रयास किया जा जाएगा. उन्होंने आगे बताया कि चंद्रयान-3 और एक्सपोसेट की तैयारी भी इसी साल की जा रही है. चंद्रयान- 2 के लेंडर में जो तकनीकी समस्याएं आई थीं उनमें सुधार कर लिया गया है. साथ ही नया लेंडर तैयार कर लिया है. इन दो मिशन के बाद जापान के साथ एक लुनार कार्यक्रम भी प्रस्तावित है जिस पर अभी मंथन चल रहा है.