Udaipur News: कोरोना संक्रमण से एक तरफ लोग पिछले दो साल से जूझ रहे हैं तो वहीं स्कूल बंद होने के कारण बच्चे भी मानसिक रूप से परेशान हो रहे हैं. इसी मानसिक और शारीरिक परेशानी को दूर करने के लिए बच्चों का खेल के प्रति रुझान बढ़ा है. उदयपुर के खेल गांव की बात करें तो स्विमिंग को छोड़कर बच्चे हर खेल को खेल रहे हैं क्योंकि स्विमिंग कोचिंग सरकार के आदेश से बन्द है. अभिभावक भी बच्चों को आगे बढ़कर खेलने के लिए भेज रहे हैं.
प्रसिद्ध है उदयपुर का खेल गांव
उनका कहना है कि बच्चे लंबे समय से घर पर हैं जिससे वह टीवी और मोबाइल के आदि हो गए हैं. इससे छुटकारा पाने और शारीरिक फिट रहने के लिए स्पोर्ट्स के लिए भेजा जा रहा है. उदयपुर का खेल गांव प्रदेशभर में अपना स्थान रखता है. यहां पर क्रिकेट स्टेडियम को छोड़कर सभी प्रकार के गेम हैं जिन्हें खेलने के लिए बच्चे आ रहे हैं.
कोविड नियमों का रखा जाता है ख्याल
बास्केटबॉल कोच ऊषा आचारज ने एबीपी को बताया कि बास्केटबॉल खेलने के लिए अभी 30 बच्चे एक बैच में आ रहे हैं. बच्चों को सुबह दो और शाम को दो घंटे ट्रेनिंग दी जा रही है. बड़ी बात यह है कि कोरोना काल होते हुए भी जब सरकार से छूट मिली तब बच्चों ने प्रैक्टिस की और राष्ट्रीय स्तर पर भी अपना नाम किया है. यहां आने वाले सभी बच्चों को कोरोना वैक्सीन लगी हुई है और जिसे भी हल्का जुखाम, खांसी या बुखार होता है तो उसे घर में आराम करने के लिए कह दिया जाता है.
अभिभावक खुद बच्चों को भेज रहे
उन्होंने आगे बताया कि अब तक एक भी केस ऐसा नहीं मिला जिसमें अभिभावकों ने खेलने के लिए मना किया हो. अभिभावक खुद आगे होकर बच्चों को भेज रहे हैं ताकि वो मोबाइल और टीवी से दूर रहे.
खिलाड़ी हर्ष नंदनी सिंह ने एबीपी को बताया कि जनवरी में राष्ट्रीय स्तर की जूनियर प्रतियोगिता में सिल्वर मेडल प्राप्त किया. इसके लिए माता पिता का काफी सपोर्ट रहा. कोरोना की टेंशन तो थी लेकिन कोरोना के प्रोटोकॉल का पालन किया और खेलकर आए. इस खेल गांव में ऐसे बच्चे भी हैं जो राजस्थान के ही अलग-अलग एकेडमी में खेलते थे. लेकिन वहां कोरोना के कारण सब बंद हो गया तो वह उदयपुर खेलने के लिए आए. साथ ही स्केटिंग के लिए भी कई छोटे बच्चे यहां खेलने के लिए आ रहे हैं.
ये भी पढ़ें-
Rajasthan: 7 मंजिला होटल की छत से मॉडल ने लगाई मौत की छलांग, 'शुक्र' है इस वजह से बच गई जान