Udaipur News: 12वीं के छात्र ने यूट्यूब पर सीखा चॉकलेट बनाना, एक साल में खड़ा किया 1.20 करोड़ का मार्केट
Rajasthan News: उदयपुर में सटार्टअप की एक बड़ी मिशाल देखने को मिली. 20 हजार रुपये से चॉकलेट बनाने की शुरुआत करने वाले छात्र का अब रोजाना प्रोडक्शन 500 किलो चॉकलेट का पहुंच गया.
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Udaipur Startup News: देश में एक तरह से स्टार्टअप का तूफान सा आ गया है. इसके लिए कई रियलिटी शो भी बन चुके है. यही नहीं कॉलेज में भी स्टार्टअप का एक फंड अलग से जारी होने लगा है. इसी कारण कई युवा अपने नए-नए आईडिया से स्टार्टअप खड़ा कर रहे हैं. उदयपुर में तो 12वीं कक्षा के छात्र ने एक चॉकलेट का स्टार्टअप शुरू किया, जिसने एक साल में ही लाखों का टर्न ओवर छू लिया. यही नहीं अब इनकी बनाई चॉकलेट एयरपोर्ट पर मिल पाएगी. क्योंकि यह बाजार में मिलने वाली अन्य चॉकलेट से अलग है.
यूट्यूब से सीखा चॉकलेट बनाना
इस युवक का नाम दिग्विजय सिंह है, जो हाल ही में 12वीं कक्षा से पास आउट है. दिग्विजय ने बताया कि कोरोना काल में स्कूल बंद थे, तब 10वीं कक्षा में पढ़ाई कर रहा था. घर बैठे ही आईडिया आया कि चॉकलेट कैसे बनाते हैं सीखा जाए. इसके लिये यूट्यूब पर वीडियो देखना शुरू कर दिये. फिर घर पर चॉकलेट बनाकर देखी, तो अच्छी लगी. पिछले साल 12वीं कक्षा पास की और फिर इसे व्यापार के रूप में खड़ा करने की सोचा. इसके लिए कॉलेज ज्वाइन नहीं किया और एक साल का गेप दिया. दिग्विजय ने कहा कि स्टार्टअप में उनके साथ महावीर सिंह भी हैं, जो उनका हेड ऑफ प्रोडक्शन है. फिर दोनों ने स्टार्टअप के रूप में छोटी मशीन मंगवाई, जिससे चॉकलेट का प्रोसेस हो सके. घर के ही बेसमेंट में प्रोडक्शन हाउस बना दिया.
उन्होंने चॉकलेट का नाम साराम रखा. शुरुआत में 20 हजार रुपये इसके लिए लगाए. साथ में एक महिला सहित तीन लोगों को टीम में शामिल किया. टीम में आने वालों को भी ट्रेनिंग दी और शुरुआत में रोजाना 5-10 किलो चॉकलेट बनाना शुरू किया. इसके बाद उदयपुर के बड़े होटल में संपर्क किया और वहां पर बेचना शुरू किया. वहां अच्छा रिस्पॉन्स मिला साथ मे मांगें भी बढ़ी. हाल ही में यह प्रोडक्शन 500 किलो चॉकलेट रोजाना तक पहुंच गया. इस साल 1.20 करोड़ रुपये का प्रोजेक्ट चल रहा है. साथ ही देश के 32 एयरपोर्ट पर भी यह चॉकलेट बिकेगी.
बाजार से अलग क्यों है?
दिग्विजय बताते हैं कि यह बाजार में मिलने वाली चॉकलेट से अलग है. हम केरल से कोको मंगवाते हैं और प्रोसेस करने के बाद उसमें शक्कड़ एड करते हैं. अगर फ्लेवर दूसरा देना है, तो फ्लेवर भी एड करते हैं. उन्होंने कहा कि न तो कोको को जलाते हैं और ना कोको में आने वाले कंटेंट को निकालते हैं, जो कॉस्मेटिक इंडस्ट्री में काम आता है. साथ ही यह भी मायने रखता है कि कोको का प्रोडक्शन कहां हो रहा है. क्योंकि कोको के पास अन्य की खेती होगी, तो उस खेती का भी इसमें असर पड़ेगा और कंटेंट आएंगे. इसलिए केरल से मंगवाते हैं, जिससे चैन लंबी नहीं होती और ताजा कोको मिलता है. इसे हम बी टू बार प्रकिया के तहत बनाते हैं, यानी बीज से लेकर पूरी प्रक्रिया हम खुद करते हैं.
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