Udaipur News: सभी जानते हैं कि देश की आजादी के बाद अंग्रेज अपनी कई विरासत हिंदुस्तान में छोड़कर गए हैं. इसी क्रम में एक नायाब मूर्ति उदयपुर के गुलाब बाग के पुस्तकालय भवन में पड़ी हुई है. यह मूर्ति है रानी विक्टोरिया की. रानी विक्टोरिया की मूर्ति के बारे में इतिहास के पन्नों में कुछ दर्ज नहीं है. लेकिन बताया जाता है कि ये मूर्ति करीब 100 साल पुरानी है. जैसी रानी विक्टोरिया दिखती थी, जैसा उनका पहनावा था मूर्ति भी हूबहू वैसी ही बनी हुई है. हालांकि पहले यह गुलाब बाग के सेंटर में स्थापित थी लेकिन इसे गुलामी का प्रतीक मानते हुए लोगों के विरोध के बाद भवन के अंदर रख दिया गया. तब से मूर्ति वहीं पड़ी हुई है.


गुलाब बाग पुस्तकालय के सेवानिवृत्त अधीक्षक ने दी ये जानकारी


गुलाबबाग पुस्तकालय के सेवानिवृत्त अधीक्षक ललित नलवाया ने एबीपी न्यूज़ को बताया कि मूर्ति काफी खूबसूरत बनाई गई है. आजादी से पहले इसे जहाज के जरिये हिंदुस्तान लाया गया था और फिर गुलाब बाग के बीच में स्थापित किया गया था. फिर जब देश आजाद हुआ और अंग्रेज चले गए. फिर लोगों ने मूर्ति का विरोध शुरू कर दिया. लोगों ने दास्तान-ए-गुलामी का प्रतीक बताते हुए मूर्ति को यहां से हटाने की मांग की. मूर्ति भारी होने के कारण क्रेन मंगवाई गई और उठाकर उसे कमरे के अंदर रखा गया है.


10 टन से ज्यादा वजन की है मूर्ति


नलवाया ने आगे बताया कि मूर्ति पूरी मार्बल से बनी हुई है और 10 टन से ज्यादा वजन है. उन्होंने यह भी बताया कि इस मूर्ति को किसी संग्रहालय में रखा जा सकता है जिससे पर्यटक आएं और इस मूर्ति को देखें. खास बात यह भी है कि पुस्तकालय भवन के सबसे बड़े हॉल का नाम आज भी रानी विक्टोरिया के नाम से ही जाना जाता है जिसे विक्टोरिया हॉल कहते है.


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