Udaipur Tourism: कोरोना के घटते मामलों के बीच, झीलों की नगरी उदयपुर में शुरू हो रहा समर टूरिज्म
राजस्थान के उदयपुर में कोरोना काल होते हुए भी सर्दीयों में रिकॉर्ड तोड़ टूरिस्म बढा हैं. जिसको देखते हुए अब पर्यटन विभाग समर टूरिस्म को बढ़ावा देने की शुरुआत करने वाला है.
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Udaipur Tourism: देश में कोरोना की रफ्तार बढ़ रही है लोग एक दूसरे से सोशल डिस्टेंसिग के बनाकर कोरोना से बच रहे हैं. लेकिन कोरोना काल होते हुए भी उदयपुर में सर्दीयों में रिकॉर्ड तोड़ टूरिस्म बढा हैं. अब पर्यटन विभाग समर टूरिस्म को बढ़ावा देने की शुरुआत करने वाला है. अगर आप अगले महीने (फरवरी) हल्की ठंड और हल्की गर्मी के बीच कहीं घूमने का प्लान बना रहे हैं तो झीलों की नगरी के नाम से मशहूर उदयपुर में आना आपके लिए सबसे अच्छा साबित होगा.
उदयपुर संभाग में है 7 सेंचुरी
दरअसल उदयपुर संभाग ही एक मात्र इस संभाग है जहाँ पर 7 सेंचुरी (वन अभयारण्य) है. यहां जंगल सफारी, ईको ट्रेल, ट्रेकिंग, जंगल के बीच नाईट स्टे जैसे एडवेंचर के लुफ्त उठा पाएंगे. इसके साथ ही पर्यटन विभाग, वन विभाग के साथ मिलकर इसकी शुरुआत करने जा रहा है. बता दें कि उदयपुर में पर्यटन विभाग की तरफ से सर्दी से पहले विंटर टूरिस्म को बढ़ावा देने के लिए कई ब्लॉगर और फोटोग्राफर को बुलाकर कार्यक्रम किये थे. इससे नवम्बर और दिसंबर में रिकॉर्ड 1.50 लाख से ज्यादा पर्यटक आए, जो पिछले दो दशकों में सबसे अधिक थे.
कोरोना के केस में आ रही है कमी
आपको बता दें कि यह प्लानिंग इसलिए की जा रही है कि राज्य में कोरोना के केस कम पड़ रहे हैं. जो कोरोना से संक्रमित मरीज मिल रहें है उनका इलाज घर से हो जा रहा है और मरीज घर पर इलाज के दौरान ठीक हो जा रहें हैं. कोरोना की तीसरी लहर में दूसरी लहर की तुलना में मरीजों की मौत नहीं हो रही है.जिसको देखते हुए राज्य सरकार ने कोरोना की पाबंदियों में ढील देना शुरू कर दिया है. इसको देखते हुए यह अनुमान लगाया जा रहा है कि मार्च की शुरुआत से पर्यटकों का आना शुरु हो जाएगा.
नया टूरिस्म हब बन रहा बांसवाड़ा
आपको बता दें कि उदयपुर संभाग भरपूर जैव विविधताओं से भरा हुआ है. यह सात अभयारण्य 2237 वर्ग किलोमीटर में फैले हुए हैं. प्रदेश में सबसे बड़ा जंगल भी उदयपुर जिले का ही है. बड़ी बात यह है कि राजस्थान में सिर्फ उदयपुर में ही उड़न गिलहरी, भालू, चौसिंगा और ऑर्किड पौधा पाया जाता है. इसके अलावा नया टूरिस्म हब बांसवाड़ा में ऐसी जगह है जहाँ गर्मियों में भी लद्दाक जैसे अनुभूति मिलती है.
जयसमंद अभ्यारण
उदयपुर शहर से 50 किलोमीटर दूरी पर स्थित जयसमंद अभ्यारण्य जो कि 52 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है. आपको बता दें कि यहां पर एशिया के सबसे बड़े मीठे पानी का झील है. पैंथर, सांभर, चिंकारा, चीतल, जंगली सुअर, लोमड़ी, जरख, सियार, अजगर सहित अन्य वन्यजीव है.
सज्जनगढ़ वन्यजीव अभयारण्य
यह उदयपुर शहर से सटा हुआ अभयारण्य है जो 5.19 वर्ग किलोमीटर में फैला है. इससे सात 27.9 वर्ग किलोमीटर एरिया इको सेंसिटिव जोन घोषित है. यहां पहाड़ी पर एतिहासित सज्जनगढ़ फोर्ट है और पहाड़ी के नीचे बायोलॉजिकल पार्क ( चिड़ियाघर) है. यहां के सड़कों पर पैंथर सहित अन्य वन्यजीव घूमते हुए दिखाई देते हैं.
बस्सी अभयारण्य
यह चित्तौड़गढ़ जिले में कोटा हाईवे से कुछ ही दूर है. 138.69 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है. यहां वन्यजीवों के साथ धोक और खेर के पेड़ सबसे ज्यादा पाए जाते हैं.
कुम्भलगढ़ अभयारण्य
यह राजसमन्द और उदयपुर सीमा पर 610.52 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ सबसे बड़ा अभयारण्य है. आपको बता दें कि यही वह जगह है जहां पर टाइगर रिजर्व बनाने लिए सरकारी महकमे में बात चल रही है जो अंतिम दौर पर है. यहां पर विश्व प्रसिद्ध कुम्भलगढ़ किला है. चीन के बाद दूनियां में यही सबसे बड़ी दीवार है. इस अभयारण्य में पैंथर से लेकर सभी प्रकार के वन्य जीव है.
फुलवारी की नाल
उदयपुर शहर से 70 किमी दूर 511.41 वर्ग किमी में फैला हुआ है. प्रदेश में सिर्फ यही पर आर्केड पौधा उगता है.
टॉडगढ़-रावली अभयारण्य
राजसमन्द की सीमा पर 495.57 वर्ग किमी में फैला हुआ है. यहां जंगली मुर्गा काफी तादात में है जो आसानी से दिख सकता है. अरावली पर्वत श्रृंखला का सबसे ऊंचा भील बेरी झरना है.
सीता-माता अभयारण्य
प्रतापगढ़ जिले में यह 424 वर्ग किमी में फैला हुआ है. यहां पर मकड़ियों की प्रजाति जॉइंट वुड स्पाइडर है जो अपने जाले से चिड़िया तक को फसा देती है. मुख्यरूप से उड़न गिलहरी के लिए प्रसिद्ध है.
प्रर्यटन को बढ़ावा देने का है लक्ष्य
पर्यटन विभाग की उपनिदेशक शिखा सक्सेना ने बताया कि विंटर के जैसे समर टूरिस्म को बढ़ावा देने की प्लानिंग कर रहे हैं. जिस प्रकार से विंटर में रिकॉर्ड पर्यटक आए उसी प्रकार हमें यह अनुमान है कि लोग उदयपुर को काफी पसंद कर रहे हैं. इसी कारण अब नया आयाम स्थापित करने के लिए समर टूरिस्म को बढ़ावा देंगे.
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