Rajasthan Latest News: उदयपुर शहर झीलों, महलों और अपनी खूबसूरती के लिए प्रसिद्ध है. यहां हर साल लाखों टूरिस्ट आते हैं. हर साल टूरिस्ट का आंकड़ा भी बढ़ता जा रहा है. ऐसे में पर्यटन विभाग, वन विभाग और प्रशासन भी नई-नई एक्टिविटी लेकर आ रहे हैं. लेकिन एक एक्टिविटी जिसे लोग करना चाहते हैं लेकिन बड़े स्तर पर प्रमोशन नहीं हो रहा है. वो है ट्रैकिंग..


उदयपुर हर तरफ से अरावली की पहाड़ियों से घिरा हुआ है. वैसे देखा जाए तो हर पहाड़ पर ग्रामीणों के आने जाने की वजह से ट्रैकिंग हो सकती है. लेकिन निजी ट्रैकिंग कंपनियों द्वारा ट्रैकिंग स्पॉट तलाश किए हुए हैं. वहीं वन विभाग की बात करे तो सरकारी ट्रैकिंग 1 या 2 ही है. इसका भी बड़े स्तर पर प्रचार नहीं होने के कारण पर्यटकों को जानकारी नहीं मिल पा रही है.




‘सरकारी विभागों को ध्यान देने की जरूरत’
निजी ट्रैकिंग एक्सपर्ट भानुप्रताप ने बताया कि उदयपुर में हर तरफ ट्रैकिंग स्पॉट है, फिर भी स्पेशल ट्रैकिंग के लिए स्थान तय किए हुए है. कोई भी हमसे संपर्क करता हैं तो उन्हें अलग-अलग ट्रैकिंग पर ईको ट्रेल पर ले जाते हैं. उदयपुर में ट्रैकिंग की काफी संभावना है. यहां हर साल हजारों विदेशी पर्यटक आते हैं. जिन्हें ट्रैकिंग पसंद है लेकिन उन्हें जानकारी नहीं मिल पाती. सरकारी विभागों द्वारा ट्रैकिंग के तरफ ध्यान दिया जाए तो फायदा होगा. हालांकि वन विभाग इस और काम कर रहा है. एक ट्रैकिंग स्पॉट तो विकसित कर दिया है और दूसरा किया जा रहा है.




‘ट्रैकिंग के लिए सर्दियों का समय सबसे बेहतर’
भानुप्रताप ने बताया कि  ट्रैकिंग का सबसे बेहतर समय अक्टूबर से शुरू हो जाता है. जिसके लिए हमने अभी से तैयारियां शूरू कर दी है. अक्टूबर से लेकर मार्च तक ट्रैकिंग बेहतर होती है. इधर सरकारी ट्रैकिंग की बात करें तो सज्जनगढ़ अभ्यारण्य के पास है 6 किलोमीटर का एरिया है वहां 300 रुपए में ट्रैकिंग करवाई जाती है. यहां लोग पहुंचते भी है.




उदयपुर में इन जगहों पर होती है ट्रैकिंग
सज्जनगढ़ अभ्यारण्य, फूलों की घाटी, गोगुंदा हाईवे धूणी माता मंदिर, घसियार श्रीनाथ मंदिर, बाघदडा नेचर पार्क ये उदयपुर की वो जगह है जहां ट्रैकिंग करवाई जाती है.


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