World Child Labor Prohibition Day News: आज दुनियाभर में विश्व बाल श्रम निषेध दिवस मनाया जा रहा है. दुनियाभर के बच्चों को बाल मजदूरी के धंधे से निकालने के लिए इस दिवस को मनाने की शुरुआत हुई थी, लेकिन आज इतने वर्षों के बाद भी हालातों में कोई ज्यादा सुधार नहीं आया है. बात अगर केवल भारत की करें तो पिछले 6 सालों में देश में 7 करोड़ बाल श्रमिक बढ़ गए हैं. अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन आईएलओ और यूनिसेफ के अनुसार वर्ष 2016 में देशभर में करीब 9.40 करोड़ बाल श्रमिक थे जो अब बढ़कर 16 करोड़ हो गए हैं. ये तो केवल एक अनुमान है, हकीकत में बाल श्रमिक देश में इससे कहीं ज्यादा हो सकते हैं.
इस प्रदेश में सबसे ज्यादा बाल मजदूर
आंकड़ों पर नजर डालें तो सबसे ज्यादा बाल श्रमिक सीएम योगी आदित्यनाथ के प्रदेश उत्तर प्रदेश में हैं. इसके बाद बिहार और तीसर नंबर पर राजस्थान में हैं. उत्तर प्रदेश में 8.96 लाख, बिहार में 4.51 लाख और राजस्थान में 2.52 लाख बाल श्रमिक हैं. राजस्थान के श्रम विभाग के अनुसार इस साल 7 जिलों में सर्वे किया गया जिसमें जयपुर में सबसे ज्यादा बाल श्रमिक पाए गए, दूसरे स्थान पर कोटा और फिर तीसरे पर उदयपुर में सर्वाधिक बाल मजदूर है. बड़ी बात ये है कि राजस्थान में सबसे ज्यादा बाल श्रमिक उदयपुर संभाग में हैं. इसके पीछे कारण है गुजरात. बॉर्डर होने के कारण संभाग से आदिवासी बच्चों को मजदूरी के लिए यहां जाया जाता है.
आखिर क्यों बढ़ रही है बाल श्रमिकों की संख्या
बाल श्रम बढ़ने के पीछे गरीबी तो है ही लेकिन सख्ती से कार्रवाई ना होना भी इसका प्रमुख कारण है. पुलिस बाल श्रमिक को रेस्क्यू कर उनके माता पिता के सुपुर्द कर देती है, लेकिन माता पिता गरीबी के चलते अपने बच्चे को फिर से बाल मजदूरी में धकेल देते हैं. नियोक्ता पर कड़ी कार्रवाई न होना भी इसका प्रमुख कारण है.
आज घोषित करेंगे बालश्रम मुक्त प्रतिष्ठान
बाल श्रम के गढ़ कहे जाने वाले उदयपुर में आज बाल श्रम निषेध दिवस मनाया जाएगा और आज से ही बाल श्रम मुक्ति अभियान की शुरुआत होगी. राजस्थान बाल आयोग के सदस्य शैलेन्द्र पंड्या ने बताया कि इसमें जागरूकता तो फैलाई जाएगी ही साथ ही बाल श्रम मुक्त प्रतिष्ठान भी घोषित किये जाएंगे. जो प्रतिष्ठान बाल श्रम करवाते पाया गया उसके खिलाफ कड़ा एक्शन लिया जाएगा.
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