Udaipur: एक साल की बच्ची की सांस नली में फंसा घड़ी का लॉक, एक्स-रे कराया तब हुआ खुलासा, फिर जो हुआ...
Rajasthan: बच्ची का ऑपरेशन करने वाले डॉक्टर ने बताया कि बच्ची सांस नहीं ले पा रही थी और उसका ऑक्सीजन सेचुरेशन 30 तक पहुंच गया था. उन्होंने कहा कि उनके पास इतना भी समय नहीं था कि उसे बेहोश किया जा सके.
Udaipur News: उदयपुर (Udaipur) संभाग के डूंगरपुर जिले में स्थित राजकीय हॉस्पिटल में एक असामान्य ऑपरेशन हुआ है जिससे सुनकर हर कोई हैरान है. यहां एक साल की बच्ची ने हाथ घड़ी का लॉक निगल लिया, यह लॉक उसकी सांस की नली में फंस गया. बच्ची के लिए डूंगरपुर मेडिकल कॉलेज (Dungarpur Medical College) के ईएनटी विभाग के वरिष्ठ सर्जन डॉ. कनक यादव मसीहा बने और उन्होंने दो मिनट में ऑपरेशन कर बच्ची के गले से वह लॉक निकालकर उसकी जान बचा ली.
30 तक पहुंच चुका था ऑक्सीजन सेचुरेशन स्तर
डॉ. कनक यादव ने एबीपी को बताया कि वह सामान्य दिनों की तरह ओपीडी में पेशेंट को देख रहे थे. मरीजों की लाइन लगी हुई थी उसी लाइन में उन्होंने एक महिला को एक बच्ची के साथ देखा. डॉक्टर कनक ने बताया कि उन्हें दूर से ही महसूस हो गया था कि कुछ बड़ी समस्या है. उन्होंने कहा कि बच्ची बेसुध अवस्था में थी और सांस नहीं ले पा रही थी. डॉक्टर ने कहा कि सभी उन्होंने सबसे पहले उसी बच्ची को बुलाया और उसका तुरंत डिजिटल एक्स-रे करवाया.
एक्सरे में सामने आया कि बच्ची की श्वास नली में लॉक फंसा हुआ है. बच्ची को बिना देर किए ऑपरेशन थिएटर में ले जाया गया. फिर लेरिंगोस्कोपी और ब्रुगोस्कोपी तकनीक के माध्यम से बच्ची की सांस नली से लॉक को बाहर निकाला. लॉक के बाहर निकालते ही बच्ची सामान्य हो गई.
'बहुत रिस्की होता है ऑपेरशन'
डॉ. यादव ने बताया कि यह काफी रिस्की ऑपरेशन होता है. इस ऑपरेशन में नली में पतले तार के माध्यम से कैमरे को भेज जाता है और फिर उस धातु को निकाला जाता है. थोड़ी सी भी देर हो जाए तो व्यक्ति की जान जा सकती है. उन्होंने कहा कि इस केस में तो इतना भी समय नहीं था कि बच्ची को बेहोश किया जाए क्योंकि बच्ची का ऑक्सीजन लेवर 30 तक पहुंच गया था जबकि इसका सामान्य स्तर 100 होता है.
उन्होंने बताया कि सांस की नली तक के हिस्से को लेरिंगोस्कोपी और उससे नीचे छाती तक के हिस्से को ब्रुगोस्कोपी कहा जाता है. वहीं बच्ची की मां लोलकपुर निवासी बबिता मीणा ने बताया कि बच्ची खेलते-खेलते खांसने लगी. तभी वह समझ गईं कि उसने कुछ खा लिया है. इसके बाद वे तुरंत उसे हॉस्पिटल लेकर गईं. उन्होंने कहा कि बच्ची का ऑपरेशन पूरा होने में 6 मिनट का समय लगा, अब उनकी बच्ची पूरी तरह स्वस्थ है.
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