दुबई में नौकरी करने गए उदयपुर के एक युवक का अपहरण हो गया. यहीं नहीं कई दिन तक उसे सुनसान जगह एक विला में बंधक भी बनाकर रखा. युवक के घर पर फोन लगाकर 15 लाख रुपए की फिरौती भी मांगी गई. परिजन स्थानीय लोगों की सहायता से केंद्र सरकार के पास पहुंचे और युवक अपहरणकर्ताओं के चंगुल से निकलकर अपने देश लौटा. यहां लौटने के बाद उसने अपनी आप बीती बताई. जानिए ऐसा क्या हुआ था.


नौकरी की तलाश में गया था दुबई


युवक का नाम पवनदास वैष्णव है, जो उदयपुर जिले के वल्लभनगर सियाखेड़ी के रहने वाले है. पवन के भाई जगदीश वैष्णव ने एबीपी को बताया कि भाई पवन नौकरी की तलाश में 15 जुलाई को दुबई गया था. वहां परिचितों की मदद से काम कर रहा था लेकिन अच्छे काम की तलाश भी कर रहा था. एक दिन परिचितों के माध्यम से श्रीलंका का एक आदमी मिला. नौकरी की तलाश में उसने पवन की अन्य लोगों से मिलवाया. फिर वह उन लोगों के साथ गया.


सुनसान जगह स्थिति विला में ले गए और बंधक बनाया


जगदीश वैष्णव ने आगे बताया कि जिन लोगों के साथ पवन गया था उन्होंने गाड़ी एक सुनसान जगह विला में रुकवाई. इस दौरान भी वह हमसे बात करता था लेकिन जब हम कॉल करते थे तो वह नहीं उठाता. इसके लिए उससे पूछते तो वह कहता की कंपनी ने व्यस्त रहता हूं. कुछ दिन तक ऐसा ही चलता रहा लेकिन हमे शक भी हुआ कि कुछ गड़बड़ है. फिर 21 सितंबर को मामला साफ हो गया. उसने कॉल करके कहा की मैं फंसा हुआ हूं 7 लाख रुपए भेजो. यह सुनकर घरवाले सभी घबरा गए. फिर दुबारा कॉल आया तो उसने 15 लाख रुपए की डिमांड रखी. साथ ही धमकी भी दी. राशि ऑनलाइन ट्रांसफर करने की बोल रहे थे.


स्थानीय लोगों से लेकर सांसद सीपी जोशी और रेल मंत्री तक पहुंचे


जगदीश वैष्णव ने आगे बताया कि ऐसी बात सुनकर घरवाले घबरा गए. पहले स्थानीय पुलिस से संपर्क किया. रिपोर्ट भी दी लेकिन यहां से उचित सहायता नहीं मिल पाई. इसके बाद केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी और साथ ही भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी से बात की.दिल्ली में कैलाश चौधरी से मिले और सीपी जोशी ने अपने भवन ने दिल्ली में रूकवाया.फिर रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने मिलने का समय दिया. पूरी डिटेल लिखित में मेल की गई और उन्हें भी दी.उन्हें पूरे मामले की जानकारी दी गई. उन्होंने तुरंत ही एक्शन लिया.


हड़बड़ाहट में एयरपोर्ट से आधा किमी दूर छोड़कर भागे अपहरणकर्ता


जगदीश वैष्णव ने आगे बताया कि मंत्री अश्विनी वैष्णव ने दूतावास से संपर्क किया और आगे की कार्यवाही की गई. फिर रविवार को भाई अपने वतन लौटा. भाई ने आकर यह पूरी कहानी बताई. उसने यह भी बताया की वह 4 लोग थे. शायद कार्यवाही की उनको भनक लग गई थी इसलिए उन्होंने हड़बड़ाहट में मुझे गाड़ी में बैठाया और एयरपोर्ट के आधा किलोमीटर दूर छोड़कर भाग गए.