Rajasthan Assembly Election 2023: राजस्थान में विधान सभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (CM Ashok Gehlot) और केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत (Gajendra Singh Shekhawat)के बीच वाक युद्ध छिड़ गया है.मुख्यमंत्री ने जहां पिछले दिनों जोधपुर में संजीवनी क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसाइटी (Sanjivani Credit Cooperative Society) मामले पर मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को घेरा,वहीं इन आरोपों का जवाब देने के लिए अब खुद गजेंद्र सिंह मैदान में उतर गए हैं. उन्होंने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि यह उनका चरित्र हनन कर राजनीतिक रूप से मुझे कमजोर करने का षड्यंत्र है. उन्होंने कहा कि जांच एजेंसी को टूल के रूप में इस्तेमाल करने का काम राजस्थान के मुख्यमंत्री कर रहे हैं. 


क्या कांग्रेस की सरकारों में हुआ घोटाला


शेखावत ने कहा कि संजीवनी क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसाइटी मध्य प्रदेश,गुजरात,राजस्थान समेत कई अन्य राज्यों में काम करती है. सोयायटी का जब पंजीकरण हुआ था, उस समय राजस्थान और दिल्ली में कांग्रेस की सरकार थी. सोसायटी को मल्टीस्टेट कैटेगरी का दर्जा भी 2013 में मिला,उस समय भी दिल्ली में कांग्रेस की सरकार थी. उन्होंने कहा कि 2018 में क्रेडिट को-आपरेटिव सोसाइटी के संचालक और उससे हुए घाटाले के मुख्य अभियुक्त कांग्रेस पार्टी के टिकट पर पचपदरा विधानसभा से चुनाव लड़ने की पूरी कोशिश कर रहे थे. बकायदा,लाखों रुपए खर्च कर अखबारों में फुल पेज के विज्ञापन दिए गए. उन्होंने कहा कि संजीवनी क्रेडिट को-आपरेटिव सोसायटी पर 23 अगस्त 2019 में एफआईआर दर्ज हुई थी. राजस्थान सरकार के अधीन कार्य कर रही पुलिस ने मामले की जांच की. इस मामले में पहली चार्जशीट दिसंबर 2019, दूसरी फरवरी 2020 और तीसरी चार्जशीट 7 फरवरी 2023 को दाखिल की गई. चार्जशीट हजारों पन्ने की है. शेखावत ने कहा कि इन हजारों पन्नों की चार्जशीट में ना तो मुझे,ना ही मेरे परिवार के किसी सदस्य को अभियुक्त बनाया गया है. ऐसे में मुख्यमंत्री सार्वजनिक रूप से झूठ बोलकर कहीं पुलिस को कोई संकेत तो नहीं दे रहे हैं? शेखावत ने कहा कि मुख्यमंत्री अपने बेटे की हार का खीझ तो नहीं उतार रहे हैं?


चार्जशीट में किसको आरोपी बनाया गया है


केंद्रीय मंत्री शेखावत ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के उस बयान का जिक्र किया,जिसमें मुख्यमंत्री ने निवेशकों का पैसा वापस पाने के लिए कानून में संशोधन की बात कही थी. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री को किसी भी तरह के कानून में संशोधन की आवश्यकता नहीं है. देश की संसद ने 2019 में एक कानून पारित किया था,उस कानून को केवल लागू करने की जरूरत है. 2019 में संसद ने अनियमित जमा योजनाओं पर प्रतिबंध अधिनियम, 2019 पारित किया था. संसद में पारित होने के बाद देशभर में यह कानून लागू किया गया. इस एक्ट में स्पष्ट रूप से कंपनी,सोसाइटी,चिट फंड कंपनी आदि द्वारा किए गए फ्रॉड में निवेशकों का पैसा वापस लाना सुनिश्चित किया गया है. एक्ट में इस तरह के मामलों में एफआईआर दर्ज होते ही तत्काल सक्षम प्राधिकारी को सूचित करने के निर्देश दिए गए हैं. अनेक राज्यों ने सक्षम प्राधिकारी नियुक्त कर दिए हैं, लेकिन अभी तक राजस्थान सरकार ऐसा नहीं कर पाई है.एक्ट में इस तरह के मामलों की जांच सीबीआई से कराने की बात कही गई है. सीबीआई की पहली प्राथमिकता निवेशकों का पैसा वापस पाने की होगी. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यदि राजस्थान की सरकार निवेशकों का पैसा वापस लाने के प्रति गंभीर है तो उसे तत्काल संसद द्वारा पारित कानून को लागू करना चाहिए.


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