राजस्थान लोकसभा चुनाव में दिग्गज नेताओं के हारने के बाद अब क्या हैं उनके सियासी हालात? समझें
Rajasthan Lok Sabha Election Result: राजस्थान की राजनीतिक गलियारों में सवाल है कि वैभव गहलोत, ज्योति मिर्धा, सुखबीर सिंह जौनपुरिया और प्रह्लाद गुंजल लोकसभा चुनाव में हार के बाद क्या करेंगे.
Rajasthan Lok Sabha Election Result: राजस्थान में इस बार लोकसभा चुनाव में कई दिग्गजों को हार मिली. उसके बाद उनके सियासी करियर की चर्चा तेज है. जिसमें राजस्थान के कई दिग्गज हैं जो कई बार के सांसद-विधायक रहे हैं. कुछ तो बड़े राजनीतिक परिवार से आते हैं. मगर, अब चुनाव में जीत न मिलने से उन्हें कई वर्षों का इंतजार करना पड़ सकता है. इसके लिए अब एक तरह का बड़ा सन्नाटा है.
अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत, महेंद्रजीत मालवीया, ज्योति मिर्धा, सुखबीर सिंह जौनपुरिया, प्रह्लाद गुंजल, कैलाश चौधरी, प्रताप सिंह खाचरियावास, सुमेधानन्द सरस्वती आदि ऐसे नाम हैं जो राजस्थान में पिछले कई वर्षों से विधायक और सांसद बन रहे हैं. मगर, इस चुनाव में इन्हें बहुत कम मतों से हार मिली है. इसलिए ये अब क्या करेंगे? इसको लेकर सवाल उठ रहे हैं.
दिग्गज कांग्रेसी क्या करेंगे?
वैभव गहलोत इस बार जालोर-सिरोही से लोकसभा का चुनाव हार गए हैं. दूसरी बार वैभव को चुनाव में हार मिली है. इसके बाद अब उन्हें संगठन में ले जाने की तैयारी है. इसके लिए अब दिल्ली तक की दौड़ हो रही है. कोई चुनाव करीब न होने की वजह से अब संगठन ही उनके लिए एक सहारा है.
प्रह्लाद गुंजल विधायक रहे हैं. मगर, इस बार उन्हें लोकसभा चुनाव में 45 हजार मतों से हार मिली है. ऐसे में अब चर्चा है कि वो किसी न किसी सीट से मैदान में उतर सकते हैं. प्रताप सिंह खाचरियावास दो बार के विधायक रहे हैं. कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं. इस बार उन्हें लोकसभा चुनाव में हार मिली है. अब उन्हें भी संगठन ही एक आस दिख रही है.
बीजेपी के दिग्गज हार गए चुनाव
महेंद्रजीत मालवीया कई बार विधायक और सांसद रह चुके हैं. राजस्थान सरकार में कैबिनेट मंत्री भी रह चुके हैं. उन्हें भी इस बार चुनाव में हार मिली है. उन्हें भी संगठन ही एक आस दिख रही है. वहीं, पूर्व सांसद ज्योति मिर्धा कई बार चुनाव हार गईं. विधानसभा का चुनाव हारने के बाद अब लोकसभा का चुनाव हार गई हैं. उन्हें भी संगठन में राह दिख रही है.
सुखबीर सिंह जौनापुरिया टोंक-सवाईमाधोपुर से दो बार के लगातार सांसद रहे हैं. अब उन्हें हरियाणा की सीट से विधानसभा में उतारा जा सकता है. कैलाश चौधरी केन्द्रीय मंत्री रह चुके हैं. अब उन्हें भी संगठन की राह दिख रही है. सीकर से दो बार के लगातार सांसद सुमेधानन्द सरस्वती को भी चुनाव में हार मिली है. उन्हें फिलहाल भी कोई राह नहीं दिख रही है.
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