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Van Mahotsav 2023: जोधपुर की भूतेश्वर नर्सरी, जहां पौधों को सुनाई जाती है हनुमान चालीसा और भगवत गीता, जानें क्यों

Jodhpur: भूतेश्वर नर्सरी में 6 लाख 50 हजार पेड़ पौधे तैयार किए गए हैं. इस नर्सरी पेड़-पौधे खासतौर से तैयार किए जाते हैं. इन पौधों को संगीत भगवत गीता और सुंदरकांड सुनाई जाती है.

Van Mahotsav: वन महोत्सव (Van Mahotsav) की शुरुआत एक जुलाई शनिवार से हो चुकी है. साथ ही पौध नर्सरी से पौधों का वितरण किया जाना भी शुरू हो चुका है. हम आपको जोधपुर (Jodhpur) में एक ऐसी नर्सरी के बारे में बताएंगे, जहां पर पेड़-पौधों को खाद के साथ भगवत गीता, सुंदरकांड, रामायण गायत्री मंत्र और महामृत्युंजय मंत्र सुनाया जाता है. ये है जोधपुर की भूतेश्वर नर्सरी. भूतेश्वर नर्सरी के इंचार्ज जगदीश पुरोहित ने बताया कि वन विभाग जोधपुर ने इस साल वन महोत्सव के लिए 27 लाख से भी अधिक छायादार, फलदार और खूबसूरत दिखने वाले पौधे तैयार किए हैं.

भूतेश्वर नर्सरी में 6 लाख 50 हजार पेड़ पौधे तैयार किए गए हैं. भूतेश्वर नर्सरी में तैयार होने वाले पेड़-पौधे खासतौर से तैयार किए जाते हैं. खाद पानी और रखरखाव के साथ संगीत भगवत गीता, सुंदरकांड, रामायण गायत्री मंत्र और महामृत्युंजय मंत्र सुनाकर इन पेड़-पौधों की परवरिश की जाती है. नर्सरी में शीशम, सीताफल, वोगनबेलिया, करंज, अमरूद, पिली कनेर, सफेद आक, सेमल, अनार, जगरूपा, पीपल, आंवला, रातराणी, ईमली, गुड़हल, बड़,पपीता, चान्दनी, बास, जामुन, गुलाब, प्लेटफार्म, निम्बू, क्रोटोन, कचनार, बीलवपत्र, चम्पा, गुलमोहर, मिठी बादाम, अलस्ट्रोनिया पारस पीपल और केशियाश्यामा के पौधे  तैयार हैं.


Van Mahotsav 2023: जोधपुर की भूतेश्वर नर्सरी, जहां पौधों को सुनाई जाती है हनुमान चालीसा और भगवत गीता, जानें क्यों

पौधों को किया जाता है बच्चों की तरह तैयार
नर्सरी में काम करने वाली पप्पू देवी ने बताया कि यहां तैयार होने वाले पेड़-पौधों को लेने के लिए आम लोगों के साथ भारतीय सैनिक भी तैयार रहते हैं. अधिकतर ग्रामीण, आर्मी के सैनिक और बीएसएफ के जवान भारी मात्रा में यहां से पौधे लेकर जाते हैं. उन्होंने बताया कि भूतेश्वर नर्सरी में सबसे बड़ी बात यह है कि पौधे नेचुरल वातावरण में तैयार किए गए हैं, जिससे कि इन पौधों के पनपने में किसी तरह की परेशानी नहीं रहती है. इन पौधों को बच्चे की तरह तैयार किया जाता है. इस दौरान नर्सरी में आर्मी के मेजर महिपाल सिंह पेड़-पौधे लेने के लिए अपने जवानों के साथ आए हुए थे. 

क्यों शुरू किया गया वन महोत्सव
उन्होंने बताया कि हर साल हम लोग यहां से पौधे लेकर जाते हैं. हमारे और आपके जीवन के लिए पेड़-पौधे जरुरी है. हम इन पौधों को खाली जगह पर लगाते हैं. इससे हरियाली रहती है और तापमान भी कम रहता है. साथ ही इन पेड़-पौधों से पशु पक्षियों को भी राहत मिलती है. उन्होंने बताया कि हमने 14 से पौधे लिए हैं. यह पौधे जलते नहीं और लंबे चलते हैं. जब भी हम यहां पर पौधे लेने के लिए आते हैं, तो यहां पर सुंदरकांड हनुमान चालीसा जैसे भजन चलते रहते हैं. बता दें भारत में पेड़-पौधों से जुड़े सभी त्योहार मनाए जाते हैं. इनमें से ही एक है वन महोत्सव. इसे धरती माता को बचाने के महान उद्देश्य के साथ धर्म युद्ध के रूप में शुरू किया गया था.

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1950 में हुई थी वन महोत्सव की शुरुआत
वन महोत्सव की शुरुआत 1950 में तत्कालीन केंद्रीय कृषि और खाद्य मंत्री के एम मुंशी द्वारा की गई थी. उन्होंने इसकी शुरुआत इसलिए की थी, ताकि लोगों में वन संरक्षण और पेड़ लगाने को लेकर उत्साह पैदा हो. यह वन महोत्सव एक जुलाई से शुरू हुआ है और सप्ताह भर तक चलेगा. ये महोत्सव भारत के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग दिन मनाया जाता है. वन महोत्सव सप्ताह के दौरान के दौरान प्रत्येक नागरिक से एक पौधा लगाने की अपेक्षा की जाती है. 

यही नहीं इस दौरान लोगों को पेड़ों से होने वाले लाभ और उनसे मिलने वाली सुरक्षा के बारे में बताया जाता है. साथ ही पेड़ों को काटने से होने वाले नुकसान के बारे में बताने के लिए भी जागरूकता अभियान चलाए जाते हैं.

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