Udaipur News: कलाकार अपनी कला के दम पर दुनियाभर में पहचाने जाते हैं. ऐसे ही एक कलाकार हैं उदयपुर निवासी 72 साल के वर्धमान छाजेड़. वर्धमान एक ऐसे पदार्थ से आकृतियां बनाते हैं, जिससे पूरी दुनिया में कोई काम नहीं करता. वो समुद्र के पानी के किनारों से टकराने वाले झाग से कलाकृतियां बनाते हैं. इस काम को वे 12 साल की उम्र से कर रहे हैं. छाजेड़ की कलाकृति राष्ट्रपति भवन तक में लगी है.
वर्धमान छाजेड़ कबसे कर रहे हैं यह काम
वर्ल्ड रिकॉर्ड हासिल करने वाले वर्धमान छाजेड़ उदयपुर शहर के अशोक नगर में रहते हैं.उन्होंने बताया कि इंजीनियर बनने जा रहा था, लेकिन पिता ने मना कर दिया.इसके बाद यहीं स्थानीय स्तर पर पढ़ाई की.छोटा था तो मिट्टी की मूर्तियां बनाता था.समुद्री झाग घर मे कांच साफ करने के काम में लेते थे.फिर इसी से बनाना शुरू कर दिया.अब बनाते बनाते 60 साल हो गए हैं.
छाजेड़ बताते हैं कि अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री थे तब उदयपुर आए थे.बीजेपी कार्यकर्ताओं ने मेरी बनाई तस्वीर उन्हें भेंट की थी.बाद में अटल जी का एक इंटरव्यू छपा था. इसमें उनके उनके आवास की फोटो भी था.उस फोटो में टेबल पर रखी मेरी बनाई तस्वीर दिखाई दे रही थी.बाद में फिर ऐसी ही तस्वीर राष्ट्रपति भवन के लिए भी मंगवाई गई.उन्होंने यह भी बताया कि देश में उनके कई क्लाइंट तो हैं ही,इसके अलावा अमेरिका, कनाडा समेत दुनिया के कई देशों में भी उनके बनाए तस्वीरों की मांग है.
एक कलाकृति बनाने में कितना समय लगता है
उन्होंने बताया कि समुद्री झाग कहीं पर भी आसानी से मिल जाता है.मेरे पास भी इसका पहले एकत्र किया हुआ स्टॉक है. उसी से आकृतियां बनाता हूं. उन्होंने बताया कि यह समुद्री झाग इतना सॉफ्ट होता है कि थोड़ा हाथ का ज्यादा प्रेशर चला जाता है तो टूट जाता है.यहीं नहीं कई बार ऐसा हुआ कि आकृति अंतिम स्तर पर थी और टूट गई,फिर से उसे दोबारा बनाने की शुरुआत करनी पड़ी.उन्होंने बताया कि आकृतियों पर निर्भर है कि उसपर कितना समय लगेगा. अगर आकृति छोटी है तो हफ्तेभर में बन जाती है.और थोड़ी बड़ी बनानी होती हो तो दो-तीन साल तक लग जाते हैं.उन्होंने बताया कि मेरे पास 1500 रुपये से लेकर छह-सात लाख रुपये मूल्य की तस्वीरें हैं.
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