'...आज तो लोग उसी अंगुली को पहले काटने का प्रयास करते हैं', वसुंधरा राजे ने इशारों-इशारों में कह दी बड़ी बात
Vasundhara Raje News: उदयपुर में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान पूर्व सीएम वसुंधरा राजे ने कहा कि आज तो लोग उसी अंगुली को पहले काटने का प्रयास करते हैं, जिसको पकड़ कर वह चलना सीखते हैं.
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Vasundhara Raje News: लोकसभा चुनाव के नतीजों के कुछ दिन बाद राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी नेता वसुंधरा राजे ने अपने विरोधियों पर इशारों ही इशारों में हमला बोला है. उदयपुर में एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा कि आज तो लोग उसी अंगुली को पहले काटने का प्रयास करते हैं, जिसको पकड़ कर वह चलना सीखते हैं. उदयपुर में आयोजित सुन्दर सिंह भण्डारी चैरिटेबल ट्रस्ट के कार्यक्रम के दौरान उन्होंने ये बात कही.
जानकारी के मुताबिक बीजेपी की कद्दावर नेता और पूर्व सीएम उदयपुर में विशिष्ट जन सम्मान समारोह के एक कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंचीं थीं. इस दौरान उन्होंने कहा, ''वफा का वह दौर अलग था. आज तो लोग उसी अंगुली को पहले काटने का प्रयास करते हैं, जिसको पकड़ कर वह चलना सीखते हैं.''
@VasundharaBJP
— Santosh kumar Pandey (@PandeyKumar313) June 23, 2024
'लोग उसी उंगली को पहले काटने की कोशिश करते हैं जिसे पकड़कर चलना सीखते हैं. ' pic.twitter.com/F5JKerywWk
वसुंधरा राजे ने इशारों-इशारों में कही बड़ी बात
ऐसा माना जा रहा है कि पूर्व सीएम वसुंधरा राजे ने उन लोगों को निशाना पर लिया है, जिन्हें उन्होंने कभी राजस्थान की राजनीति में आगे बढ़ाया. जिस कार्यक्रम वो पहुंची थीं, वहां पर असम के राज्यपाल गुलाबचंद कटारिया भी मौजूद रहे. पूर्व सीएम ने इस दौरान अपनी मां विजय राजे सिंधिया का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि उनकी माता विजय राजे सिंधिया ने एमपी में साल 1967 में देश में पहली बार जनसंघ की सरकार बनाई और गोविंद नारायण सिंह को सीएम बनाया थी. उस वक्त सुंदर सिंह भंडारी जी ने चिट्ठी लिख कर खुशी जाहिर की थी. उन्होंने ये भी कहा कि मां ने बचपन से ही हमें संघ के संस्कार दिए.
बता दें कि कुछ महीने पहले राजस्थान विधानसभा चुनाव में बीजेपी को बहुमत मिला लेकिन वसुंधरा राजे को पार्टी अलाकमान ने साइड कर दिया और उन्हें इस बार मुख्यमंत्री की कुर्सी नहीं मिली. बीजेपी शीर्ष नेतृत्व ने इस बार भजनलाल शर्मा को राज्य की कमान सौंपी. वहीं, हाल में हुए लोकसभा चुनाव में बीजेपी का प्रदर्शन राज्य में बहुत अच्छा नहीं रहा. राजस्थान की कुल 25 लोकसभा सीटों में से बीजेपी को 14 तो वहीं, कांग्रेस और सहयोगी दलों को 11 सीटों पर जीत हासिल हुई.
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