Karauli News: आपने पतिव्रता सावित्री और उनके पति सत्यवान की कहानी पढ़ी होगी. इसमें सावित्री ने यमराज के बंधन से अपने पति को छुड़ा लिया था. ऐसा ही एक मामला राजस्थान के करौली जिले के मंडरायल के रोधई के कैमकच्छ गांव में सामने आया है. यहां की एक महिला ने मगरमच्छ से लड़कर अपने पति की जान बचाई. यह पूरा वाकया करीब पांच मिनट का है. आप भी पढिए विमल बाई के साहस की कहानी.
क्या करने नदी में गया था बन्ने सिंह
मिली जानकारी के अनुसार केदार मीणा का 26 साल का बेटा बन्ने सिंह चंबल नदी किनारे बकरियां चरा रहा था. उसकी बकरियां जब नदी में पानी पी रही थीं तो वह भी चंबल नदी में नहाने चला गया.इस दौरान नदी में ही पीछे से मगरमच्छ ने उस पर हमला कर दिया. मगरमच्छ ने उसका पैर अपने मुंह में ले लिया था. मगरमच्छ उसे नदी में गहरे पानी की ओर खींच कर ले जा रहा था.
मगरमच्छ से बचने के लिए बन्ने सिंह ने पूरी ताकत लगा दी और उसके कमर को पकड़ लिया और चीखने-चिल्लाने लगा. पति की चीख-पुकार कुछ दूरी पर खड़ी उसकी पत्नी विमल बाई ने सुनी. वह लाठी लेकर पानी में कूद पड़ी. उसने मगरमच्छ पर लाठी से वार करना शुरू कर दिया. लेकिन मगरमच्छ ने उसके पति का पैर नहीं छोड़ा और बन्ने सिंह को गहरे पानी में ले जाने लगा. यह देखकर विमल बाई ने पूरी ताकत लगाकर मगरमच्छ की आंख पर लाठी से हमला किया. इसके बाद मगरमच्छ ने उसके पति का पैर छोड़ दिया.
पति की जान बचाने के बाद क्या बोली विमल बाई
पति को मगरमच्छ के मुंह से निकालकर विमल बाई नदी से बाहर लाई. वहां से वह पति को कंधे पर लादकर 300 मीटर दूर अपने घर पहुंची.वहां से उसके परिजन उसे मंडरायल अस्पताल लेकर गए. उसकी गंभीर हालत को देखते हुए डॉक्टरों ने उसे करौली रेफर कर दिया. करौली में इलाज के बाद बन्ने सिंह को छुट्टी दे दी गई.
बन्ने सिंह ने बताया कि मेरा एक पैर मगरमच्छ के जबड़े में और दूसरा पानी में टिका था, मैंने नहीं सोचा था कि मगरमच्छ से बच जाऊंगा. लेकिन मुझे पत्नी ने बचा लिया. वहीं विमल बाई का कहना था कि अपने पति को बचाने के लिए मेरी जान भी चली जाती तब भी कोई बात नहीं होती. इन्हें छुड़वाकर मैंने भी दूसरा जन्म लिया है. उसने बताया कि मगरमच्छ मेरे पति को जबड़े में लेकर गहरे पानी में जा रहा था. मुझे कुछ नहीं सूझ रहा था.मैं सिर्फ लाठी से उस पर लगातार वार किए जा रही थी. इसके अलावा कोई मेरे पास कोई और चारा नहीं था.
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