Rajasthan Weather Update: इस बार राजस्थान में मौसम के अलग-अलग रंग देखने को मिल रहे हैं. पहले भीषण गर्मी में कई शहरों का पारा 48 डिग्री पर पहुंच गया. फिर बारिश सामान्य से 37 प्रतिशत ज्यादा हुई. अब फतेहपुर शेखावाटी में 14 जनवरी के बाद से सर्दी नए रिकॉर्ड बनाते हुए माइनस 4.7 डिग्री तक ठिठुरा रही है. आलम ये है रेगिस्तान भी जम गया है. रेगिस्तान में पारा पांचवें दिन भी माइनस में बना रहा. सर्दी ने यहां पिछले 15 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है. हर तरफ बर्फ की सफेद चादर की बिछी हुई है.


'दीर्घकालिक प्रभाव अच्छे नहीं होंगे'
सोमवार को भी राज्य में पांच जगह तापमान जमाव बिंदु से नीचे रहा. मौसम वैज्ञानिक इसे क्लाइमेट चेंज का असर बताकर ऑब्जर्व कर रहे हैं. जयपुर में मौसम विभाग के निदेशक राधेश्याम शर्मा ने अधिक जानकारी देते हुए बताया कि कुछ सालों से मौसम के पैटर्न में तेजी से बदलाव आ रहा है. यह सही है कि इस बार गर्मी, बारिश और सर्दी एक्सट्रीम है. राजस्थान में क्लाइमेट चेंज ऑब्जर्व हो रहे हैं. इसकी प्राकृतिक और मानव जनित दोनों ही वजह है. इसके दीर्घकालिक प्रभाव अच्छे नहीं होंगे.


गुरुवार से आएगा मौसम में बदलाव
मौसम विभाग के अनुसार, 48 घंटे बाद पश्चिमी विक्षोभ के असर से प्रदेश में चल रही शीतलहर और पाला गिरने में कमी आएगी. इसके बाद ही सर्द मौसम से कुछ हद तक निजात मिल जाएगी. सीकर में मंगलवार को सुबह तेज सर्दी के कारण जर्रा-जर्रा जम गया. सर्द हवाएं चलने के कारण बंद कमरे में भी लोग ठिठुरते रहे. सूरज निकलने के साथ शीतलहर की रफ्तार में कमी आई, जिससे दोपहर में कुछ मिली. हालांकि शाम होते ही हवा में नमी बढ़ गई. सर्दी का असर बढ़ने फतेहपुर कृषि अनुसंधान केंद्र पर से राहत मिलने की प्रबल संभावना है. बुधवार को माइनस   न्यूनतम तापमान 2.2 व मंगलवार को न्यूनतम तापमान माइनस 4.5 और अधिकतम तापमान 19.5 डिग्री दर्ज किया गया.


मौसम ने तोड़ा 15 साल का रिकॉर्ड
मौसम केंद्र जयपुर के अनुसार, आगामी दिनों में दो बैक-टू-बैक पश्चिमी विक्षोभ के प्रभाव से प्रदेश का मौसम बदलेगा, जिससे न्यूनतम तापमान में बढ़ोतरी होगी. 19 जनवरी से शीतलहर व पाला पश्चिमी विक्षोभ 19-20 जनवरी से पाला व शीतलहर में राहत की संभावना है. फतेहपुर कृषि अनुसंधान केन्द्र के रिकॉर्ड के अनुसार, वर्ष 2007-2008 में जनवरी माह के दूसरे पखवाड़े में लगातार पांच दिनों तक तापमान जमाव बिंदु से नीचे रहा था. इस दौरान सबसे कम तापमान 3.5 डिग्री रहा. इसके दिन से ज्यादा जमाव बिंदु से नीचे बाद के बरसों में न्यूनतम तापमान दो नहीं रहा.


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