Commentator Devendra Kumar Latest News: अफगानिस्तान क्रिकेट बोर्ड (ACB) की ओर से आयोजित घरेलू टी20 लीग के फाइनल मैच से पहले खचाखच भरे काबुल स्टेडियम में एक 36 वर्षीय भारतीय युवक देवेंद्र कुमार का खड़े होकर स्वागत किया गया. राजस्थान के जोधपुर के पास छतरपुरा गांव के रहने वाले देवेंद्र कुमार ने कम उम्र में ही क्रिकेट कमेंटेटर बनने के लिए अपना गांव छोड़ दिया था.


एक दशक से ज्यादा समय तक जयपुर में पोलो मैच और स्कूल क्रिकेट गेम की कमेंट्री करने के बाद देवेंद्र को 2017 में करियर बदलने वाला अंतरराष्ट्रीय ब्रेक मिला. अफगानिस्तान क्रिकेट बोर्ड ने उस समय उन्हें घरेलू टूर्नामेंटों के लिए अंग्रेजी कमेंटेटर बनने का मौका दिया, जो तब तक सिर्फ पश्तो भाषा में ही होते थे. इसके बाद देवेंद्र ने किक्रेट की दुनिया में बहुत जल्द ही अपनी पहचान बना ली. साथ ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वह अफगानिस्तान क्रिकेट की आवाज बन गए.


अफगानी फैंस ने किया स्वागत
किक्रेट फैंस को देवेंद्र की आसान भाषा में की गई कमेंट्री बहुत पसंद आई. वहीं भारत में 2023 विश्व कप के दौरान बीबीसी के टेस्ट मैच स्पेशल ने उन्हें क्षेत्रीय विशेषज्ञ के रूप में साइन किया. इसलिए पिछले महीने जब वह खिताबी मुकाबले से पहले टॉस के लिए बाहर निकले तो अफगानी फैंस ने उनका जोरदार स्वागत किया. 


ग्रेटर नोएडा में द इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत के दौरान देवेंद्र ने कहा, "यह आज भी मेरे रोंगटे खड़े कर देता है. अफगानी फैंस ने जब मेरा नाम चिल्लाना शुरू किया और एक मिनट से ज्यादा समय तक उन्होंने मेरे लिए ताली बजाई. यह बहुत ही स्पेशल मूमेंट था, जिसे मैं अपनी आखिरी सांस तक नहीं भूलूंगा." क्रिकेट कमेंट्री के जनूनी देवेंद्र जोधपुर के छतरपुरा गांव के रहने वाले हैं. 


12वीं तक पढ़े हैं देवेंद्र
देवेंद्र ने सरकारी स्कूल से हिंदी माध्य में 12वीं कक्षा तक ही पढ़ाई की है. कभी मारवाड़ी के अलावा हिंदी भी उन्हें ठीक तौर पर नहीं आती थी, लेकिन देवेंद्र के शौक और जूनून ने उन्हें इंग्लिश कमेंटेंटर बना दिया. साल 2017 से अफगानिस्तान क्रिकेट बोर्ड के लिए राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय टूर्नामेंट के लिए कमेंट्री कर चुके देवेंद्र के लिए तालीबान की वापसी के बाद नया अनुभव था.


कमेंट्री के दौरान हुआ धमाका
अफागनिस्तान के राष्ट्रीय खेल ब्रॉडकास्टिंग के लिए कमेंट्री के दौरान काबुल में क्रिकेट मैच के दौरान बम धमाका भी हुआ. इस धमाके से वह कुछ दूरी पर थे. देवेंद्र का कहना है कि तालीबान सत्ता में आने के बाद अफगानिस्तान की परिस्थितियों में बदलाव आया है, लेकिन वहां के लोग आज भी भारतीय लोगों के प्रति मित्रता जताते हैं. देवेंद्र अफगानिस्तान क्रिकेट बोर्ड के कमेंट्री पैनल में एकमात्र भारतीय हैं.


इस घटना के बाद जब देवेंद्र काबुल से चले गए, तो अफगानिस्तान के ऑलराउंडर गुलबदीन नायब ने सोशल मीडिया पर एक भावुक नोट शेयर किया था. इसमें भारतीय कमेंटेटर का शुक्रिया अदा किया गया था. नैब ने सोशल मीडिया पर लिखा था, "देवेंद्र इस मुश्किल समय में @ACBofficials और हमारे देश के साथ आपके प्यार और समर्थन के लिए धन्यवाद. हम आपके महान प्रयासों और सम्मान को कभी नहीं भूलेंगे."


देवेंद्र ने बताया कि सिर्फ ग्रेग चैपल ने शुरूआती दिनों  मेरी सबसे ज्यादा मदद की है. शुरूआती दिनों में कई बार फ्रेंडली मैच में कमेंट्री करने का मौका भी दिया. देवेंद्र ने बताया कि शुरुआती दौर में अफगानिस्तान-आयरलैंड सीरीज में तीन इंटरनेशनल वनडे और जिम्बाब्वे-अफगानिस्तान सीरीज में 5 वनडे और दो टी-20 मैच में कमेंट्री करने का मौका मिला था.


देवेंद्र के गांव के स्कूल में कोई अंग्रेजी का शिक्षक नहीं था. यहां तक कि मारवाड़ी में हिंदी भी पढ़ाई जाती थी, इसलिए बहुत दिनों तक अंग्रेजी भाषा समझ में नहीं आया, लेकिन वो टोनी ग्रेग और जेफ्री बयकॉट की आवाज रेडियो पर सुनकर प्रेरित हुए.



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