जयपुर: जिस भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) का काम ही है कि घूस लेने वाले अधिकारी को पकड़ना और भ्रष्टाचार खत्म करना है, अब वही इस काम से दूर जाना चाहती है.वहीं एसीबी का एक आदेश आजकल चर्चा में है. ब्यूरो के कार्यवाहक महानिदेशक हेमंत प्रियदर्शी ने बताया कि इस आदेश में कुछ भी गलत नहीं है और सीबीआई भी ऐसा ही करती है.सुप्रीम कोर्ट ने भी 2014 में गाइडलाइन दिया है.हम उसी का पालन कर रहे हैं.एसीबी का काम है भ्रष्टाचारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करना, हम वहीं करेंगे.यह आदेश कहीं से लीक हो गया.इस आदेश के पीछे वजह यह बताई जा रही है कि ACB के किसी बड़े अधिकारी के खिलाफ ही 10 लाख रुपये की रिश्वत लेने की शिकायत आई है. इसके बाद से ही यह प्रयास किया जा रहा है. 


क्या कहना है आदेश


भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के कार्यालय महानिदेशक की ओर से जारी आदेश में कहा गया है, ''उपरोक्त विषय में निर्देश है कि समस्त चौकी प्रभारी एसीबी को सूचित किया जाता है कि ब्यूरो टीम द्वारा की गई ट्रेप कार्यवाही के प्रकरण/आरोपी का न्यायालय द्वारा दोषसिद्ध नहीं हो जाता तब तक उसका नाम और फोटो मीडिया या अन्य किसी व्यक्ति,विभाग में सार्वजनिक नहीं किया जाएगा. आरोपी जिस विभाग में कार्यरत है उसका नाम और आरोपी का पदनाम की सूचना मीडिया में सार्वजनिक की जाएगी. ब्यूरो की अभिरक्षा में जो भी संदिग्ध या आरोपी है,उसकी सुरक्षा और मानवाधिकार की रक्षा की पूर्ण जिम्मेदारी ट्रेपकर्ता अधिकारी/अनुसंधान अधिकारी की होगी. वो उक्त निर्देशों का तत्काल प्रभाव से पालन करें. 


कहा कहना है कार्यवाहक डीजी का 


एसीबी के कार्यवाहक महानिदेशक हेमंत प्रियदर्शी ने कहा इस आदेश में कोई गलत बात नहीं है.यह आदेश सरल और साफ शब्दों में जारी किया गया है.इसमें कुछ भी छिपाया नहीं गया है.हमारा काम है भ्रष्टाचारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करना.वही होगा, जिसे जो इंटरप्रिटेशन करना है वो करे.किसी को बचाया नहीं जा रहा है. सीबीआई जब अपने किसी भी प्रेस रिलीज में कभी भी मुजरिम या संदिग्ध का नाम जारी नहीं करती तो हम कैसे कर सकते हैं.सुप्रीम कोर्ट ने भी 2014 में अपनी गाइड लाइन जारी की है. हेमंत प्रियदर्शी ने बताया ये आदेश कहां से लीक हो गया है यह नहीं पता है.


इस बात की है चर्चा 


पिछले एक सप्ताह से एसीबी में एक ऐसी शिकायत दर्ज होने की सुगबुगाहट है,जिसमें सरकार के खास और एसीबी में भारी-भरकम पद पर रहे अफसर के खिलाफ ही ऑडियो रकॉर्डिंग के जरिए 10 लाख रुपए की रिश्वत लेने की बात कही गई है. चर्चा है कि एसीबी के सीनियर अफसरों को डर सता रहा है कि ऐसा न हो कोई कप्लेन की कॉपी सार्वजनिक कर दे.सूत्र बता रहे हैं कि वहीं से इस कड़ी में यह आदेश जारी किया गया है.इसी आदेश को लेकर हंगामा मचा है.इस आदेश को वापस लेने के मूड में विभाग नहीं है.


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