Churu Winter Season: राजस्थान में 33 जिले हैं, लेकिन चूरू इन सबमें अलग है. यही वजह है कि गर्मी में यहां पर सबसे अधिक गर्मी और सर्दी में सबसे ज्यादा ठंड पड़ती है. अपनी इसी खासियत की वजह से चूरू दुनियाभर में सुर्खियों में रहता है. इतना ही नहीं, दुनियाभर के लोग यह जानना चाहते हैं कि आखिर चूरू की धरती या आबोहवा में वो रहस्यमयी चीजें क्या है, जो यहां के मौसम को सबसे ज्यादा गर्म और ठंडा बना देती है.
दरअसल, चूरू में इतनी गर्मी और इतनी ठंड पड़ने के पीछे यहां की भौगोलिक स्थिति को जिम्मेदार माना जाता है. सबसे पहले तो ये बता दें कि यह शहर राजस्थान के रेगिस्तानी इलाकों में सबसे पूर्व में पड़ता है.
चूरू में खून जमा देने वाली ठंड
पिछले कुछ दिनों से चूरू का तापमान माइनस या एक के आसपास होता है. सर्दी का मौसम होने की वजह से यहां के लोग पिछले कुछ दिनों से खून जमा देने वाली ठंड का सामना कर रहे हैं. इससे पहले गर्मी में तन झुलसा देने वाली गर्मी का भी लोग सामना कर चुके हैं. ऐसा कोई पहली बार नहीं हुआ, बल्कि चूरू के लोगों को गर्म हवाओं के थपेड़े भी सहने पड़ते हैं. आखिर चूरू में ऐसा क्या है, जो इसे मौसम के लिहाज अन्य जिलों की तुलना में अलग स्थान दिलाता है.
ये है चूरू के जल्द गर्म होने की वजह
राजस्थान के 33 जिलों में चूरू सबसे जल्द और ज्यादा गर्म होने वाला जिला है. इसके पीछे की वजह यह है कि यहां की मिट्टी के कण बेहद सूक्ष्म हैं, जिनकी हीट कैपेसिटी बहुत कम है. यही वजह है कि चूरू की मिट्टी अन्य जगहों की तुलना में जल्दी गर्म हो जाती है. चूरू में पेड़-पौधे कम हैं. वनस्पति का कम होना भी यहां सर्वाधिक गर्मी की एक वजह है. भूगर्भ में पानी और हवा में नमी की कमी भी चूरू में अधिक गर्मी पड़ने के कारणों को बढ़ाती है. पश्चिम की ओर से चूरू में कई किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार की गर्म हवाएं भी चलती हैं. यहां पर आपको ये भी बता दें कि सूरज की किरणें राजस्थान के मरुस्थलीय जिले जैसलमेर, बाड़मेर में भी इसी तरह से गिरती हैं, मगर वहां बालू के टीले अधिक हैं और उनकी भौगोलिक बनावट चूरू के टीलों से अलग है, इसलिए वहां पर तापमान चूरू की तरह सबसे ज्यादा गर्म नहीं होता.
सर्दी में सबसे ज्यादा ठंड क्यों?
चूरू शहर राजस्थान के रेगिस्तानी इलाकों में सबसे पूर्व में है. पश्चिम की ओर से आने वाली हवाओं के साथ बड़ी मात्रा में बालू और मिट्टी के कण यहां आते हैं और जम जाते हैं. इन हवाओं में ऐसे कणों की मात्रा अधिक होती है जो एक-दूसरे से काफी चिपके होते हैं. यही कण सूरज की किरणों को जमीन तक पहुंचने से रोकते हैं. यही वजह है कि धरातल पर ठंड का एहसास सबसे ज्यादा होता है. इसके अलावा, इतनी ठंड के लिए यहां की हवा और मिट्टी भी जिम्मेदार है. हवा में ज्यादा शुष्कता और मिट्टी में गर्मी सोखने की कम क्षमता चुरू को सबसे ज्यादा ठंडी जगह बनाने के लिए जिम्मेदार हैं. साथ ही उत्तर भारत में पड़ने वाली बर्फ और बर्फीली हवाएं भी ठंड बढ़ने का कारण होती हैं. कुछ ऐसा ही हाल गर्मियों में भी देखने को मिलता है. एंटी सायक्लोनिक सर्कुलेशन, साफ मौसम और गर्मी के दिनों में पश्चिम की तरफ से शुष्क हवा का चलना भी इसके लिए जिम्मेदार है.
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