Rajasthan News: जयपुर में पांच दिनों से पुलवामा हमले में शहीद हुए राजस्थान के तीनों वीरों की पत्नियां सरकार की उपेक्षा को लेकर धरने पर हैं. शहीदों की पत्नियों ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री आवास की ओर जाते वक्त पुलिस ने उनके साथ मारपीट की जिससे दुखी होकर इन तीनों महिलाओं ने राज्यपाल से इच्छा मृत्यु की मांग की है. शनिवार को तीनों शहीदों की पत्नियों ने बीजेपी के राज्यसभा सांसद डॉ. किरोड़ी लाल मीणा के साथ राज्यपाल को सौंपे ज्ञापन में इच्छा मृत्यु की अनुमति मांगी है.


शहीदों की पत्नियों ने कहा कि उनके पतियों ने मातृभूमि की रक्षा के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए, लेकिन राज्य सरकार उनकी शहादत के सम्मान में की गई घोषणाओं को पूरा करने की बजाय उनके परिवारों को अपमानित कर रही है. महीलाओं का आरोप है कि राज्यपाल को ज्ञापन देने के बाद जैसे ही उन्होंने मुख्यमंत्री से मिलने के लिए सीएम आवास की ओर रुख किया तो पुलिस ने उनके साथ अभद्रता और मारपीट की जिसके चलते शहीद रोहिताश्व लांबा की पत्नी मंजू जाट घायल हो गईं हैं. उन्हें सवाई मानसिंह अस्पताल में भर्ती करवाया गया है.


'पुलिस हमारे सीने में मारे गोली'
शहीद रोहिताश्व लांबा की पत्नी मंजू जाट ने कहा कि हम लोकतांत्रिक तरीके से अपनी मांगों को सरकार के सामने रख रहे हैं. सरकार इन्हें मानने की बजाय हमारे साथ अपराधियों जैसा व्यवहार कर रही है. हम पांच दिन से धरने पर हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही. मुख्यमंत्री मिल नहीं रहे, मिलने जाते हैं तो पुलिस पीट रही है. यदि सरकार को हमसे इतनी ही परेशानी है तो पुलिस को हमारे सीने में गोली मारनी चाहिए.


तानाशाही कर रही सरकार
वहीं, डॉ. किरोड़ी लाल मीणा ने कहा कि सरकार वीरांगनाओं की जायज मांगों को पूरा करने की बजाय तानाशाही कर रही है. विधानसभा के गेट पर धरना देते समय भी पुलिस ने वीरांगनाओं के साथ अभद्रता की. शनिवार को तो मारपीट तक कर दी. उन्होंने सवाल किया कि क्या मुख्यमंत्री से मिलने के लिए जाना कोई अपराध है, जो पुलिस ने शहीदों की पत्नियों के साथ मारपीट की, उन्हें घसीटते हुए गाड़ी में डाला. यदि मुख्यमंत्री मुझसे नहीं मिलना चाहते तो कम से कम वीरांगनाओं से तो एक बार मिल लें. वे तो खुद को गांधीवादी कहते हैं. 


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