Rajasthan News: कांग्रेस वर्किंग कमेटी की सदस्य अल्का लाम्बा ने राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी मुख्यालय पर केंद्र सरकार पर जोरदार हमला बोला है. उन्होंने कहा कि महिला आरक्षण पर चर्चा हो रही है, इस देश की आधी आबादी को राजनैतिक भागीदारी और उनके सशक्तीकरण के लिये महिला आरक्षण आवश्यक है जिसका कांग्रेस पार्टी पुरजोर समर्थन करती है.
महिला आरक्षण बिल पास हो गया लेकिन यह समझना आवश्यक है कि केन्द्र सरकार की मानें तो भी 2029 से पहले महिला आरक्षण सम्भव नहीं है. आर्टिकल 82 एवं आर्टिकल 81 (3) से इस बिल को लिंक किया गया है, जिसके तहत् 2026 में परिसीमन होगा उसके बाद जनगणना पर इसका दारोमदार रहेगा. सरकार यह खुद स्वीकार कर रही है कि क्रियान्वयन 2029 से पहले नहीं होगा तो संसद का विशेष सत्र बुलाना. ताम-झाम व साज-सज्जा केवल वाहवाही लूटने के लिये की गई, किन्तु देश की आधी आबादी अपने आप को ठगा हुआ महसूस कर रही है.
केन्द्र सरकार अविलम्ब 2011 की जातिगत जनगणना के आंकड़ों के आधार पर अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को सम्मिलित करते हुये महिला आरक्षण बिल लागू करें.
क्यों करना पड़ रहा इंतजार?
उन्होंने कहा कि देश की महिलाओं ने महिला आरक्षण के लिये संघर्ष किया है, इसलिये महिला आरक्षण बिल तुरंत लागू होना चाहिये. उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार आनन-फानन में महिला आरक्षण बिल लाई किन्तु क्रियान्विति के लिये अभी भी 10-12 साल का इंतजार करना पड़ेगा, जो उसी प्रकार है जैसे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 15 लाख रूपये हर बैंक अकाउंट में, दो करोड़ सालाना रोजगार, किसानों की आय दोगुनी करने, चीन को लाल ऑंख दिखाने जैसे जुमले दिये, किन्तु वादे पूरे नहीं हुई.
उन्होंने कहा कि महिला आरक्षण बिल की क्रियान्विति होगी तो देश की आधी आबादी को ताकत् मिलेगी, चुनी हुई महिला सांसद आधी आबादी के सशक्तीकरण, सुरक्षा और उनके खिलाफ हो रहे अपराधारों के विरूद्ध बेकौफ होकर बोलेंगी तथा न्याय दिलाने का कार्य होगा.
राजस्थान को किया जा रहा बदनाम
उन्होंने कहा कि महिला आरक्षण बिल पारित होने के पश्चात् महिलाओं के सशक्तीकरण के साथ ही सशक्त और जागरूक महिलायें संसद में आयेंगी तथा सरकार की ऑंखों में देखकर महिलाओं के विरूद्ध हो रहे अपराधों के खिलाफ आवाज उठायेंगी. उन्होंने कहा कि जो नई महिला सांसद चुनकर आयेंगी वे एक उदाहरण पेश करते हुये कुलदीप सेंगर जैसे अपराधी जो हत्या और रेप के दोषी पाये गये उन्हें हटाने की गुहार लगायेंगी.
उन्होंने कहा कि भाजपा के नेता महिला अपराधों के मुद्दे पर राजस्थान को बदनाम करने का कुप्रयास कर रहे हैं, जबकि वास्तविकता यह है कि अनिवार्य एफआईआर पंजीकरण नीति के बावजूद प्रति लाख महिलाओं के विरूद्ध अपराधों में राजस्थान छठे स्थान पर है. महिला अत्याचार के प्रकरणों में राजस्थान में सजा का प्रतिशत 45.2 प्रतिशत है, जबकि राष्ट्रीय स्तर पर यह 26.5 प्रतिशत है. उन्होंने कहा कि पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के शासन में राजस्थान में महिला दुष्कर्म के अपराध में औसतन 274 दिन जॉंच में लगते थे जो अब घटकर 54 दिन रह गये हैं.
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