Cyclist Govind Kharol: आज 'विश्व साइकिल दिवस' है, इस दिन को मनाने का उद्देश्य बढ़ते प्रदूषण में लोगों को साइकिल चलाने को लेकर लोगों को जागरूक करना है. इस साइकिल दिवस के अवसर पर आज हम आपको एक ऐसे युवा के बारे में बताने जा रहे हैं जिनके न तो एक हाथ है जबकि दूसरा हाथ सामान्य आकार से काफी छोटा है और उसमें केवल दो उंगलियां है, इसके बाद भी वह साइकिलिंग करते हैं, यही नहीं उनके नाम दुनिया के सबसे ऊंचे ट्रेक को साइकिल चलाकर फतेह करने का भी रिकॉर्ड दर्ज है. जी हां, हम बात कर रहे हैं 25 वर्षीय साइकिलिस्ट गोविंद खारोल की. खारोल के पिता किराना कि दुकान चलाने के साथ-साथ खेती भी करते हैं. जबकि गोविंद खारोल स्पोर्ट्स इवेंट कर अपना गुजारा करते हैं. आइये जानते हैं गोविंद खारोल और उनके जज्बे की कहानी...
बचपन से ही नहीं हाथ, बच्चों को देखकर की साइकिलिंग की शुरुआत
गोविंद ने एबीपी को बताया कि बचपन से ही उनका पूरा एक हाथ नहीं है, जबकि दूसरा हाथ छोटा है और उसमें केवल दो उंगलियां हैं. उन्होंने कहा कॉलोनी के बच्चों को साइकिल चलाते देख उनकी इच्छा भी साइकिल चलाने की होती थी. मेरे पास साइकिल नहीं थी तो मैं उनकी साइकिल लेकर चलाता था. यह देखकर पापा ने मुझे साइकिल दिला दी. मेरे हाथ नहीं थे तो मैं पैरों को घसीटते हुए साइकिल रोकता था. इसके अलावा मुझे साइकिल धीमी गति से चलानी पड़ती थी. ब्रेक न लगा पाने के कारण में अक्सर गिर जाता था. घर वालों ने इसके बाद मुझे साइकिल चलाने से मना ही कर दिया था. फिर मैं मैकेनिक के पास गया जिसने मेरी साइकिल के ब्रेक मेरे दोनों पैरों के पास लगा दिए, अब मेरे लिए साइकिल चलाना आसान हो गया.
'बनाया बिंदास ग्रुप, अब तक 1000 लोग जुड़े'
गोविंद बताते हैं कि इसके बाद उन्होंने रोजाना साइकिलिंग करना शुरू कर दिया था. फिर मैने सोचा कि क्यों ने साइकिलिंग को लेकर लोगों को जागरुक किया जाए. इसके बाद मैंने एक ग्रुप (बिंदास ग्रुप) की शुरुआत की, जिसमें शुरुआत में केवल 5 लोग थे, इस ग्रुप को अब 5 साल हो गए हैं और अब तक इस ग्रुप से 1000 से ज्यादा लोग जुड़ चुके हैं. गोविंद ने कहा कि अब हम वीकेंड पर या किसी भी छुट्टी पर मिलते हैं और साइकिल चलाने को लेकर लोगों को जागरूक करते हैं. गोविंद ने कहा कि बेंगलुरु में एक साइकिल अवेयरनेस प्रोग्राम था, मैं उदयपुर से साइकिल चलाकर इस कार्यक्रम में शामिल होने बेंगलुरु पहुंचा था.
विश्व की सबसे ऊंचे मोटरेबल रोड को किया फतह
गोविंद बताते हैं कि अगस्त 2018 की बात है जब मैंने अपने सपने को पूरा किया. उन्होंने कहा कि जब मैं प्रोफेशनली साइकिलिंग करने लगा था तब सोचा था कि एक दिन 18500 फिट की ऊंचाई पर मनाली से लेह के खारदुंगला दर्रे के 550 किमी ट्रेक को फतह करूंगा. यह उबड़-खाबड़ और कठिन रास्ता है और दुनिया की सबसे ऊंची मोटरेबल रोड है और पुणे की एक कंपनी इस पर ट्रेक करवाती है. उन्होंने कहा कि साल 2018 में हमने इस ट्रैक को फतह किया, इस ट्रैक में दुनियाभर से 20 लोग शामिल हुए थे और सभी दिव्यांग थे, गोविंद ने कहा कि ट्रैक के दौरान वह एक जगह गिरा गए थे, उन्होंने कहा कि अगर उस दौरान मैंने हेलमेट नहीं पहना होता हो मैं बच नहीं पाता.
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