Eye Donation Campaign: कोटा नेत्रदान (Eye Donation) के मामले में राजस्थान में दूसरे स्थान पर है. कोटा (Kota) में रक्तदान के साथ ही नेत्रदान पर भी बेहतरीन काम हो रहा है. वर्ष 2011 में कोटा में नेत्रदान की शुरूआत हुई और पहला कॉर्निया लाया गया. उसके बाद छोटा सा पौधा आज वटवृक्ष बन गया है. कोटा से शुरू हुआ उजियारा फैलाने का कार्य अब गांव ढाणी तक पहुंच गया है. पूरा हाड़ौती संभाग अब नेत्रदान के लिए जाना जाने लगा है. इस काम में महत्वपूर्ण भूमिका शाइन इंडिया फाउंडेशन (Shine India Foundation) और नेत्रज्योति मित्रों की है जो 24 घंटे कॉर्निया लेने के लिए तैयार रहते हैं.
विशेषज्ञ डॉ. कुलवंत गौड बताते हैं कि किसी व्यक्ति के कॉर्निया लेने में महज 15 से 20 मिनट का समय लगता है. बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक सब नेत्रदान कर सकते हैं. नेत्र कॉर्निया को 4 से 8 डिग्री सेल्सियस तापमान में रखा जाता है और आई बैंक सोसायटी भेजा जाता है. कार्निया विशेष द्रव्य में 3 से 4 दिन सुरक्षित रहता है. इस प्रक्रिया में किसी तरह का कोई शुल्क नहीं लिया जाता.
कौन कर सकता है नेत्रदान
किसी भी उम्र के व्यक्ति की रोगरहित आंखें (कॉर्निया) प्रत्यारोपण के काम आ सकती है. आकस्मिक दुर्घटना, हार्ट अटैक या पक्षाघात से मरने वाले का कॉर्निया श्रेष्ठ माना जाता है. ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, अस्थमा अथवा हृदय संबंधी बीमारी से पीड़ित व्यक्ति का भी नेत्रदान लिया जा सकता है. लेकिन सेफ्टीसीमिया, वायरल संक्रमण, जहर खाने, डूबने, फंदा लगाकर खुदकुशी करने, जलने या लंबे बुखार, सिफलिस, टीबी, एड्स इत्यादि कारणों से मौत होने पर व्यक्ति की आंखों के कॉर्निया को प्रत्यारोपण के प्रयोग में नहीं लाया जाता.
नेत्रदान कैसे और कब
मृत व्यक्ति का कॉर्निया 6 घंटे के भीतर प्राप्त किया जा सकता है. नेत्रदान के लिए सूचना टेलीफोन से नेत्र-अस्पताल, नेत्र कोष या प्रमुख सरकारी नेत्र विशेषज्ञ के घर पर पहुंचा दी जाए तो नेत्र विभाग का कोई डॉक्टर या प्रशिक्षित आई बैंक टेक्नीशियन घर जाकर नेत्र प्राप्त कर लेगा. व्यक्ति की मौत के बाद जितना जल्द कॉर्निया निकाला जाए, उतना ही वह प्रत्यारोपण के लिए बेहतर रहता है.
राजस्थान के दस जिलों में हो रहा सराहनीय कार्य
राज्य में जयपुर, अजमेर, कोटा, भीलवाड़ा, पाली, बूंदी, बारां, झालावाड़, उदयपुर, जोधपुर में नेत्रदान के लिए संस्थाएं काम कर रही हैं. प्रदेश में अजमेर में सर्वाधिक नेत्रदान होता है. यहां तीन टेक्नीशियन हैं जबकी कोटा में दो टेक्नीशियन हैं. टीम कोटा, बारां, झालावाड़ और बूंदी जिले से प्रतिवर्ष 90 से 100 जोड़ी नेत्र प्राप्त कर लेती है.
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