Rajasthan Health Services: विश्व भर में 7 अप्रैल को विश्व स्वास्थ्य दिवस मनाया जा रहा है. इस बार की थीम हैल्थ फॉर ऑल (Health For All) है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार स्वास्थ्य की परिभाषा मात्र बीमारियों का नहीं होना ही नहीं है, वरन फिजिकल, मेंटल और स्प्रीच्युवल स्वास्थ्य का भी अच्छा होना जरूरी है. इस साल वर्ल्ड हैल्थ ऑर्गेनाइजेशन का 75वां स्थापना दिवस भी मनाया जा रहा है.


राजस्थान (Rajasthan) में विश्व स्वास्थ्य दिवस इस बार इस बात के लिए भी खास है कि यहां आरटीएच (RTH) बिल लागू हो गया. राजस्थान देश का पहला प्रदेश है, जहां ये अधिकार मिला है. बशर्ते लोगों को उपचार मिले और ग्रामीण क्षेत्रों तक चिकित्सा सुविधाओं का विस्तार हो.


गांव तक पहुंचे चिकित्सा सुविधाएं
जाने माने नेत्र चिकित्सक, साइक्लिस्ट और कई पुस्तकों के लेखक डॉ. सुरेश पांडेय ने बताया कि राज्य के प्रत्येक नागरिक को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध करवाना सरकार का नैतिक दायित्व है. राजस्थान सरकार द्वारा राज्य के सभी नागरिकों को सही मायने में स्वास्थ्य का अधिकार देना तभी सम्भव हो पाएगा, जब सरकार राज्य के गांवों, ढाणियों में उत्तम चिकित्सा व्यवस्था उपलब्ध करवाते हुए, झोलाछाप डॉक्टरों पर नियंत्रण करने, सड़क दुर्घटना को रोकने, शराबबंदी, तंबाकू निषेध आदि का पालन करे. इसके साथ ही स्वास्थ्य क्षेत्र पर बजट बढ़ाना भी बहुत जरूरी है. 


भारत का बजट जीडीपी का दो प्रतिशत
डॉ. सुरेश पांडेय बताते हैं कि भारत सरकार कुल जीडीपी का लगभग 2 प्रतिशत स्वास्थ्य पर खर्च करती है. यह स्वास्थ्य बजट भूटान, नेपाल और श्रीलंका आदि जैसे गरीब देशों से भी कम है. विकसित देशों जैसे अमेरिका की सरकार अपने नागरिकों के स्वास्थ्य पर प्रति व्यक्ति प्रति वर्ष नौ लाख रुपए खर्च करती है, जबकि भारत की सरकार मात्र 5300 रुपए.
 
राजस्थान में काफी कम हैं एलौपेथिक चिकित्सक
राजस्थान की 8.3 करोड़ जनता के उपचार के लिए राज्य में 55 हजार एलौपेथिक चिकित्सक हैं. इनमें से 15 हजार सरकारी और 40 हजार प्राईवेट चिकित्सक हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार प्रत्येक एक हजार व्यक्तियों पर एक एलौपेथिक चिकित्सक होने चाहिएं. दिल्ली, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु और गोवा में यह मानक पूरा होता है, लेकिन राजस्थान में 2 हजार व्यक्तियों पर एक चिकित्सक हैं. सरकार चिकित्सकों और ट्रेंड स्वास्थ्य कर्मियों की कमी कब दूर करेगी, जिससे राज्य में एक हजार जनसंख्या पर एक एलोपैथिक चिकित्सक उपलब्ध हो सकें.


योग पद्धति और आयुर्वेदिक चिकित्सा स्वर्णिम
पहला सुख, निरोगी काया का सशक्त संदेश दिया है. कोविड-19 वैश्विक महामारी के दोरान भारत ने विश्व के सबसे बड़े टीकाकरण अभियान का नेतृत्व किया और कोविड-19 वैश्विक महामारी की तीसरी लहर को नियंत्रित कर विश्व को सशक्त संदेश दिया. प्राचीन भारत की योग पद्धति, आयुर्वेदिक चिकित्सा प्रणाली विश्वभर में स्वस्थ जीवन जीने के स्वर्णिम सूत्र समझाती है.


मॉडर्न एलोपैथिक चिकित्सा विज्ञान में भी भारत के अनुभवी चिकित्सकों ने चिकित्सा जगत में अपना लोहा मनवाया है. भारत के  अनुभवी चिकित्सक, अत्याधुनिक अस्पतालों एवं फॉर्मा इण्डिस्ट्री द्वारा उपलब्ध सस्ती, गुणकारक दवाओं एवं मेडिकल डिवाईसेज की उपलब्धता के चलते भारत ने चिकित्सा क्षेत्र में एक नया आयाम कायम किया है. हमारा देश मेडिकल टज्यूरिज्म के क्षेत्र में एशिया में थाईलेंड, सिंगापुर के बाद तीसरा पंसदीदा डेस्टीनेशन बन चुका है. रिमोर्ट पेशेन्ट मॉनिटिरिंग, आर्टीफिशियल इंटेलिजेंस, थ्री डायमेंशनल प्रिंटिग, रोबोटिक सर्जरी, नैनो मेडिसिन, बायोइंजीनियर्ड आॅर्गन, 5-जी एनेबल्ड डिवाइसेज आदि के माध्यम से हम मॉर्डन चिकित्सा जगत के नए युग में प्रवेश कर रहे हैं.


भारत में मौत के पांच प्रमुख कारण जानें 
डॉ. सुरेश पांडेय ने बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार विश्वभर में हाईपरटेंशन, डायबिटिज, सांस एवं हृदय संबंधी बीमारियां, कैंसर और रोड साईड एक्सीडेंट मृत्यु के पांच प्रमुख कारण है. लाइफ स्टाईल बीमारियों के तेजी से बढ़ने के कारण भारत की स्थिति भी अति चिंताजनक है. भारत में 2025 में 7 करोड़ डायबिटिज रोगी होंगे, जिनकी संख्या 2030 में बढ़कर 8 करोड़ हो जाएगी. 


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