Rajasthan: बीकानेर की कला प्रदर्शनी में देखें ऊंट की खाल से बनी दुनिया की सबसे छोटी पतंग, जानें विशेषता भी
Bikaner Art Exhibition: बीकानेर के स्थापना दिवस पर 19 अप्रैल से एक प्रदर्शनी का उद्घाटन किया गया. इस प्रदर्शनी में आने वाले लोगों को उस्ता व मथेरण कला से रूबरू होने का मौका मौका मिलेगा.
Bikaner News: राजस्थान का बीकानेर जिला अपने चटपटे खानपान व राजा रजवाड़ों की संस्कृति को संजोए हुए हैं. बीकानेर की कला व संस्कृति पहचान देश ही नहीं दुनिया मे अपना अलग ही स्थान रखती है. बीकानेर के स्थापना दिवस पर प्रदर्शनी का आयोजन किया गया है. आज 19 अप्रैल को प्रदर्शनी का उद्घाटन किया गया. ये सुबह 10 बजे से रात 8 बजे तक आम लोगों के लिए खुली रहेगी. इसे देखने का कोई पैसा नहीं लगेगा.
22 कैरेट गोल्ड से पतंग पर की गई है नक्काशी
इस प्रदर्शनी में रेगिस्तान के जहाज ऊंट की खाल पर बनी दुनिया की सबसे छोटी पतंग आकर्षण का केंद्र है. पतंग का आकार मात्र 1एमएम है. इस पतंग पर 22 कैरेट गोल्ड (स्वर्ण) की नक्काशी की हुई है. बीकानेर के 553वें स्थापना दिवस के मौके पर जिला प्रशासन, नगर विकास न्यास, नगर निगम व देवस्थान के सहयोग से आयोजित इस प्रदर्शनी में मास्टर क्राफ्ट मैन शौकत अली उस्ता जो भारत सरकार की ओर उस्ता कला में राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता हैं, उनकी उस्ता कला से तैयार पतंगें हर किसी को आकर्षित कर रही हैं.
एक तरफ है बीकानेर का नक्शा, दूसरी तरफ लिखा है स्थापना दिवस
उस्ता कला को आगे बढ़ाने के लिए और कुछ नया कर दिखाने के लिए उस्ता ने इस बार एक नया कीर्तिमान तैयार किया है. प्रदर्शनी के संयोजक ने बताया कि इस प्रदर्शनी में ऊंट की खाल पर बनी दुनिया की सबसे छोटी पतंग होगी, इस पतंग के दोनों तरफ सोने की नक्काशी की गई है. खूबसूरत दिखने वाली पतंग के एक तरफ 22 कैरेट गोल्ड से बीकानेर का नक्शा बनाया है, तो दूसरी ओर उस्ता कला से तैयार स्थापना दिवस लिखा है, जिसे लेंस के जरिए ही देखा जा सकता है.
दूसरी पतंग 21X21 सेंटीमीटर की, इस पर भी है सोने की नक्काशी
दूसरी पतंग 21x21 सेंटीमीटर की बनी हुई है. जिसके दोनों तरफ 22 कैरेट गोल्ड से उस्ता कला की नक्काशी की गई है. पतंग के एक तरफ देशनोक की करणी माता का चित्र व जूनागढ़ किला बनाया गया है. दोनों चित्र एक तरफ ही हैं. चित्र में करणी माता को बीकानेर को आशीर्वाद देते हुए दिखाया गया है. पतंग के दूसरी तरफ उस्ता कला नक्काशी के साथ राजस्थान की शान को दिखाया गया है.
दोनों पतंगों पर धागे से कनिया भी लगाई गई हैं. उस्ता ने कलाकारी के हुनर की बदौलत ही विश्व में बीकानेर का डंका बजाया है. शौकत अली उस्ता ने इस कला की बारीकियां अपने उस्ताद मोहम्मद हनीफ उस्ता सीखी है. यह कला पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही है.
शौकत अली उस्ता युवाओं के लिए चाहते हैं हुनर दिखाने का मंच दिलाना
शौकत अली उस्ता बीकानेर की लुप्त होती उस्ता कला को बचाने का निरंतर प्रयास करते आ रहे हैं. वह समय-समय पर सरकारी व गैर सरकारी स्तर पर प्रशिक्षण देने का काम भी करते रहते हैं. शौकत अली उस्ता का मानना है कि बीकानेर के युवा प्रतिभा से भरपूर हैं, उन्हें अपनी कला को प्रदर्शित करने और कौशल से लोगों को रूबरू कराने के लिए एक मंच मुहैया कराने की आवश्यकता है. बीकानेर की कई कलाएं विलुप्त होती जा रही हैं, सभी कलाएं हमारी धरोहर हैं. जिन्हें आगे बढ़ाना बहुत जरूरी है.
प्रदर्शनी में हैं 100 तस्वीरें भी
प्रदर्शनी के संयोजक अजीज भुट्टो के अनुसार, कला प्रदर्शनी में माथेरान कला, उस्ता कला व इन्हें दिखाने वाली तस्वीरें भी हैं. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गोल्ड मेडल से सम्मानित अजीज की ओर से लिए गए इन दोनों कलाओं से संबंधित 100 फोटोग्राफ्स भी प्रदर्शित किए गए हैं. इस तरह की तस्वीरें पहली बार किसी प्रदर्शनी में प्रदर्शित की जा रही हैं.
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