Vishwas Swaroopam: विश्व की सबसे ऊंची शिव प्रतिमा पर 3D Laser Show, महादेव के कई स्वरूपों से जगमग होगा राजसमंद
Rajsamand News: आज तक आपने 3डी या तो प्लेन सरफेस पर देखा होगा या फिर हवा-पानी पर, लेकिन यहां शिव प्रतिमा पर ही लेजर शो देखने को मिलेगा. इसमें शिव पुराण के अंशों को दिखाया जा रहा है.
World's Tallest Shiva Statue: उदयपुर संभाग के राजसमन्द जिले के श्रीनाथ की नगरी नाथद्वारा में विश्व की सबसे ऊंची शिव प्रतिमा विश्वास स्वरूपमं बनी है. इसे देखने के लिए देश और विदेश से कई पर्यटक जा रहे हैं. हालांकि यहां अब 3डी लेजर शो की नई शुरुआत की गई है. आज तक आपने 3डी या तो प्लेन सरफेस पर देखा होगा या फिर हवा-पानी पर, लेकिन यहां शिव प्रतिमा पर ही लेजर शो देखने को मिलेगा. खास बात यह है कि इसमें शिव पुराण के अंशों को दिखाया जा रहा है. अभी इसकी शुरुआत हुई ही हुई है.
शिव के दिखेंगे कई स्वरूप
इनपुट सेल्स हेड नितिन आमेटा ने बताया कि शिव प्रतिमा पर शुरू हुए इस लेजर शो में अभी शब्द उत्पत्ति कैसे हुई यह दिखाया जा रहा है. इसके बाद 7 दिन अलग-अलग कहानियां बताई जाएगी, शिव पुराण की होगी. जैसे अभी चल रहे शब्द उत्पत्ति की बात करें, तो इसमें लेजर लाइट से भगवान शिव के कई रूप दिखाए जा रहे हैं जो लोगों को काफी पसंद भी आ रहे हैं. ये शब्द उत्पत्ति का शो करीब 20 मिनट चलता है. इसके अलावा शिव के चलने का रूप, अप्रैल माह से शुरू हो जाएगा, जो 20-30 मिनट तक के होंगे. 7 बज ही शिव प्रतिमा के पूरे परिसर की लाइट बन्द कर दी जाती है और साउंड की आवाजें आनी शुरू हो जाती है. इसके साथ ही शुरू होता है लेजर लाइट शो.
जानिए तकनीकी पहलू
ऑपेरशन हैड भास्कर जोशी ने बताया कि अब तक 3डी प्रोजेक्शन मैपिंग फ्लेट सरफेस या हवा में ही देखी होगी. यहां मैपिंग प्रतिमा पर की जा रही है. इसके लिए 24 विशेष प्रोजेक्टर को उपयोग में किया जा रहा है, जिनकी कैपेसिटी 40 हजार ल्यूमिनस है. अभी शब्द उत्पत्ति के बारे में दिखाया जा रहा है और अप्रैल से शिव पुराण के अन्य भागों को भी दिखाया जाएगा.
यह है शिव प्रतिमा
विश्व की सबसे ऊंची शिव प्रतिमा 369 फीट ऊंची की है. प्रतिमा के अंदर सबसे ऊपरी हिस्से में जाने के लिए 4 लिफ्ट और तीन सीढ़ियां बनी हैं. प्रतिमा के निर्माण में 10 वर्षों का समय और 3000 टन स्टील और लोहा, 2.5 लाख क्यूबिक टन कंक्रीट और रेत का इस्तेमाल हुआ है. साथ ही इसे बनाने में 50 हजार लोगों का योगदान है. एक बार में इस प्रतिमा के अंदर 10 हजार लोग आ सकते हैं. प्रतिमा को पूरा देखने के लिए 4 घंटे का समय लगता है.