Rajasthan News: देश से बाल विवाह जैसी बुराई का खात्मा करने के लिए नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी और लेमा जोबोई की अगुवाई में एक अभियान की शुरुआत की गई. राजस्‍थान में दीप जलाकर कर कैलाश सत्‍यार्थी और लेमा जोबोई ने अभियान की शुरुआत की. राजस्थान स्थित विराट नगर के बंजारा समुदाय की बहुलता वाले नवरंगपुरा गांव में इस अभियान का शुभारंभ किया गया है. देशभर के हजारों गांवों में लाखों लोगों ने दीया जला कर इस सामाजिक बुराई को खत्म करने का प्रण लिया. इस अभियान को राज्‍य सरकारों ने भी अपना समर्थन दिया है. 


दीगर है कि कैलाश सत्यार्थी ने बाल बाल विवाह रूपी सामाजिक बुराई को खत्म करने के लिए लोगों से इसके खिलाफ एकजुट होने का आह्वान किया था. जिसका आज राजस्थान के विराट नगर के नवरंगपुरा गांव में एक विशाल जनसभा करके इसका विधिवत शुभारंभ किया गया. कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन्स फाउंडेशन (केएससीएफ) के नेतृत्व में शुरु हुआ “बाल विवाह मुक्त भारत” अभियान, लड़कियों के बाल विवाह के खिलाफ देश का सबसे बड़ा जागरुकता अभियान बन गया.




 10 हजार गांवों के लोग शामिल
इस अभियान के तहत आज देशभर के 26 राज्‍यों में 500 से अधिक जिलों में करीब 10 हजार गांवों (केएससीएफ द्वारा 6,015 गांवों में बाकी सरकार और अन्य संस्थाओं द्वारा) की 70,547 महिलाओं और बच्चों के नेतृत्व में जागरुकता कार्यक्रम आयोजित कर दीया जलाया गया और कैंडिल मार्च निकाला गया. इस अभियान में दो करोड़ से अधिक लोगों ने हिस्सेदारी कर बाल विवाह को खत्म करने की शपथ ली. 




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14 राज्य सरकारों के विभागों ने दिया समर्थन
देश के कोने-कोने और दूरदराज में आयोजित इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में छात्र, नौजवान, डॉक्टर, प्रोफेशनल्स, महिला नेत्री,  वकील, शिक्षक, शिक्षाविद् और मानव अधिकार कार्यकर्ताओं ने भी जम कर हिस्सा लिया. अभियान में नागरिक संगठन और स्वयंसेवी संस्थाओं ने भी बड़ी तादाद में हिस्सा लिया और कार्यक्रम भी आयोजित किए. बाल विवाह मुक्त भारत अभियान की खास बात यह थी कि सड़कों पर उतर कर नेतृत्व करने वाली महिलाओं में, ऐसी महिलाओं की संख्‍या ज्‍यादा थी जो कभी खुद बाल विवाह के दंश का शिकार हो चुकी थीं. कई जगह अभियान का नेतृत्व उन बेटियों ने किया, जिन्होंने समाज और परिवार से विद्रोह कर न केवल अपना बाल विवाह रुकवाया, बल्कि अपने जैसी कई अन्य लड़कियों को भी बाल विवाह के शिकार होने से बचाया. सभी ने एकसुर में बाल विवाह को रोकने के लिए कानूनों के सख्ती से पालन करने और 18 साल की उम्र तक सभी बच्चों को मुफ्त शिक्षा देने की बात कही.  


इस अभियान को में 14 राज्य सरकारों के महिला एवं बाल कल्याण विभाग, राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग, राज्य विधिक सेवा आयोग सहित रेलवे सुरक्षा पुलिस और जिला प्रशासन ने इस अभियान को अपना समर्थन दिया. इन संस्थाओं ने अपने अधिकारियों को इसमें शामिल होने और आंगनवाड़ी जैसी संस्थाओं को कार्यक्रम करने का निर्देश दिया है.




इस लड़ाई में मैं आपके साथ खड़ा हूं- कैलाश सत्‍यार्थी
बाल विवाह पीड़ितों की दुर्दशा पर रौशनी डालते हुए नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित कैलाश सत्‍यार्थी ने कहा, ‘बाल विवाह मानव अधिकारों और गरिमा का हनन है, जिसे दुर्भाग्य से सामाजिक स्वीकृति प्राप्त है. यह सामाजिक बुराई हमारे बच्चों, खासकर हमारी बेटियों के खिलाफ, अंतहीन अपराधों को जन्म देती है. कुछ सप्ताह पहले मैंने बाल विवाह मुक्त भारत बनाने का आह्वान किया था. इसने सदियों पुराने दमनकारी सामाजिक रिवाज से घुटन महसूस कर रही 70,547  महिलाओं में वह आग पैदा कर दी कि वे इसे चुनौती देने के लिए सड़कों पर उतर आई हैं. मैं लड़कियों की शादी की उम्र को 18 से बढ़ाकर 21 करने के,  भारत सरकार के प्रस्ताव का समर्थन करता हूं."


उन्होंने कहा कि मैं सभी धर्मगुरुओं का आह्वान करता हूं कि वे इस अपराध के खिलाफ बोलें और यह सुनिश्चित करें कि जो लोग शादियां कराते हैं, यहां तक कि गांव के स्तर पर भी, वे बच्चों के खिलाफ इस अपराध को न होने दें. शादियों में सजावट करने वाले, मैरेज हॉल मालिकों, बैंड-बाजा वालों, कैटरिंग वालों और दूसरे सभी लोगों से अनुरोध करता हूं कि वे इन शादियों में अपनी सेवाएं देकर इस आपराधिक कृत्य के सहभागी न बनें. आप में से जो लोग अपने गांवों में बाल विवाह रोक रहे हैं, उनको मैं भरोसा दिलाना चाहता हूं कि आप खुद को अकेला न समझें. इस लड़ाई में मैं आपके साथ खड़ा हूं.




सत्यार्थी ने कहा कि  आपके भाई के रूप में, मैं आपकी हर संभव सहायता और समर्थन करूंगा. मैं इस लड़ाई में आपका साथ नहीं छोड़ने वाला.’ वहीं नोबेल शांति पुरस्‍कार से सम्‍मानित लाइबेरिया की लेमा जेबोई ने भी बाल विवाह पर चिंता जताते हुए कहा, ‘बाल विवाह वैश्विक स्‍तर पर एक भयावह बुराई है. हमें मानवाधिकार की हत्‍या करने वाली इस कुप्रथा का अंत करना ही होगा.’