Year Ender 2023: साल 2023 के अगस्त में राजस्थान में कांग्रेस की सरकार थी और अशोक गहलोत मुख्यमंत्री थे. इस दौरान उन्होंने राज्य में 19 नए जिलों का एलान किया था. इसी क्रम में डीग को भी भरतपुर से अलग कर नया जिला बनाया गया. इसकी मांग काफी लंबे समय से चल रही थी इसलिए अशोक गहलोत ने विधानसभा चुनाव से ठीक पहले बड़ी रणनीति के तहत लाखों लोगों की मांग पूरी करते हुए डीग को यह सौगात दी. डीग को नया जिला बना दिया गया और यहां के लोगों में खुशी की लहर दौड़ गई. माना जा रहा था कांग्रेस का यह कदम चुनाव में पार्टी को फायदा पहुंचाएगा, हालांकि हुआ ऐसा नहीं.
डीग को नया जिला बनाने का कांग्रेस को नुकसान ही हुआ है. कांग्रेस सरकार में कैबिनेट मंत्री और पूर्व राजपरिवार के सदस्य विश्वेंद्र सिंह विधानसभा चुनाव हार गए. विश्वेन्द्र सिंह ने साल 2013 और 2018 के विधानसभा चुनाव में लगातार जीत दर्ज की थी. डीग को नया जिला बनवाने में कैबिनेट मंत्री विश्वेंद्र सिंह की महत्वपूर्ण भूमिका रही, यहां के मतदाताओं ने बीजेपी प्रत्याशी डॉ. शैलेष सिंह को वोट देकर विजयी बनाया दिया.
डीग से हमेशा जीता राज परिवार का सदस्य, इस बार मिली हार
डीग विधानसभा सीट पर हमेशा राज परिवार के सदस्य की जीत हुई है. वर्ष 2008 के विधानसभा चुनाव से पहले डीग और कुम्हेर की विधानसभा सीट अलग-अलग होती थी लेकिन परिसीमन के बाद कुम्हेर-डीग की सीट को एक कर दिया. साल 2008 के चुनाव में डॉ. दिगंबर सिंह की जीत हुई थी लेकिन साल 2013 और 2018 के विधानसभा चुनाव में कुम्हेर-डीग विधानसभा सीट पर राजपरिवार के सदस्य विश्वेन्द्र सिंह की जीत हुई है. विश्वेन्द्र सिंह साल 2018 में बनी राजस्थान की कांग्रेस सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे थे. विश्वेन्द्र ने 2013 के चुनाव में डॉ. दिगंबर सिंह को हराया था और 2018 में डॉ. दिगंबर सिंह के बेटे डॉ. शैलेष सिंह को हराया था. हालांकि, साल 2023 के विधानसभा चुनाव में डॉ. शैलेष सिंह से उन्हें हार का सामना करना पड़ा.
जाट बाहुल्य क्षेत्र डीग-कुम्हेर विधानसभा
डीग-कुम्हेर विधानसभा क्षेत्र में जाट मतदाता सबसे अधिक हैं. डीग-कुम्हेर विधानसभा क्षेत्र में लगभग 75 हजार जाट मतदाता हैं और दूसरे नंबर पर जाटव मतदाता आते हैं. कुम्हेर-डीग विधानसभा क्षेत्र में 50 हजार के करीब जाटव वोटर्स हैं. ब्राह्मण समाज के 25 हजार मतदाता, वैश्य समाज के 22 हजार मतदाता, माली सैनी समाज के भी लगभग 15 हजार मतदाता हैं. बघेले ठाकुर के 10 हजार, लोधा के 10 हजार और गुर्जर समाज के करीब 5 हजार वोटर्स हैं. इसके अलावा, कोली समाज के 3 हजार वोटर्स और लगभग 10 हजार ठाकुर मतदाता हैं. डीग-कुम्हेर विधानसभा क्षेत्र में सबसे अधिक 75 हजार जाट और दूसरे नंबर पर लगभग 50 हजार जाटव मतदाता आते हैं. यही मिलकर डीग का विधायक चुनते हैं.
क्यों हुआ कांग्रेस को नुकसान?
डीग को नया जिला बनाया गया है लेकिन कुम्हेर तहसील के कुछ गांव जो भरतपुर के नजदीक हैं, उनको भी डीग जिले में शामिल कर लिया गया है. जब से डीग को नया जिला बनाने की घोषणा हुई थी तभी से कई गांवों में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए थे. गांव वालों का कहना था कि हमारे गांव की भरतपुर जिला मुख्यालय से मात्र 7-8 किलोमीटर की दूरी है. इसलिए हमारे गांव को भरतपुर जिले में ही रहने दिया जाए. हालांकि, किसी ने गांव वालों की सुनी नहीं और कांग्रेस को इसका खामियाजा भुगतना पड़ा. विधानसभा चुनाव में डीग जिले की तीनों विधानसभा सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी को हार का सामना करना पड़ा.
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