Rajasthan: कोटा में UIT को रोल खत्म, KDA से बढ़ेगा विकास का दायरा, 289 गांवों को शामिल करने की तैयारी
KDA News: साल 1971 में कोटा नगर की स्थापना के बाद यहां की आबादी लगातार बढ़ रही है. ऐसे में आवश्यक बुनियादी सुविधाओं के तेजी से विकसति करने के लिए नए साल में बड़ा बदलाव किया जा रहा है.
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Kota News: साल 2014 के आमद में महज हफ्ता भर समय बाकी है. उम्मीद की जा रही है कि नए साल में कोटा के विकास को पंख लगने वाले हैं. नए साल तक कोटा नगर विकास न्यास, कोटा विकास प्राधिकरण (केडीए) बन जाएगा. कोटा विकास प्राधिकरण के लिए स्टाफ से लेकर भवन और अन्य व्यवस्थाओं की तैयारियां शुरू कर दी गई हैं. केडीए की आवश्यक प्रक्रियाएं पूरी होते ही कोटा के विकास कार्य, नगर विकास न्यास के स्थान पर कोटा विकास प्राधिकरण कराएगा. केडीए बनने के बाद एक बार फिर नया मास्टर प्लान लागू किया जाएगा. इसमें कोटा और बूंदी जिले के 289 गांव को शामिल किया जाएगा. कोटा शहर में इसके लिए लम्बे समय से मांग की जा रही थी.
कोटा में विकास की पर्याप्त संभावनाएं हैं, यहां बेहतर कनेक्टिविटी है. एक्सपर्ट बताते हैं कि इस समय 21 लाख की आबादी के हिसाब से प्लान बनाया गया है. फिलहाल कोटा का 2031 तक का अनुमानित 21 लाख की जनसंख्या के अनुसार मास्टर प्लान बनाया गया है, लेकिन कोटा में तेजी से लोगों की बसावट बढ़ रही है. कोचिंग करने आने वाले छात्रों में से भी हर साल कुछ लोग यहीं बस जाते हैं. ऐसे में 2031 तक कोटा महानगर का रूप ले लेगा. इसे देखते हुए केडीए के गठन के साथ ही, नया मास्टर प्लान तैयार किया जाएगा. जिससे विकास की संभावनाएं भी बढ़ेंगी. साल 2024 कोटा के विकास के लिहाज से बेहद खास होगा. सरकार बदलने के साथ ही जो विकास कांग्रेस के समय हुआ उससे अधिक विकास की चुनौती बीजेपी सरकार के सामने होगी.
केडीए दे सकेगा बड़े विकास कार्यों की अनुमति
केडीए की कार्य प्रणाली शुरू होते ही कोटा शहर में 10 करोड़ रुपये तक के काम स्वीकृत किए जा सकेंगे. स्वीकृति के लिए जयपुर के चक्कर काटने की आवश्यकता नहीं होगी. 10 करोड़ के विकास कार्य की स्वीकृति केडीए दे सकेगा. जिससे विकास कार्यों के लिए धन के की कमी नहीं होगी और यहां के बुनियादी सुविधाओं के विकसित करने में आसानी होगी. इसके अलावा अलग-अलग जोन बनाने से काम की गति बढ़ेगी. योजनाओं के नक्शे भी स्थानीय स्तर पर ही बन जाएंगे.
केडीए तय करेगा अगला मास्टर प्लान
पहले नगर विकास न्यास को किसी भी बड़े कार्य के लिए जयपुर से अनुमति लेने की आवश्यकता होती थी, लेकिन केडीए के गठन के साथ ही अब 10 करोड़ तक के कार्यों के लिए अनुमति की आवश्यकता नहीं होगी. यहीं पर सक्षम अधिकारी मौजूद रहेंगे और कार्य यहीं से हो जाएंगे. यूआईटी के मास्टर प्लान को अपडेट किया जाएगा. टाउन प्लान में भविष्य की जरूरत को पर्याप्त स्थान दिया जाएगा. केडीए का एरिया भी काफी बड़ा हो जाएगा. इस प्लान के अलावा भी आवश्यक सुविधाओं को विकसित करने के लिए भी कई चीजे रिजर्व की गई हैं.
प्रशासन के सामने बड़ी चुनौती
कोटा में लाडपुरा, केशव राय पाटन, तालेड़ा पंचायत समिति का पूरा इलाका शामिल किया गया है. वहीं दीगोद का कुछ हिस्सा भी इसमें शामिल किया गया है. हालांकि कुछ लोग इन गांवों को कोटा में शामिल करने का विरोध कर रहे हैं, ऐसे में इन्हें कोटा में शामिल करने की प्रशासन के सामने बड़ी चुनौती होगी.
कोटा का आबादी के साथ बढ़ता दायरा
अभी यूआईटी का प्लान साल 2031 तक के भविष्य की जरूरत के हिसाब से डिजाइन किया गया है. कोटा विकास प्राधिकरण बनने के बाद इसका विस्तार होगा. साल 1971 में कोटा नगर विकास न्यास की स्थापना के समय शहर की जनसंख्या मात्र 213 लाख थी. साल 2011 में कोटा की जनसंख्या 10 लाख से अधिक हो गई गई और कोटा का क्षेत्रफल 21000 एकड़ से बढ़कर 38000 एकड़ तक पहुंच गया. साल 2021 में कोरोना के कारण जनगणना नहीं हुई. ऐसे में शहर की वर्तमान अनुमानित जनसंख्या करीब 14 से 15 लाख आंकी जा रही है. इसके बाद साल 2031 तक 21 लाख तक पहुंचाने की संभावना है.
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