Year Ender 2023: राजस्थान में यह साल राजनीतिक घटनाओं के बदलाव के जाना जा रहा है. यहां सबसे ज्यादा बदलाव बीजेपी में हुआ है. साल की शुरुआत में 23 मार्च को बीजेपी ने अध्यक्ष सतीश पूनियां को हटा दिया था. उसके तुरंत बाद चित्तौड़गढ़ से दो बार के सांसद सीपी जोशी को अध्यक्ष की जिम्मेदारी दे दी गई. वहीं से एक नई शुरुआत हुई है. उसके ठीक कुछ ही दिन बाद नेता प्रतिपक्ष को भी बदल दिया गया. हालांकि इन सबके बावजूद बीजेपी ने राजस्थान में सत्ता हासिल कर ली है. लेकिन इसमें सबसे चौंकाने वाली बात ये रही कि बीजेपी ने दो बार सीएम रहीं वसुंधरा राजे को बीजेपी ने मुख्यमंत्री नहीं बनाया. उनकी जगह बीजेपी ने पहली बार विधायक चुनकर आए भजन लाल शर्मा को प्रदेश की कमान सौंपी है. 


वहीं बीजेपी ने इस साल तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष रहे गुलाब चंद कटारिया को असम का राज्यपाल बना दिया गया था. विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की पोस्ट खाली हुई तो उपनेता को प्रमोट किए जाने की कवायद शुरू हुई. उसके बाद उपनेता की जगह किसे लाया जाए इसपर मेहनत शुरू हुई. चूरू जिले से आने वाले राजेंद्र राठौड़ और सतीश पूनियां के कंधों पर पार्टी ने जिम्मेदारी डाल दी. ये दोनों नेता तभी से अब तक चर्चा में हैं. 


अध्यक्ष बदलने की शुरुआत और चुनौती 


राजस्थान में विधानसभा का चुनाव नजदीक था और उसके कुछ महीने पहले बीजेपी ने अध्यक्ष को बदल दिया. इसके बाद यहां एक नई सियासत शुरू हुई. उसी सियासत को लेकर बात आगे बढ़ने लगी. अध्यक्ष के बदलते ही नेता प्रतिपक्ष और उपनेता प्रतिपक्ष की चर्चा शुरू हो गई. वर्षों बाद किसी ब्राह्मण को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था. भाजपा में सीपी जोशी के सामने बड़ी चुनौती थी कि पार्टी को चुनाव में कैसे जीत दिलाये? मगर, कुछ दिन में चुनाव की रणभेरी बज गई और टिकटों के बंटवारे का दौर शुरू हो गया. मगर, चित्तौड़गढ़ विधान सभा सीट पर सीपी जोशी के लिए मुसीबत तब खड़ी हो गई जब वहां से दो बार के विधायक का टिकट कट गया और चंद्रभान सिंह आक्या ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का एलान कर दिया था. वहां से भैरों सिंह शेखावत के दामाद को मैदान में उतार दिया गया. मगर, इस सीट पर भाजपा की जमानत जब्त हो गई. जिसके बाद अध्यक्ष की कुर्सी पर खतरा मंडरा रहा है. 


नेता और उपनेता की चर्चा 


राजस्थान में नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी पर अप्रैल में राजेंद्र राठौड़ को बैठा दिया गया था. उसके बाद उनके सामने विधान सभा का चुनाव भी था. नेता प्रतिपक्ष बनने के बाद राजेंद्र राठौड़ को तारानगर विधानसभा सीट से चुनाव मैदान में उतार दिया गया था. जहां पर उन्हें हार मिली है. अब उनकी भूमिका पर सबकी नजर है. क्या उन्हें पार्टी दिल्ली ले जाएगी या यहीं पर कोई बड़ी जिम्मेदारी देगी. यहां पर ऐसी चर्चा तेज है. वहीं उप नेता प्रतिपक्ष सतीश पूनियां को भी आमेर से विधान सभा चुनाव में हार मिली है. उनकी भी भूमिका अब नई तय की जाएगी. नेता और उपनेता प्रतिपक्ष की चर्चा तेज है. 


भाजपा में संगठनात्मक बदलाव 


राजस्थान में इस साल सबसे ज्यादा बदलाव भाजपा के संगठन में रहा है. अध्यक्ष से लेकर पूरा संगठन बदल गया है. इसके साथ ही जिलों के अध्यक्ष भी बदले गए. भाजपा के सभी सातों मोर्चों को बदला गया. लगातार यहां पर बदलाव जारी रहा. इस साल भाजपा में बदलाव का दौर जारी रहा है. अभी भी बदलाव की सुगबुगाहट है.


ये भी पढ़ें


Rajasthan Cabinet Expansion: राजस्थान में कैबिनेट विस्तार के लिए नाम फाइनल! ये नेता बन सकते हैं मंत्री