Rajasthan Teacher Makes Unique World Record: 160 पारियों में 62.35 के औसत से 10039 का स्कोर. देखने में यह किसी क्रिकेटर का रिकॉर्ड लगता है लेकिन आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि यह किसी क्रिकेटर का नहीं एक शिक्षक का रिकॉर्ड है. जी हां, हम बात कर रहे हैं राजस्थान (Rajasthan) के भीलवाड़ा जिले (Bhilwara Distrcit) के लेक्चरर योगेश दाधीच (Yogesh Dadhich) की जो राजकीय बालिका स्कूल पुर (Government Girls School Pur) में पढ़ाते हैं. इन्होंने 160 अलग-अलग विश्वविद्यालय स्तर की परीक्षा दीं और उनमें यह लक्ष्य हासिल किया है. योगेश ने देश के चार विभिन्न विश्वविद्यालयों में यह परीक्षाएं दी हैं. इतने प्रकार की परीक्षाएं देखकर सर्वोच्च अंक प्राप्त करने का यह अनोखा ऑफिशियल वर्ल्ड रिकॉर्ड यूरोप (Europe) ने योगेश दाधीच के नाम (Yogesh Dadhich In Europe World Record) से दर्ज किया. 


इतनी पीजी और यूजी की परीक्षाएं दी हैं -


40 वर्ष की उम्र वाले योगेश ने यह अनूठा विश्व कीर्तिमान बनाने के लिए अब तक 14 विषयों में पीजी डिग्री, दो विषयों में यूजी डिग्री, एक में पीजी डिप्लोमा हासिल किया है. यही नहीं योगेश एमए राजस्थानी में विश्वविद्यालय में प्रथम स्थान प्राप्त करने पर स्वर्ण पदक भी प्राप्त कर चुके हैं.


गांव के सरकारी स्कूल से पूरी की प्रारंभिक शिक्षा -


गांव के सरकारी स्कूलों से अपनी प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त करने वाले योगेश शिक्षक के रूप में गुणवत्तापूर्ण और नवाचारी शिक्षा के लिए अपनी अलग पहचान रखते हैं. उनकी पत्नी पूजा भी एमए भूगोल में गोल्ड मेडलिस्ट हैं. योगेश अपनी सफलता के लिए प्रेरक और मार्गदर्शक अपने पिता पूर्व अतिरिक्त जिला शिक्षा अधिकारी गोपाल दाधीच और माता पूर्व शिक्षिका बसन्ता दाधीच को मानते हैं. विश्व कीर्तिमान बनाने पर जिला कलेक्टर आशीष मोदी ने जिलाधीश कार्यालय में योगेश का अभिनंदन किया.


क्यों हासिल की इतनी डिग्री -


योगेश ने इतनी डिग्रियां हासिल करने का इसलिए मन बनाया क्योंकि उनका पूरा परिवार शिक्षा से जुड़ा हुआ है. उन्होंने शुरू से ही पढ़ने का माहौल देखा. हालांकि जिला मुख्यालय से सुदूर गांव में रहने के कारण उनके पास सुविधाओं का अभाव था. लेकिन अब यूरोप ने विश्वविद्यालय की परीक्षा में सबसे अधिक अंक प्राप्त करने का प्रमाण पत्र योगेश दधीच के नाम जारी किया है.


इस उपलब्धि पर क्या कहना है योगेश का -


योगेश का कहना है, ‘मेरी पूरी पढ़ाई सरकारी स्कूलों में ही हुई है. मुझे शुरू से ही पढ़ने का शौक था. मैं अपनी स्कूल लाइब्रेरी की लगभग 2000 पुस्तकें स्कूल टाइम में पढ़ चुका था. बीए में कॉलेज टॉप करने के बाद जब मैंने एमए के एग्जाम देने शुरू किए तो रिजल्ट अच्छे मिलने लगे. तो मैंने फॉर्म भरना और परीक्षा देना जारी रखा. 2012 में एमए राजस्थानी में यूनिवर्सिटी टॉप करने के बाद तो और अधिक ऊर्जा के साथ परीक्षाएं देने लगा. इसलिए आज तक भी परीक्षाएं दे रहा हूं. परीक्षा देने के बाद परिणाम का इंतजार और परिणाम देखना मुझे बहुत रोमांचित करता है.’


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