Udaipur News: उदयपुर जेल में कैदियों का काम देख चौंक जाएंगे आप, तीन साल में किया 1.25 करोड़ रुपये का कारोबार
उदयपुर सेंट्रल जेल की बात करें तो यह कैदी कूलर, टेबल-कुर्सी, दरिया, ड्रेस सहित अन्य वस्तुएं खुद बनाते हैं. . वर्ष 2020 से अब तक कैदियों ने 1.25 करोड़ रुपए का कारोबार कर लिया है.
![Udaipur News: उदयपुर जेल में कैदियों का काम देख चौंक जाएंगे आप, तीन साल में किया 1.25 करोड़ रुपये का कारोबार You will be shocked to see the work of prisoners in Udaipur jail, done business of Rs 1.25 crore in three years ann Udaipur News: उदयपुर जेल में कैदियों का काम देख चौंक जाएंगे आप, तीन साल में किया 1.25 करोड़ रुपये का कारोबार](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2022/02/15/f1677af08aecf67ecb222eba81e86d03_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
Udaipur Prisoners Business: हत्या, दुष्कर्म सहित अन्य अपराधों को कर जेल में सजा काटते हैं यह तो हम सब जानते हैं लेकिन जेल (Jail) में रहते हुए उद्योग से भी जुड़े रहते हैं. उदयपुर सेंट्रल जेल की बात करें तो यह कैदी कूलर, टेबल-कुर्सी, दरिया, ड्रेस सहित अन्य वस्तुएं खुद बनाते हैं. बड़ी बात तो यह है कि कोरोना काल में जहां पूरे देश मे व्यापार बन्द था वही कैदियों (Prisoners) ने रिकॉर्ड तोड़ काम किया. वर्ष 2020 से अब तक कैदियों ने 1.25 करोड़ रुपए का कारोबार कर लिया है. साथ ही उदयपुर सेंट्रल जेल प्रदेश की 9 सेंट्रल जेल में कारोबार करने में प्रथम स्थान पर आ रही है. वित्तीय वर्ष 2020 में 75 लाख, वर्ष 2021 में 31 लाख और वर्ष 2022 में अब तक 21 लाख रुपए से ज्यादा का कारोबार कर लिया है.
कैदी दिखा रहे हैं अपना हुनर
जेल अधीक्षक राजेन्द्र कुमार ने बताया कि जेल में आने के बाद कैदी का अपराध ज्यादा मायने नहीं रखता है. यहां आने के बाद हमारा यह दायित्व है कि उन्हें ऐसी गतिविधियों के संलिप्त किया जाए कि वह जेल से बाहर निकले तो समाज से जुड़ पाए और यहां किया हुआ काम बाहर भी काम आए. इसलिए जेल में उद्योग लगाया हुआ है जिसमें मुख्य रूप से लौहे और स्टील के फर्नीचर बनावते हैं जैसे टेबल-कुर्सी, कूलर, चारपाई बनवाते हैं. साथ ही कपड़ा भी यही बनाया जाता है जिससे कैदियों की वर्दी भी यही बनती है. यहीं नहीं जेल में मसाले भी बनाए जाते हैं जो कैदियों के बनने वाले खाने में उपयोग में लेते हैं. साथ ही सफाई के लिए फिनाइल और छाड़ू-पोछे भी यही बनाए जाते हैं.
दो सेशन में होता है काम
जेल उद्योग प्रभारी राजकुमार यादव ने बताया कि सेंट्रल जेल में कारोब 1300 बंदी है, जिसमें 40 प्रतिशत सजा भुगत रहे और 60 प्रतिशत का केस कोर्ट में विचाराधीन है. जेल में आने के बाद बंदियों में देखा जाता है कि उनके पास कौनसा हुनर है. फिर उनको उसी अनुसार काम करवाते हैं. अगर किसी के पास हुनर नहीं है और उद्योग में काम करने का इछुक है तो उसे सिखाया भी जाता है. उन्होंने बताया कि दो शिफ्ट में उद्योग चलता है. सुबह 7.30 बजे से 11 और दोपहर 12 बजे से 4 बजे तक. अलग-अलग सेक्शन में बंदी काम करते रहे हैं. साथ ही बंदियों का रोटेशन चलता रहता है.
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