पढ़ें हाथरस कांड में सीबीआई जांच की कितनी राह आसान और कितनी मुश्किल
त्तर प्रदेश के बहुचर्चित हाथरस केस में सीबीआई ने FIR दर्ज कर जांच शुरू कर दी है. जांच के लिए सीबीआई द्वारा एक टीम भी गठित की गई है. सीबीआई की एफआईआर में आरोपी के तौर पर अभी सिर्फ संदीप का नाम है लेकिन इस केस में गैंगरेप की धारा जोड़ी गई है.
घटना के 27 दिन और योगी सरकार की सिफारिश के 11 दिन बाद ही सही आखिर हाथरस कांड में सीबीआई ने एफआईआर दर्ज कर ली और जांच भी शुरू कर दी. जिस हाथरस कांड से उत्तर प्रदेश की सियासत में महिला सुरक्षा, दलित उत्पीड़न, पुलिसिया मनमानी जैसे मुद्दे राजनीति की आग को भभका रहे थे उस हाथरस कांड मैं अब जांच का जिम्मा उस एजेंसी के पास है जिसके ऊपर सरकार को भी भरोसा है, आरोपी पक्ष को भी और अदालत को भी.
14 सितंबर की सुबह करीब साढ़े 9 बजे हाथरस के चंदपा थाना क्षेत्र के बुलगढ़ी गांव में हुई युवती के साथ मारपीट और गैंगरेप की घटना ने उस समय अचानक तूल पकड़ लिया जब पीड़िता को 14 दिन बाद दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कराया गया. 29 सितंबर को उसकी इलाज के दौरान मौत हो गई. सफदरजंग अस्पताल में पीड़िता की मौत होते ही राजनीति जिंदा हो गई. कांग्रेस, भीम आर्मी समेत तमाम राजनीतिक दल, नारी संगठन उत्तर प्रदेश की सरकार को महिला सुरक्षा और दलित उत्पीड़न के नाम पर घेरने लगे. नामजद किए गए चारों आरोपी ठाकुर बिरादरी के थे लिहाजा उत्तर प्रदेश की योगी सरकार पर जातिवादी होने का आरोप भी लगने लगा.
3 अक्टूबर को सीबीआई जांच की सिफारिश
पीड़िता का शव दिल्ली से हाथरस पहुंचा तो पुलिस की मौजूदगी में आधी रात के वक्त बिना परिजनों को साथ लिए अंतिम संस्कार करा दिया गया. 30 सितंबर को हुई घटना के बाद हंगामा बढ़ने लगा तो सरकार ने जांच के लिए एसआईटी गठित कर दी गई. 3 अक्टूबर को डीजीपी हितेश चंद्र अवस्थी और अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश अवस्थी हाथरस पीड़ित परिवार से मिलने पहुंच गए. दोनों ही अधिकारी हाथरस से लखनऊ पहुंचे. सरकार को रिपोर्ट दी. उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से सीबीआई जांच की सिफारिश कर दी गई.
सीबीआई की एफआईआर में गैंगरेप की धारा
3 अक्टूबर को भारत सरकार के गृह मंत्रालय से की गई सिफारिश के बाद 10 अक्टूबर को डीओपीटी ने नोटिफिकेशन जारी कर दिया. डीओपीटी से मंजूरी मिलते ही 11 अक्टूबर के पहले घंटे में यानी रात 12 बजकर 32 मिनट पर ही सीबीआई की गाजियाबाद यूनिट की एंटी करप्शन ब्रांच ने एफआईआर दर्ज कर ली. सीबीआई की एफआईआर में हत्या, हत्या के प्रयास, गैंगरेप, एससी-एसटी एक्ट की धारा लगाई गई है.
सीबीआई की गाजियाबाद यूनिट की एंटी करप्शन ब्रांच थाने में दर्ज हुई इस एफआईआर में पीड़िता के भाई की तरफ से दर्ज कराई गई पहली एफआईआर को आधार बनाया गया है. हाथरस के चंदपा थाने में 14 सितंबर को ही पीड़िता के भाई ने मुख्य आरोपी संदीप सिंह पर नामजद 136/20 क्राइम नम्बर पर एफआईआर दर्ज कराई थी. सीबीआई ने इसी क्राइम नंबर की FIR को अपना आधार बनाकर जांच शुरू की है. सीबीआई की डिप्टी एसपी सीमा पाहुजा इस पूरे मामले की जांच करेंगी.
सीबीआई के लिए नहीं होगी जांच आसान
हाथरस कांड की जांच कर रही सीबीआई के लिए भी राह आसान नहीं होगी. जहां एक तरफ इस मामले में कथित गैंगरेप और हत्या वाला घटनास्थल लोगों की आवाजाही के चलते सुरक्षित नहीं रह गया तो वही गैंगरेप और मारपीट कर गला दबाने की पुष्टि के लिए पीड़िता का शव भी नहीं है. ऐसे में सीबीआई के सामने सिर्फ इलाज करने वाले सीएचसी के स्थानीय डॉक्टर से लेकर अलीगढ़ के जेएन मेडिकल कॉलेज और फिर सब सफदरजंग अस्पताल के डॉक्टर व पोस्टमार्टम पैनल वाले डॉक्टरों का बयान और रिपोर्ट ही अहम होगी.
सबसे बड़ी अड़चन जांच एजेंसी के सामने पीड़ित परिवार की तरफ से ही आ सकती है, क्योंकि पीड़ित परिवार सीबीआई जांच नहीं चाहता था. जबकि जेल में बंद सभी 4 आरोपियों के पूरे परिवार ने सीबीआई जांच की गुहार लगाई थी.
मोबाइल लोकेशन बनेगी जांच का सबसे बड़ा आधार
इन तमाम दुश्वारियों के बीच सीबीआई के लिए मुख्य आरोपी संदीप सिंह और पीड़िता के भाई संदीप की मोबाइल पर बातचीत, मोबाइल की लोकेशन, सीबीआई के लिए अहम सुराग साबित होगी. मुख्य आरोपी संदीप के मोबाइल पर पीड़िता के परिवार वालों के नाम दर्ज मोबाइल नंबरों से कब-कब, कहां-कहां से और कितनी देर बातचीत हुई, सीबीआई इस मामले की गहनता से जांच करेगी. इतना ही नहीं घटना वाले दिन यानी 14 सितंबर की सुबह 9.30 बजे तक की सीडीआर और मोबाइल लोकेशन इस घटना की सबसे अहम कड़ी होगा. इस कॉल डिटेल के जरिए है जहां एक तरफ मुख्य आरोपी संदीप के साथ तीन अन्य आरोपियों की घटना स्थल पर मौजूदगी की पुष्टि होगी तो वहीं दूसरी ओर आरोपी घटनास्थल पर किसके बुलाने पर पहुंचे कब पहुंचे, इसको भी सीबीआई सामने लाएगी.
आरोपी पक्ष पहले से अपने बेटों को निर्दोष बता रहा है. मुख्य आरोपी संदीप ने एसपी हाथरस को जेल से भेजी चिट्ठी में पहले ही मान लिया कि पीड़िता से उसकी जान पहचान और दोस्ती थी जो पीड़िता के परिवार को मंजूर नहीं था. वह घटना वाले दिन पीड़िता से मिलने भी गया लेकिन फिर वापस आ गया.
पीड़िता के वीडियो वाले बयान भी सुराग
पीड़ित परिवार के द्वारा दर्ज कराई गई पहली एफआईआर में सिर्फ संदीप सिंह को नामजद कर हत्या के प्रयास का जिक्र बाद में गैंगरेप और अन्य आरोपियों का जिक्र हुआ. पीड़िता के सामने आए कथित दो बयान वाले वीडियो भी इस मामले को और पेचीदा बना गए.
फिलहाल हाथरस कांड में सीबीआई के एफआईआर दर्ज होने के बाद अब राजनीतिक दलों के साथ-साथ आरोपी व पीड़ित परिवार को भी निष्पक्ष जांच होने का भरोसा होगा, तो वहीं दूसरी ओर सरकार भी अपने ऊपर लगने वाले पक्षपात के तमाम आरोपों पर खड़ी हो सकेगी.
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