स्वच्छ निर्मल गंगा के लिये संघ प्रमुख ने प्रयागराज में दिया बड़ा संदेश, कहा- राम मंदिर की तरह चलाया जाए अभियान
संघ प्रमुख मोहन भागवत ने प्रयागराज में कहा कि गंगा की सफाई के लिये सरकार का मुंह नहीं ताकना चाहिये. गंगा हमारी जीवन धारा है, और इसकी निर्मलता के लिये लोगों को जुड़ना होगा.
प्रयागराज: संघ प्रमुख मोहन भागवत ने मोक्षदायिनी और जीवनदायिनी कही जाने वाली राष्ट्रीय नदी गंगा को उसका पुराना गौरव वापस दिलाए जाने को लेकर देशवासियों को बड़ा संदेश दिया है. उन्होंने कहा कि, गंगा की धारा को अविरल व निर्मल बनाए जाने के लिए उसी तरह का अभियान चलाए जाने की जरूरत है, जिस तरह की मुहिम अयोध्या में रामलला के भव्य मंदिर निर्माण के लिए चलाई गई थी. उनके मुताबिक अगर जन सहभागिता के जरिए इस तरह का अभियान चलाया गया तो राम मंदिर की तरह गंगा की निर्मलता का सपना भी एक दिन जरूर पूरा होगा.
गंगा की निर्मलता के लिये सभी एकजुट हों
संघ प्रमुख मोहन भागवत ने गंगा को लेकर अपने अनुषांगिक संगठन गंगा समग्र से जुड़े कार्यकर्ताओं को कई दूसरी नसीहतें व गुरु मंत्र भी दिए. उन्होंने कहा है कि अगर गंगा की तस्वीर बदलनी है तो इसके लिए तीन स्तर पर प्रयास करने होंगे. भक्ति ज्ञान और कर्म की त्रिवेणी के जरिए ही इस प्रयास को सार्थक किया जा सकता है. उन्होंने आज फिर दोहराया कि गंगा सिर्फ आस्था की ही प्रतीक नहीं, बल्कि भारत के रहने वाले लोगों की जीवनधारा भी हैं. मोहन भागवत ने कहा सरकार या संस्थाओं का मुंह ताकने के बजाय गंगा की बेहतरी के लिए सभी को एकजुट होकर काम करना होगा. जन सहभागिता के जरिए ही इसका पुराना गौरव वापस लाया जा सकता है.
बड़े पैमाने पर लोगों को जोड़ा जाए
उनके मुताबिक़ जागरूकता और बदलाव की शुरुआत परिवार से की जानी चाहिए. परिवार के बाद पड़ोसियों - गांव और कस्बे के लोगों और बाद में बड़े पैमाने पर लोगों को जोड़कर अभियान में तेजी लाई जा सकती है. उनके मुताबिक सिर्फ बड़े शहरों के पक्के घाटों के बजाय गंगा किनारे के सभी घाटों और जगहों को स्थानीय स्तर पर विकसित किया जाना चाहिए. वहां साफ-सफाई के इंतजाम किए जाने चाहिए. पूजा अर्चना के इंतजाम किए जाने चाहिए. वृक्षारोपण किए जाने चाहिए और सबसे प्रमुख यह है कि, सभी जगहों पर रोजाना गंगा की आरती अवश्य होनी चाहिए. उनके मुताबिक आरती से आस्था का भाव पैदा होता है. लोग इकट्ठे होते हैं और उन्हें गंगा के जरिए आर्थिक और भौतिक लाभ भी नजर आने लगता है. इस तरह लोग जागरूक भी होते हैं.
गंगा समग्र का विशेष कार्यक्रम
संघ प्रमुख मोहन भागवत के गुरु मंत्र के मुताबिक लोगों में पहले गंगा को लेकर भक्ति भाव जागृत करना चाहिए, फिर उन्हें जागरूक करना चाहिए और सबसे आखिर में उन्हें कर्म करने के लिए प्रेरित करना चाहिए. मोहन भागवत ने यह सभी गुरु मंत्र संघ के अनुषांगिक संगठन गंगा समग्र के दो दिनों के विशेष कार्यक्रम के समापन सत्र में कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए दिए.
गंगा समग्र अभियान से जुड़े हुए कार्यकर्ताओं के समागम का यह कार्यक्रम प्रयागराज के माघ मेले में विश्व हिंदू परिषद के कैंप में आयोजित किया गया था. दो दिनों के कार्यक्रम में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने पहले सत्र में पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं की भावनाओं और उनके सुझावों को सुना और उसके बाद उन्होंने सभी को खुद ही नसीहत दी. सरकार से सीधे तौर पर कोई अपेक्षा ना जताकर उन्होंने मोदी सरकार द्वारा पिछले 6 सालों में गंगा के लिए किए गए कामों की इशारों में तारीफ की और कामों पर अपनी मुहर भी लगाई.
आरती-दीपदान किया
इससे पहले शुक्रवार की शाम को उन्होंने प्रयागराज के संगम पर मां गंगा की विशेष आरती दीपदान और पूजा-अर्चना भी की थी. दोनों ही दिन उन्होंने लोगों को यह समझाने की कोशिश की कि गंगा भारत के लोगों की जीवनधारा है और इसके अस्तित्व को बचाए रखने के लिए जन सहभागिता सबसे जरूरी है. माना यह जा रहा है प्रयागराज के अपने दो दिनों के दौरे में मोहन भागवत ने संगम की रेती और गंगा मैया के सामने सर झुका कर अयोध्या में रामलला के भव्य मंदिर निर्माण की शुरुआत होने पर उनका आभार भी जताया है. इसी वजह से उनके प्रयागराज दौरे के कई मायने भी निकाले जा रहे हैं. माना जा रहा है कि प्रयागराज की धरती से उन्होंने देश को बड़ा संदेश दिया है.
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