किसान बिल के विरोध में सपा का बयान, किसान अपनी जमीन पर मालिक नहीं मजदूर बनकर रह जाएगा
नये कृषि विधेयक को लेकर विपक्षी दलों का हंगामा जारी है. समाजवादी पार्टी का कहना है कि बिल के विरोध में 25 सितंबर को सपा कार्यकर्ता सभी जिलों के जिलाधिकारियों को ज्ञापन सौंपेगी.
लखनऊ. किसान बिल के विरोध में समाजवादी पार्टी सरकार पर हमलावर है. पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के निर्देश पर आगामी 25 सितम्बर 2020 को समाजवादी पार्टी सभी जनपदों में शारीरिक दूरी बनाए रखते हुए किसानों एवं श्रमिकों के हितों पर आघात पहुंचाने वाले कृषि एवं श्रम कानूनों के विरोध में जिलाधिकारी के माध्यम से महामहिम राज्यपाल जी को सम्बोधित ज्ञापन सौंपेगी.
अपनी जमीन पर मजदूर बन जाएंगे किसान
सपा मुखिया का कहना है कि किसानों के हितों की अनदेखी करने वाला जो कृषि विधेयक भारत सरकार लाई है, उससे किसान अपनी जमीन का मालिक न रहकर मजदूर हो जाएगा. कृषि उत्पादन मण्डी की समाप्ति और विधेयक में न्यूनतम समर्थन मूल्य मिलना सुनिश्चित न होने से किसान अब औनेपौने दामों पर अपनी फसल बेचने को मजबूर होगा. गेहूं, धान की फसल को आवश्यक वस्तु अधिनियम से हटाये जाने से किसान को बड़े आढ़तियों और व्यापारिक घरानों की शर्तों पर अपनी फसल बेचना मजबूरी होगी. समाजवादी पार्टी किसानों की आवाज दबने नहीं देगी.
श्रम कानून पर बदलाव सही नहीं
संसद से पारित श्रमिक कानून से श्रमिकों के हित बुरी तरह प्रभावित होंगे. अभी तक 100 कर्मचारियों वाले उद्योगों को बिना सरकारी अनुमति छंटनी का अधिकार नहीं था, नया कानून 300 कर्मचारियों वाले उद्योगों को भी जब चाहे छंटनी करने का अधिकार दे रहा है. इससे श्रमिकों में असुरक्षा की भावना बढ़ेगी और वे अपनी जायज मांग भी नहीं उठा सकेंगे. उद्योगपति के वे बंधुआ मजदूर रह जाएंगे.
भाजपा सरकार के प्रति इन जनविरोधी कानूनों को लेकर भारी आक्रोश व्याप्त है. किसान जगह-जगह प्रदर्शन कर रहे हैं. भाजपा सरकार श्रमिकों को रोजगार तो दे नहीं पा रही है, उल्टे उनको पूंजी घरानों की दया पर आश्रित बनाने की साजिश कर रही है. समाजवादी पार्टी इन साजिशों का पुरजोर विरोध करेगी.
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