Madhya Pradesh News: मध्य प्रदेश के दमोह में एक प्राइवेट स्कूल में हिन्दू छात्राओं को कथित तौर पर हिजाब पहनने पर मजबूर करने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दमोह के स्कूल में अल्लामा इकबाल की नज्म गाये जाने पर सख्त रुख अपनाया है. मुख्यमंत्री ने कहा कि "स्कूल में भारत का विभाजन करवाने वाले की कविता पढ़ाई जा रही थी. मध्यप्रदेश की धरती पर ऐसी हरकतें नहीं चलेंगी. ऐसे स्कूल बंद कर दिये जाएंगे."


दरअसल, दमोह के गंगा-जमुना स्कूल के एक पोस्टर में छात्राओं को हिजाब पहनाए जाने के आरोप के बाद हिन्दू सगंठन एक्टिव हुए. इसके बाद मामले ने साम्प्रदायिक रंग ले लिया है. इस मामले में शुरुआती जांच में कलेक्टर मयंक अग्रवाल ने स्कूल को क्लीनचिट दे दी. लेकिन बाद में यह बात सरकार तक पहुंची और गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा के साथ ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने नए सिरे से जांच करने के निर्देश दे दिए. अब सीएम के सख्त तेवर के बाद दमोह कलेक्टर ने स्कूल पर कार्रवाई करते हुये स्कूल यूनिफॉर्म में हिजाब के बंधन पर रोक लगा दी है. इतना ही नहीं, कलेक्टर के निर्देश के बाद अब अल्लामा इकबाल के 'लब पे आती है दुआ' नज्म गाने पर भी रोक रहेगी. अब छात्र प्रातः कालीन प्रार्थना में केवल राष्ट्रगान जन-गण-मन ही गाएंगे.



अल्लामा इकबाल की नज्म पर जताया ऐतराज


वहीं, छतरपुर में आज शुक्रवार को एक कार्यक्रम में गरजते हुए सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि,"अभी कल मुझे पता चला कि दमोह के स्कूल में बेटियों को सिर पर कुछ बांधकर आओ, ये नियम बना दिया और पता नहीं, कौन-सी उस व्यक्ति के नाम से जिसने भारत का विभाजन करवाया, उसकी कविता पढ़ाई जा रही थी." उन्होंने आगे कहा कि,"मैं सावधान करना चाहता हूं कि मध्यप्रदेश की धरती पर ऐसी हरकतें नहीं चलेंगी, जो शिक्षा नीति लागू की गई है प्रधानमंत्री के द्वारा, वही शिक्षा नीति लागू होगी.उसके खिलाफ अगर किसी स्कूल में कोई दूसरी गलत चीज पढ़ायेगा या किसी बेटी को सिर पर बांधकर आओ स्कार्फ या कोई और चीज, इसके लिए कोई मजबूर करेगा तो ऐसा स्कूल मध्यप्रदेश में चल नहीं पाएगा, ये मध्यप्रदेश में नहीं चलने देंगे."


बता दें कि इसी स्कूल का एक पोस्टर सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था, जिसमें टॉप करने वाली बच्चियों की फोटो लगी थी. इन टॉपर्स में कुछ हिन्दू समुदाय की बच्चियां भी थीं, जिन्होंने हिजाब पहना हुआ था. हालांकि, इस मामले में किसी भी छात्रा के परिजनों ने कोई शिकायत दर्ज नहीं कराई. लेकिन वायरल फोटो के आधार पर कलेक्टर ने जांच के निर्देश दिए. इसके बाद कलेक्टर ने ट्विटर पर जानकारी दी कि वायरल पोस्टर मामला निराधार है और जांच में कोई दोषी नहीं पाया गया. 


जाने क्या है हिजाब का विवाद


जानकारी के लिए बता दें कि 2 दिन पहले दमोह के एक निजी स्कूल गंगा-जमुना की छात्राओं ने ये आरोप लगाया था कि उनके ड्रेस कोड में हिजाब जोड़ दिया गया है और उन्हें जबरदस्ती हिजाब पहनने के लिए मजबूर किया जा रहा है. ये बात सामने आने के बाद से हिन्दू संगठन के कार्यकर्ताओं ने कलेक्टर ऑफिस के सामने प्रदर्शन किया था. साथ ही, स्कूल का रजिस्ट्रेशन कैंसिल कराने की मांग उठाई गई थी. इसके बाद गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा था कि मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस अधीक्षक को जांच के निर्देश दिए गए हैं. वहीं, सीएम शिवराज सिंह चौहान ने भी सख्ती दिखाते हुए जांच के आदेश दिए थे.


जानकारी के लिए बता दें कि कलेक्टर दमोह मयंक अग्रवाल ने कहा है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के सख्त निर्देश पर स्कूल मामले में गठित समिति की जांच जारी रहेगी और ये पता लगाया जाएगा कि ये नियम किन परिस्थितियों में बनाए गए. दोषी व्यक्ति पर कार्यवाही भी की जाएगी.


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