नई दिल्ली: कोरोना महामारी के दौरान पिछले चार महीनों से बंद पड़े स्कूलों में बच्चों को ऑनलाइन क्लास के ज़रिये पढ़ाने की व्यवस्था की गई है. लेकिन हर बच्चे के पास ये सुविधा नहीं है कि वो ऑनलाइन क्लास के ज़रिए अपनी पढ़ाई पूरी कर सके. ये वो बच्चे हैं, जिनके पास मोबाइल, टैबलेट तो दूर फोन चार्ज करने के लिये बिजली भी नहीं है. और अगर ये सब मिल भी जाये तो क्लास जॉइन करने के लिये इंटरनेट कनेक्शन नहीं है.


पूर्वी दिल्ली के यमुना खादर इलाके की बस्ती में रहने ऐसे बच्चों को पढ़ाने का बीड़ा उठाया है सत्येंद्र पाल ने. यमुना खादर इलाके में ही एक झोपड़ी में सत्येंद्र सर की क्लासेज चल रही हैं. झोपड़ी के अंदर कुछ डेस्क, कुर्सियां और बोर्ड लगाकर क्लास रूम बनाया गया है. कोरोना संक्रमण न फैले इस बात का ध्यान रखते हुए सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क और सैनिटाइजर का भी इंतजाम किया गया है. फिलहाल सत्येंद्र यहां 9 वीं और 10 वीं क्लास के बच्चों को पढ़ा रहे हैं. क्योंकि कोरोना के मद्देनजर ज़्यादा बच्चों को अभी यहां नहीं बुलाया जा सकता. साथ ही 9वीं और 10वीं क्लास के बच्चों को पढ़ाई में खासकर गणित में ध्यान देने की ज़्यादा ज़रूरत है. 10वीं की क्लास झोपड़ी के अंदर तो 9वीं की क्लास बाहर दरी पर चलती है. सत्येंद्र दोनों क्लास पर ध्यान देते हैं.


दरअसल सत्येंद्र खुद बीएससी फाइनल ईयर के छात्र हैं. उनके माता पिता सब्ज़ी बेचने का काम करते हैं. 2012 में उन्होंने खादर में रहने वाले गरीब बच्चों को पढ़ाने का काम शुरू किया था. कोरोना के समय लॉकडाउन के चलते उन्होंने भी पढ़ाना बंद कर दिया था. लेकिन जुलाई में बच्चों की पढ़ाई ऑनलाइन क्लासेज के द्वारा शुरू की गई, जिससे कई बच्चों को पढ़ाई पीछे छूटने का डर सताने लगा. ऐसे में संत्येंद्र ने इन बच्चों को पढ़ाना शुरू कर दिया. बच्चों के लिये मास्क सैनिटाइजर आदि के लिये उन्हें कुछ संस्थाओं से मदद भी मिल गई.


10 वीं क्लास में पढ़ने वाली रूबी ने ABP न्यूज़ को बताया कि घर में उनके पास क्लास अटेंड करने के लिये न तो मोबाइल है और न ही इंटरनेट है. पढ़ाई में पीछे रह जाने का डर भी था. इसलिए सत्येंद्र सर से बच्चों ने कहा कि उनकी पढ़ाई शुरू करा दें. रूबी बड़ी होकर खुद एक टीचर बनना चाहती हैं. इसलिये 10वीं की परीक्षा पास करना उसके लिए बहुत ज़रूरी है. 10वीं में ही पढ़ने वाले राहुल का कहना था कि हाल ही में मोबाइल खरीदा है, लेकिन बिजली नहीं आती है. ऐसी में मोबाइल चार्ज भी नहीं हो पाता कई बार. इंटरनेट भी उपलब्ध नहीं है. इसलिये ऑनलाइन क्लासेज से पढ़ना उनके लिए संभव नहीं हो पाता. ऐसे में सत्येंद्र सर की क्लास ही उनके लिये सहारा है.


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