पीलीभीत। उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जिले से एक चौंका देने वाला मामला सामने आया है. यहां किसान स्वर्गवासी होने के बाद भी गन्ने का सट्टा चलाकर चीनी मिलों पर सरकारी रेट में अपना गन्ना बेच रहे थे. गन्ना विभाग को यह साल भर से ज्यादा समय से पता ही नहीं चल पाया. एक साल बाद जब सत्यापन कराया गया तो फर्जी सट्टों की पोल खुली. कई साल पहले स्वर्ग सिधार चुके किसानों के नाम पर चीनी मिलों पर माफिया और बिचौलिये ही गन्ना सप्लाई करने में लगे थे. अब गन्ना विभाग की नींद खुली तो सत्यापन कराया गया. उसके बाद मृत किसानों से चलने वाले 1409 सट्टे निरस्त किए गए. मामला पकड़ में आने के बाद गन्ना विभाग ने मृतक किसान परिवारों को नोटिस जारी किया है.


दरअसल, इन दिनों जनपद में धान की खरीद चल रही है. धान खरीद में इस बार प्रशासन की ओर से काफी सख्ती बरती जा रही है. धान खरीद से जुड़े माफियाओं पर प्रशासन का शिकंजा लगातार कसने से उन पर कुछ अंकुश भी लगा है. मगर दूसरी ओर गन्ने का 1 नवंबर से नया पेराई सत्र शुरू होने से पहले ही माफियाओं के जाल का खुलासा होने लगा है. इसलिए गन्ना खरीद में पारदर्शिता को लेकर भी अफसर अलर्ट हो चुके हैं.


विभिन्न प्रजातियों के गन्ना की पैदावार
पीलीभीत में इस बार करीब एक लाख हेक्टेयर से अधिक रकबे में विभिन्न प्रजातियों के गन्ना की पैदावार की गई है. शासन स्तर से अभी गन्ना खरीद के लिए सेंटरों का निर्धारण नहीं किया गया है. शासन धान खरीद की तर्ज पर इस बार गन्ना खरीद में भी पारदिर्शता लाने के लिए प्रयासरत है. इसको लेकर शासन ने पूर्व में हुए गन्ना सर्वे के आधार पर नए तरीके से गन्ने का सत्यापन कराने के आदेश दिए थे.


किसानों के सट्टे का सत्यापन
शासन के निर्देशानुसार गन्ना विभाग ने किसानों के सट्टे का सत्यापन कराया. सत्यापन में पहले 49 फर्जी किसान पकड़ में आए थे. चेतावनी देने के बाद इनके सट्टे निरस्त किए गए. इधर सत्यापन के दौरान कई साल पहले मृत हो चुके किसानों के नाम पर गन्ने के सट्टे संचालित करने का मामला भी प्रकाश में आया. यह सट्टे कर्मचारियों द्वारा बिना जांच पड़ताल किए गए सर्वे का नतीजा है कि अब तक सत्यापन में 1409 मृत किसानों के नाम पर गन्ने का सट्टा संचालित होना पाया गया. गन्ना विभाग ने मृत किसानों के परिवारों को नोटिस भेजकर फर्जी पाए जाने वाले सट्टे निरस्त करने की कार्रवाई की है.


करप्शन पर जीरो टॉलरेंस
जिला गन्ना अधिकारी जितेंद्र कुमार मिश्रा का कहना है शासन की मंशा करप्शन पर जीरो इन्टॉलरेंस की है. उसी के क्रम में फिर से सत्यापन कराया गया था. उसमें ऐसे किसानों के नाम से गन्ने का सट्टा चलना पाया गया, जिनकी बहुत पहले ही मौत हो चुकी है. किसान परिवारों को नोटिस भेजकर वह सट्टे निरस्त कर दिए गए. सत्यापन का काम पूरा हो चुका है साथ ही अब पारदर्शिता को लेकर अफसर अलर्ट हैं.


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