Chhattisgarh: सुकमा में सीआरपीएफ अधिकारी फरिश्ता बन गर्भवती महिला की कराई डिलीवरी, लोगों ने तारीफ में कही ये बात
Sukma CRPF News: नक्सल प्रभावित जिला सुकमा के अंदरुनी गांवों में स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव है. इस वजह से स्थानीय ग्रामीणों को स्वास्थ्य संबंधी शिकायत होने पर काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.
Sukma News: छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में एक गर्भवती महिला और उसके परिवार के लिए सीआरपीएफ अधिकारी फरिश्ता बन गये. सीआरपीएफ अधिकारियों ने प्रसव पीड़ा से परेशान महिला की सड़क पर सुरक्षित डिलीवरी करवाई. प्रदेश के नक्सल प्रभावित क्षेत्र लगातार स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव से जूझ रहा है. इस क्षेत्र के बीमार पड़ने वाले ग्रामीण मरीजों और गर्भवती महिलाओं को कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. जिले के पेद्दागेलूर गांव में भी एक महिला को प्रसव पीड़ा होने के बाद उसे तररेम स्वास्थ्य केंद्र ले जाया जा रहा था. इस दौरान महिला की स्थिति गंभीर हो गई, जिससे गर्भवती की जान पर बन आई. इसी दौरान नक्सलियों से लोहा लेने के लिए खोले गए सीआरपीएफ के 153 बटालियन कैंप में पदस्थ अधिकारियों को इसकी जानकारी मिली.
आनन फानन में अधिकारी मौके पर पहुंच कर गर्भवती को इलाज के लिए कैंप लाने की कोशिश करने लगे, लेकिन महिला की स्थिति इतनी गंभीर अवस्था में थी कि उसकी डिलीवरी सीआरपीएफ के अधिकारियो को बीच सड़क पर ही करानी पड़ी. लगभग आधे घंटे के मशक्कत के बाद महिला सुरक्षित प्रसव कराया गया और महिला ने एक स्वस्थ्य बेटी को जन्म दिया, प्रसव के बाद जच्चा-बच्चा दोनों को एंबुलेंस से बेहतर इलाज के लिए अस्पताल भेजा गया. सुकमा जिले के पेद्दागलूर सीआरपीएफ 153 बटालियन कैंप में पदस्थ अरुण कुमार ने बताया कि इस क्षेत्र के लोगों को बीमार होने से कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. इस स्थिति में सीआरपीएफ के द्वारा उन्हें हर संभव मदद पहुंचाने के लिए कोशिश की जाती है. स्वास्थ सुविधा और कम्युनिटी पुलिसिंग के चलते सीआरपीएफ ग्रामीणों का भरोसा जीतने में कामयाब रही है. यही वजह है कि इस इलाके में काफी हद तक नक्सली बैकफुट पर हैं.
'इलाके में स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव'
अरुण कुमार ने बताया कि शासन की स्वास्थ्य सुविधाएं अभी भी अंदरूनी गांव तक नहीं पहुंच पाई हैं, जिससे ग्रामीणों को कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. उन्होंने बताया कि जवानों को जानकारी मिली कि एक गर्भवती महिला को प्रसव पीड़ा होने के बाद कांवड़ से तर्रेम स्वास्थ्य केंद्र ले जाया जा रहा है, लेकिन उसकी हालत बिगड़ती जा रही है. महिला के बारे में ये भी सूचना मिली कि उसके शरीर से रक्त का रिसाव भी हो रहा है. इस सूचना के बाद सीआरपीएफ के वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी और अन्य अधिकारियों द्वारा गर्भवती महिला को कैंप में डिलीवरी करने की योजना बनाई गई, लेकिन गर्भवती महिला की हालत इतनी खराब थी कि उसे कैंप तक लाना मुश्किल था. जिसके बाद सीआरपीएफ के वरिष्ठ अधिकारी चिन्नागेल्लूर और कैम्प में मौजूद वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी के साथ अन्य जवान मौके पर पहुंचे और उसकी डिलीवरी कराई.
नवजात का अधिकारियों ने किया नामकरण
अधिकारियों के मुताबिक, महिला की स्थिति काफी खराब थी, ऐसे में बीच सड़क पर ही चारों तरफ पर्दा लगाकर महिला की डिलीवरी कराई गई. अधिकारियों ने सीमित समय और सीमित संसाधनों से डिलीवरी कर महिला और शिशु की जान बचा ली. सीआरपीएफ अधिकारी के इस नेक काम की महिला के परिजन, स्थानीय ग्रामीण और अन्य लोग जमकर तारीफ कर रहे हैं. परिजनों ने सीआरपीएफ की मदद पर खुशी का इजहार करते हुए कहा कि उन पर भरोसा बढ़ गया. नवजात बच्ची को लेकर सीआरपीएफ 153 बटालियन कैंप के कमांडेंट ने कहा कि बच्ची को सीआरपीएफ द्वारा अडॉप्ट कर उसका पालन पोषण किया जायेगा. इसके अलावा उसके शिक्षा संबंधी सभी इंतजाम सीआरपीएफ द्वारा किया जाएगा. सुरक्षित डिलीवरी के बाद परिजनों कैंप पहुंचकर अधिकारियों से ही लड़की का नामकरण करने का आग्रह किया, इसके बाद कैंप कमांडेट और सीआरपीएफ के वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी ने सहर्ष लड़की का नाम भारती रखने का सुझाव दिया. जिसे परिवार वालों ने खुशी-खुशी स्वीकार कर लिया.