अयोध्या मस्जिद ट्रस्ट को लेकर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, ट्रस्ट में सरकारी नुमाइंदे नहीं होंगे शामिल
याचिका में दी गई दलील में कहा गया कि इसमें सरकार के किसी अधिकारी को नामित करने का कोई प्रावधान नहीं है, जैसा केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए न्यास में होता है.
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें अयोध्या में मस्जिद निर्माण के लिए 'इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन ट्रस्ट में राज्य और केंद्र सरकार के प्रतिनिधियों को नामित करने के निर्देश देने की मांग की गई थी. न्यायमूर्ति आर. एफ. नरीमन की अगुवाई वाली पीठ ने अधिवक्ता हरि शंकर जैन की दलीलें सुनने के बाद यह फैसला सुनाया. पीठ ने दो अधिवक्ताओं शिशिर चतुवेर्दी और करुणेश कुमार शुक्ला की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए इसे खारिज कर दिया.
याचिका में क्या कहा गया?
याचिका के अनुसार, सुन्नी वक्फ बोर्ड ने मस्जिद बनाने के लिए दी गई पांच एकड़ जमीन में एक मस्जिद, सांस्कृतिक एवं अनुसंधान केंद्र, सामुदायिक रसोई, एक अस्पताल और एक पुस्तकालय सहित जन उपयोगी केंद्र के निर्माण के लिए ह्यइंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन नाम से एक न्यास बनाने की घोषणा 29 जुलाई को की थी.
याचिका में कहा गया कि उम्मीद है कि सैकड़ों लोग ह्यइस्लामिक ट्रस्ट स्थल पर जाएंगे और इसे भारत के साथ ही विदेशों से भी कोष मिलेगा, इसलिए कोष का और न्याय की संपत्तियों का सही प्रबंधन होना चाहिए.
याचिका में कहा गया है, यह सार्वजनिक हित में है कि केंद्र सरकार और राज्य सरकार के पास सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखने के लिए ट्रस्ट के कामकाज के बारे में सभी प्रासंगिक जानकारी हो और यह सुनिश्चित किया जाए कि कोई भी गड़बड़ी न हो और किसी भी ट्रस्ट द्वारा फंड का गलत तरीके उपयोग न हो.
अधिवक्ता दिव्या ज्योति सिंह के माध्यम से दायर जनहित याचिका में कहा गया है कि उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को आवंटित पांच एकड़ की भूमि और निर्माण के उचित प्रशासन के लिए सुन्नी मुस्लिम समुदाय से संबंधित केंद्र और राज्य सरकार के नुमाइंदों का ट्रस्ट बनाने के लिए केंद्र सरकार को निर्देश जारी किया जाए.
वकील दिव्या ज्योति सिंह के माध्यम से दायर याचिका में शीर्ष अदालत से कहा गया कि वह केंद्र और राज्य सरकार के नुमाइंदों से संबंधित एक ट्रस्ट बनाने के लिए केंद्र को निर्देश जारी करे, जो इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन में सुन्नी मुसलमानों से संबंधित हो और जमीन का उचित प्रशासन हो सके.
बता दें कि पिछले साल नौ नवंबर को हिंदुओं के पक्ष में राम जन्मभूमि के फैसले के बाद अदालत ने अयोध्या में ही एक मस्जिद के लिए भी पांच एकड़ जमीन देने की बात कही थी. अयोध्या के धन्नीपुर में मस्जिद बनाई जानी है.
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