ग्रेटर नोएडा: उत्तर प्रदेश के शिक्षा विभाग में हुए फर्जीवाड़े की परतें अब खुलने लगी हैं. गौतमबुद्ध नगर के शिक्षा विभाग में इसी तरह का एक मामला सामने आने के बाद से विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठने लगे हैं.
आरोप है कि फर्जी डिग्री के आधार पर मनीषा मथुरिया बीते 10 वर्षों से शिक्षिका के तौर पर काम कर रही हैं. विभाग ने उन्हें बर्खास्त कर उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है. शिक्षिका फरार बताई जा रही हैं.
गौतमबुद्ध नगर के बेसिक शिक्षा अधिकारी धीरेंद्र कुमार ने बताया कि दूसरे की बीएड की डिग्री पर नौकरी करने वाली शिक्षिका मनीषा मथुरिया का फर्जीवाड़ा सामने आया है. इस मामले के उजागर होने के बाद से ही शिक्षिका फरार हैं. उन्होंने बताया कि मनीषा मथुरिया बीते 10 वर्ष से फर्जी डिग्री पर नौकरी कर रही थीं. शिक्षिका की तैनाती ग्रेटर नोएडा के नवादा गांव स्थित प्राथमिक विद्यालय में थी.
खंड शिक्षा अधिकारी हेमंत सिंह ने शिक्षिका के खिलाफ धोखाधड़ी की धाराओं में कोतवाली बीटा-2 में एफआईआर दर्ज कराई है. बीएसए ने बताया कि शिक्षिका को बर्खास्त कर उसके द्वारा लिए गए वेतन की रिकवरी के आदेश दिए गए हैं.
बीएसए धीरेंद्र कुमार ने बताया कि अनामिका शुक्ला फ्रॉड केस के उजागर होने के बाद शासन ने पूरे राज्य में शिक्षकों के दस्तावेजों की जांच के आदेश दिए थे. उसी आदेश के क्रम में बीते दिनों मिली शिकायत के आधार पर जांच कराई गई. जांच में पाया गया कि जिस अनुक्रमांक को मनीषा मथुरिया के मार्कशीट में दर्ज किया गया है, वह अनुक्रमांक मनीषा मौर्या के नाम पर दर्ज है, जो कासगंज के वीके जैन कॉलेज की है.
जांच में यह भी पाया गया कि ग्रेटर नोएडा के नवादा गांव स्थित प्राथमिक विद्यालय में नौकरी करने वाली मनीषा मथुरिया की डिग्री फर्जी है और वह मनीषा मौर्या की डिग्री पर नौकरी कर रही है. उन्होंने बताया कि मूलरूप से अलीगढ़ के बसौली गांव की रहने वाली मनीषा मथुरिया ने आंबेडकर विवि आगरा से वर्ष-2005 में जारी बीएड की डिग्री के आधार पर शिक्षिका की नौकरी हासिल की थी.
बेसिक शिक्षा अधिकारी धीरेंद्र कुमार ने बताया कि शिक्षिका मनीषा मथुरिया की पहली तैनाती वर्ष-2010 में अलीगढ़ के ऊंटगिरी ब्लॉक क्षेत्र के गांव धनीपुर प्राथमिक विद्यालय में हुई थी. वर्ष-2012 में उसका तबादला गौतमबुद्ध नगर के लिए कर दिया गया. वह ग्रेटर नोएडा के शाहबेरी, बिसरख और नवादा प्राथमिक विद्यालय में तैनात रही. उन्होंने बताया कि फर्जीवाड़ा उजागर होने के बाद उसके खिलाफ कार्रवाई की जा रही है. नियमानुसार उससे लगभग 40 लाख 70 हजार रुपये की रिकवरी की जानी है.
इस बीच, पुलिस का कहना है कि इस मामले में पहली शिकायत दनकौर डायट के प्राचार्य ने की थी. उन्होंने सभी शिक्षकों की डिग्री की जांच करने का अनुरोध किया था. जांच में पाया गया कि साल-2008 में मनीषा ने बीटीसी की डिग्री ली थी, वह भी फर्जी थी.
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