पटना: पटना में आरजेडी की बैठक के दौरान नेता प्रतिपक्ष और पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने कहा कि विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव जेल से बाहर आ सकते हैं. उन्हें अक्टूबर महीने तक बेल मिल सकती है. इसके अलावा बैठक में आगामी चुनाव को लेकर चर्चा हुई, वहीं संगठन को कैसे मजबूत किया जाए इस बात को लेकर भी पार्टी नेताओं से सलाह मशविरा किया गया.
तेजस्वी के इस बयान पर बिहार के डिप्टी सीएम सुशील मोदी ने कहा कि लालू प्रसाद अगर 2020 के विधानसभा चुनाव से पहले जमानत पर छूट जाते हैं, तो एनडीए के लिए तीन चौथाई बहुमत पाकर 2010 का चुनाव परिणाम दोहराना आसान होगा. उस समय लालू प्रसाद जेल से बाहर थे और उनकी पार्टी मात्र 22 सीटों पर सिमट गई थी. नेता प्रतिपक्ष का पद पाने की भी हैसियत आरजेडी की नहीं थी. लालू प्रसाद यदि जनता के बीच रहते हैं, तो उनके 15 साल के भयावह शासनकाल की याद दिलाने में हमें कोई मेहनत नहीं करनी पड़ेगी.
डिप्टी सीएम ने कहा कि 1990 से 2004 तक आरजेडी शासन के उस दौर में जिस तरह से सड़कें जर्जर हुईं, शहर-गांव अंधेरे में डूबे, हत्या-अपहरण- नरसंहार की घटनाओं के कारण लोगों का जीना दूभर हुआ और लाखों लोगों को महज दो वक्त की रोटी के लिए पलायन करना पड़ा था, उसकी याद ताजा करने में लालू प्रसाद से बड़ा स्टार प्रचारक कौन हो सकता है?
सुशील मोदी ने कहा कि एनडीए ने गरीबों की सेवा और विकास के काम पर वोट मांगे, इसलिए जनता ने झोली भर कर आशीर्वाद दिया. लालू प्रसाद के जेल में रहने या उन्हें जमानत मिलने से ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा.
उपमुख्यमंत्री ने कहा कि लालू प्रसाद को 1000 करोड़ के चारा घोटाले के चार मामलों में पारदर्शी और लंबी न्यायिक प्रक्रिया के बाद जेल की सजा दी गई. उनको जमानत देना या न देना अदालत का काम है. आरजेडी अक्टूबर में उनके पक्ष में फैसला आने की बात किस आधार पर कह सकता है? पार्टी ऐसी बयानबाजी से एक तरफ न्यायपालिका पर राजनीतिक दबाव बनाना चाहती है तो दूसरी तरफ दल छोड़ने वालों की भगदड़ रोकना चाहती है. उनके ये दोनों मकसद पूरे नहीं होंगे.
मालूम हो कि चारा घोटाला मामले में सजायाफ्ता आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद ने झारखंड हाईकोर्ट में जमानत के लिए में एक याचिका दाखिल की है. आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद की ओर से चाईबासा कोषागार से अवैध निकासी मामले में जमानत याचिका दाखिल की गई है. इसमें बताया गया कि सीबीआई कोर्ट से जो सजा मिली थी, उसकी आधी सजा को वह काट चुके हैं, ऐसे में उनको जमानत दे दी जाए.
लालू प्रसाद ने 23 दिसंबर 2017 से चारा घोटाले मामले में जेल में बंद हैं. दुमका, देवघर और चाईबासा मामले में सीबीआई की विशेष अदालत ने सजा सुनाई है. देवघर केस में उनको जमानत मिल चुकी है. लेकिन दुमका और चाईबासा कोषागार से अवैध निकासी से जुड़े दो मामलों में उन्हें जमानत नहीं मिली है. लेकिन तबीयत खराब होने की वजह से सजायाफ्ता लालू प्रसाद पिछले कई महीनों से रिम्स में भर्ती हैं. वह कई बीमारियों से ग्रसित हैं, बताया जा रहा है कि अगर चुनाव से पहले लालू को जमानत मिली तो विधानसभा चुनाव में आरजेडी को कुछ फायदा हो सकता है.
लालू यादव का केस देख रहे वकीलों की टीम ने आशंका जताई की फिलहाल अक्टूबर तक बाहर आना मुश्किल है. दुमका कोषागार मामले में लालू को जमानत हाई कोर्ट से पहले ही मिल चुकी है. वहीं अभी चाईबासा कोषागार में जमानत के लिए हाई कोर्ट से अपील की गई है. इसमें भी आधी सजा काटने और गिरती सेहत को आधार बनाया गया है. लेकिन देवघर कोषागार मामले में स्पेशल सीबीआई जज शिवपाल सिंह द्वारा 2017 दिसंबर में 7 साल की सज़ा दी गयी थी. इस मामले में देखा जाए तो ढाई साल ही सजा की मियाद पूरी हुई है.ऐसे में मुश्किल है की इस साल लालू यादव बाहर आ पाएं.
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