दक्षिणी भारत से शुरू हुई राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा अब हिंदी प्रदेशों में प्रवेश कर रही है. अभी ये यात्रा मध्य प्रदेश पहुंच गई है और यहां से राजस्थान के झालवाड़ में 3 दिसंबर को पहुंचेगी.


राजस्थान में कांग्रेस की इस यात्रा को कई मोर्चो पर चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है. राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा को राजस्थान में कांग्रेस नेताओं के बीच हो रही गुटबाजी को रोकना एक बड़ी चुनौती है.


राजस्थान में सचिन पायलेट और मौजूदा राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बीच की अदावत किसी से छिपी नहीं है. दोनों ही नेताओं के समर्थकों के अलग-अलग गुट देखने को मिलते हैं. राजस्थान में कांग्रेस पार्टी दो गुटो में बंटी हुई नजर आती है. जिसका असर राजस्थान की सियासत पर भी देखने को मिलता है. 


राजस्थान में दो गुटों में बंटी कांग्रेस


हाल ही में राजस्थान में कांग्रेस प्रभारी अजय माकन ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया. जिसका कारण गहलोत गुट के विधायकों की बगावत है. दरअसल इसी साल 25 सितंबर को राजस्थान में कांग्रेस ने विधायक दल की बैठक बुलाई गई थी. जिसमें कांग्रेस के मौजूदा अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और अजय माकन भी शामिल हुए थे. लेकिन गहलोत गुट के विधायकों ने इस बैठक का बहिष्कार किया था. जिसकी शिकायत सोनिया गांधी तक पहुंची थी. गहलोत दल के जो नेता इस बैठक में शामिल नहीं हुए थे. उसमें मंत्री शांति धारीवाल, महेश जोशी और आरटीडीसी अध्यक्ष धर्मेंद्र राठौड़ शामिल थे. जिसके बाद इन नेताओं को पार्टी की ओर से नोटिस भी जारी किया गया था.


जिसके बाद इसी महीने अजय माकन ने इस पूरे मामले से नाराज होकर राजस्थान के प्रभारी पद से इस्तीफा दे दिया. अजय माकन ने कांग्रेस अध्यक्ष खरगे को अपना इस्तीफा सौंपते हुए गहलोत दल के नेताओं के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं किए जाने का मुद्दा उठाया. साथ ही उन्होंने कहा कि वो राजस्थान के प्रभारी के पद पर आगे काम नहीं कर पाएंगे.


अपनी इस चिट्ठी में अजय माकन ने भारत जोड़ो यात्रा का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि दिसंबर के पहले हफ्ते में ये यात्रा राजस्थान पहुंच रही है और इस समय राजस्थान में उपचुनाव भी होने हैं. ऐसे में कांग्रेस का प्रभारी भी इस चुनाव से पहले नियुक्त होना आवश्यक है. अब कांग्रेस के सामने राजस्थान में भारत जोड़ो यात्रा को सफल बनाने के साथ-साथ राजस्थान के प्रभारी की नियुक्ति और उपचुनाव में अपनी जीत सुनिश्चित करने की चुनौती है.


ये उपचुनाव राजस्थान की सरदारशहर विधानसभा सीट पर होना है, जिसके लिए मतदान 5 दिसंबर को होगा और मतगणना 8 दिसंबर को की जाएगी. इस उपचुनाव में कांग्रेस को ये भी मालूम हो जाएगा कि राज्य में आने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस कितने पानी में है.  क्योंकि अगले साल 2023 में राजस्थान में भी विधानसभा चुनाव होने हैं.


इसके साथ ही यहां गौर करने वाली बात ये भी है कि राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा जब पहुंचेगी तो स्वागत के लिए वो नेता भी खड़े होंगे जिन पर पार्टी में बगावत का आरोप है.


राजस्थान में बीजेपी करेगी जन आक्रोश रैली


वहीं दूसरी चुनौती कांग्रेस के लिए दिसंबर में होने वाली बीजेपी की जन आक्रोश रैली है जिसका आयोजन बीजेपी बड़े स्तर पर राजस्थान में करने जा रही है. जिसमें बीजेपी के नेता और कार्यकर्ता हर एक विधानसभा में जनता के बीच जाएंगे. इस दौरान राज्य में कांग्रेस सरकार की नाकामियों और मोदी सरकार की उपलब्धियों और योजनाओं को जनता के सामने रखेंगे. ऐसे में भारत जोड़ो यात्रा के इसी दौरान राजस्थान पहुंचने पर राहुल गांधी को बीजेपी नेताओं और कार्यकर्ताओं से आमना-सामना भी हो सकता है.


गुर्जर समाज ने की सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाने की मांग


तीसरी चुनौती राजस्थान में गुर्जर आरक्षण संर्घष समिति की है. जिसने भारत जोड़ो यात्रा का विरोध किए जाने की चेतावनी दी है. समिति सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाने की मांग कर रही है. गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति का कहना है राजस्थान का मुख्यमंत्री गुर्जर समाज से बनाया जाना चाहिए. इसको लेकर आंदोलन करने की चेतावनी दी है. ऐसे में राहुल गांधी की इस यात्रा को गुर्जर आरक्षण आंदोलन का भी सामना करना पड़ सकता है.


क्या है भारत जोड़ो यात्रा का प्लान


राहुल गांधी की यात्रा मध्यप्रदेश पहुंची है.  3 दिसंबर को राजस्थान के झालावाड़ के पास पहुंचेगी. जहां पर राहुल गांधी सभा भी संबोधित करेंगे. राजस्थान के झालावाड़ से होते हुए ये यात्रा कोटो, बूंदी, सवाई-माधोपुर, दोसा, और फिर अलवर जिले में प्रवेश करेगी.


 राहुल गांधी ने कन्याकुमारी से कश्मीर तक निकाले जाने वाली इस यात्रा की शुरुआत इसी साल सितंबर के महीने में हुई थी. यात्रा में राहुल गांधी पैदल चलकर लगभग 3570 किलोमीटर तक का सफर तय करेंगे और अब करीब 3 महीने बाद ये यात्रा दक्षिण भारत के बाद हिंदी प्रदेशों में पहुंच रही है.