UP News: आजमगढ़ के मुबारकपुर क्षेत्र स्थित कौड़िया गांव में एक ऐसा हिंदू परिवार है, जो पिछले कई वर्षों से गांव के मुस्लिम भाइयों को उनके घर-घर पहुंचकर सहरी के लिए जगाता है. उस हिंदू परिवार का मकसद यह है कि कहीं कोई मुस्लिम भाई गफलत में सोया ना रह जाए. जिसकी वजह से वह रोजा रखने से पहले अदा की जाने वाली शहरी को पूरा ना कर सके.
इसी मंशा के साथ कौड़िया गांव के गुलाब यादव और उनका परिवार रात 1 बजे से लेकर शहरी खत्म होने तक पुरे गांव में घूम-घूम कर लोगों के घर जाकर उनका दरवाजा खटखटातें हैं. ताकि वह उठकर शहरी कर ले और अपना रोजा आसान कर सकें.
सामाजिक नफरत को दूर करने का काम करतें है
देर रात एबीपी की टीम जब कौड़िया गांव पहुंची तो देखा कि गुलाब यादव हाथ में लाठी टॉर्च कंधे पर गमछा लिए हुए हर आदमी के घर पहुंचते हैं, और उसको उसके नाम से पुकारते हुए जगाते हैं. उठो सहरी का वक्त हो गया है शहरी खा लो. जब तक उधर से आवाज नहीं आती कि हम जग गए हैं तब तक गुलाब यादव आगे नहीं बढ़ते हैं. यह सिलसिला पूरे गांव यानी लगभग 400 घरों तक चलता रहता है. जब इस बारे में हमने गुलाब यादव से बात की कि आखिर आप अपनी नींद को क्यों खराब करते हैं, तो उन्होंने साफ कहा यह काम मेरे पिताजी करते थे, मेरे बड़े भाई ने किया अब मेरी जिम्मेदारी है. हम लोगों को शहरी के लिए जगाते हैं. जिससे हमें सवाब मिलता और मैं सामाजिक नफरत को भी दूर करने का काम कर रहा हूं.
तो लोग शहरी नहीं कर पाएंगे
वही गांव के अफसर अंसारी कहते हैं कि गुलाब यादव आज के दौर में सामाजिक सौहार्द की मिसाल है. भले ही समाज में नफरत फैली हो लेकिन हमारा गांव मिलजुल कर साथ रहता है. और हम एक हैं हम इसे कुछ लोग पूजा करते हैं. और कुछ लोग नमाज पढ़ते हैं अगर लोगों को सामाजिक सद्भाव की मिसाल देखनी हो तो हमारे गांव में एक बार जरूर आए. गांव वाले गुलाब यादव के बारे में कहते हैं कि अगर गुलाब यादव शहरी के लिए लोगों को ना जगाए तो गांव के आधे लोग सोते रह जाएंगे और वह शहरी नहीं कर पाएंगे.
उनके बारे में लोगों की राय
वही गांव के लाल बिहारी गुलाब यादव की इस काम की सराहना करते हैं उनका कहना है कि गांव में सब लोग आपसी संबंध से रहते हैं गुलाब यादव के पिता भी लोगों को सेहरी के लिए जगाते थे. अब गुलाब यादव जगा रहे हैं जो एक सामाजिक सद्भाव और भारत में मिशाल है. वही कौड़िया गांव के रहने वाले जलील का कहना है कि पूरे रमजान तीसो दिन गुलाब यादव गांव वालों को शहरी के लिए जगाते हैं कभी बीमार पड़ गए तो शायद ही एक-दो दिन के लिए नागा होता है. लेकिन यह लगातार गांव वालों को सेहरी के लिए जगाते हैं.