प्रयागराज: संगम नगरी प्रयागराज के एक दिव्यांग ने दुनिया का सबसे छोटा चरखा बनाकर लोगों को ख़ास अंदाज़ में स्वदेशी सामानों के इस्तेमाल की सीख दी है. महज़ ढाई सेंटीमीटर का यह चरखा न सिर्फ लिम्का बुक आफ वर्ल्ड रिकार्ड में दर्ज है, बल्कि इससे दूसरे आम चरखों की तरह सूत भी काता जा सकता है. दिव्यांग विमल किशोर ने अपने हौसले व हुनर के संगम से तैयार इस चरखे को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को समर्पित किया है. लकड़ी से तैयार यह अनूठा चरखा लोगों के बीच आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. विमल किशोर के प्रशंसकों में पूर्व राष्ट्रपति स्वर्गीय अब्दुल कलाम से लेकर मिलेनियम स्टार अमिताभ बच्चन भी शामिल हैं.


प्रयागराज के मलाकराज इलाके के रहने वाले तीस साल के विमल किशोर बचपन से ही दिव्यांग हैं. शारीरिक अक्षमता के चलते उनको चलने -फिरने और उठने -बैठने में भी दिक्कत होती है, लेकिन विमल ने दिव्यांगता को कभी अपनी कमज़ोरी नहीं बनने दिया. वह तमाम छोटे छोटे अनूठे सामान तैयार करते रहे. कुछ दिनों पहले उन्होंने सिर्फ ढाई सेंटीमीटर का चरखा तैयार किया है. यह चरखा लकड़ी से तैयार किया गया है, जो सिर्फ दिखावटी नहीं है, बल्कि यह दूसरे चरखों की तरह काम भी करता है. इससे सूत भी काता जा सकता है. विमल किशोर द्वारा तैयार यह दुनिया का सबसे छोटा चरखा है, जिसका रिकार्ड लिम्का बुक में भी दर्ज है.


विमल ने इसे हफ़्तों की कड़ी मेहनत के बाद तैयार किया है. यह चरखा इतना छोटा है कि इसे उंगली पर भी रखा जा सकता है. चरखे को देखने के लिए तमाम लोग विमल के पास आते हैं. जो भी इस चरखे को देखता है, बस देखता ही रह जाता है. विमल के मुताबिक़ चरखे की पहचान राष्ट्रपिता महात्मा गांधी से है. वह चरखे का इस्तेमाल कर लोगों को स्वदेशी अपनाने की सीख देते थे. मौजूदा वक्त में देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए स्वदेशी की काफी ज़रुरत है, इसलिए वह अपने इस चरखे के ज़रिये देशवासियों को बापू और पीएम मोदी के संदेशों की सीख देना चाहते हैं.


विमल ने चरखे के साथ ही बहुत से दूसरे सामान भी छोटी आकृतियों के बनाए हुए हैं. उनके पास दुनिया की सबसे छोटी वर्ल्ड कप क्रिकेट ट्राफी, दुनिया का सबसे छोटा लकड़ी का बल्ला, कई राजनेताओं की नाखून के बराबर की लकड़ी की मूर्ति समेत सबसे छोटा हेलीकाप्टर भी है. महज़ पांच सेंटीमीटर का यह हेलीकाप्टर उड़ान भी भरता है. विमल अपने खाली वक्त में तमाम प्रयोग करते हैं और इन्ही प्रयोगों के ज़रिये आविष्कार कर दूसरों को नसीहत भी देते हैं. विमल का चरखा देखने आए कमल कुमार के मुताबिक़ दिव्यांग होने के बावजूद विमल में जो प्रतिभा है, वह काबिले तारीफ़ है और इससे तमाम दिव्यांगों व जीवन में असफलता का सामना करने वालों को सीख मिलेगी. स्वतंत्रता दिवस की वर्षगांठ के मौके पर तमाम लोग विमल किशोर का चरखा देखने के लिए आ रहे हैं.