राजस्थान के निगम चुनावों में कई दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर, जयपुर-जोधपुर-कोटा नगर निगमों में मतदान आज
पहली दिलचस्प लड़ाई जोधपुर में देखने को मिल रही है. जोधपुर मुख्यमंत्री गहलोत का गृहनगर है तो केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत का भी शहर है.
जयपुर: राजस्थान की राजधानी जयपुर, जोधपुर और कोटा में आज होने वाले नगर निगम चुनाव में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत समेत कांग्रेस और बीजेपी के कई दिग्गजों की साख दांव पर लगी है. हालांकि चुनाव स्थानीय हैं, मगर इनके लिए राष्ट्रीय नेताओं की ओर से किए जा रहे प्रचार ने इसे काफी दिलचस्प बना दिया है, जिससे इन चुनावों का महत्व काफी बढ़ गया है.
मतदान का पहला चरण आज होगा, जहां 16.54 लाख से अधिक मतदाता 250 वार्ड पार्षद चुनने के लिए वोट डालेंगे. मतदान का दूसरा चरण एक नवंबर को होगा और वोटों की गिनती तीन नवंबर को होगी. पहले चरण के जयपुर, जोधपुर और कोटा के छह नगर निगमों में कुल मिलाकर 560 वार्ड पार्षद के लिए चुनाव हो रहा है. पिछली बार इन तीनों ही जगह बीजेपी के बोर्ड थे.
जोधपुर मुख्यमंत्री गहलोत का गृहनगर है पहली दिलचस्प लड़ाई जोधपुर में देखने को मिल रही है. जोधपुर मुख्यमंत्री गहलोत का गृहनगर है तो केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत का भी शहर है. गहलोत जोधपुर के सरदारपुरा से विधायक हैं. वहीं शेखावत यहां से लोकसभा चुनाव में सांसद के तौर पर चुने जा चुके हैं. उन्होंने यहां से गहलोत के बेटे वैभव को मात दी थी, जो कांग्रेस के टिकट पर लड़ रहे थे.
चुनाव प्रचार के दौरान शेखावत की जमीन पर मजबूत मौजूदगी देखी जा रही है, लेकिन चुनाव प्रचार के दौरान गहलोत की अनुपस्थिति ने प्रदेश में राजनीतिक हलचल पैदा कर दी है. सभी की निगाहें इस बात पर टिकी हुई हैं कि स्थानीय चुनाव लोकसभा की कहानी दोहरा पाते हैं या नहीं. इन चुनावों से भगवा पार्टी को काफी उम्मीदें हैं.
जोधपुर में जमीनी स्तर पर गहलोत की अनुपस्थिति और शेखावत की मजबूत उपस्थिति की राजनीतिक गलियारों में व्यापक रूप से चर्चा हो रही है, क्योंकि शेखावत खुले तौर पर घोषणा कर रहे हैं कि मुख्यमंत्री ने जोधपुर की अनदेखी करके अपने बेटे की हार का बदला ले रहे हैं.
कोटा और जयपुर में चुनावी समीकरण कोटा में भी नगर निगम के चुनाव भी दिलचस्प होने जा रहे हैं, क्योंकि जिले का प्रतिनिधित्व लोकसभा अध्यक्ष बिरला द्वारा किया जाता है, जिनकी शहर में साफ-सुथरी छवि है. कोटा का प्रतिनिधित्व करने वाले राज्यमंत्री शांति धारीवाल के खिलाफ सत्ता विरोधी रुझान अभी भी चुनाव में एक और महत्वपूर्ण मुद्दा है. राजधानी जयपुर में कांग्रेस और बीजेपी के दो नवनियुक्त राज्य अध्यक्षों के बीच टक्कर है.
कांग्रेस पीसीसी प्रमुख गोविंद सिंह डोटासरा को वन मैन आर्मी यानी अकेले ही मोर्चा संभालने वाला नेता माना जा रहा है, क्योंकि पूर्व पीसीसी प्रमुख और उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट द्वारा मुख्यमंत्री गहलोत के खिलाफ विद्रोह करने के बाद जुलाई में सभी पीसीसी बोर्ड भंग कर दिए गए थे. इसलिए अब आंतरिक गुट निश्चित रूप से उनके लिए बड़ी चुनौतियां हैं, लेकिन वह तीन जिलों में सभी छह निगमों को जीतने के लिए आश्वस्त हैं. उन्होंने कहा, "हम सभी छह निगमों को जीतेंगे."
वह विश्वास के साथ कहते हैं, "यह शायद ही मायने रखता है कि हर जिले में पीसीसी प्रमुख हैं या नहीं. हमारे पास कार्यकर्ताओं की एक मजबूत टीम है, जो पार्टी के लिए जीत हासिल करने के लिए दिन-रात काम कर रहे हैं." जयपुर में बीडेपी प्रदेशाध्यक्ष सतीश पुनिया की प्रतिष्ठा भी दांव पर है.
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